श्रीनगर: उत्तराखंड में तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते खेती की जगह कम होती जा रही है, लेकिन नई तकनीकों ने इस चुनौती का समाधान खोज लिया है। अब आप अपनी छत पर ही ताजे और ऑर्गेनिक फल और सब्जियां उगा सकते हैं। रूफ गार्डनिंग शहरी क्षेत्रों में लोकप्रिय होती जा रही है, खासकर जहां जमीन की कमी है।
क्या है रूफ गार्डनिंग?
रूफ गार्डनिंग का मतलब है छत पर फल और सब्जियां उगाना। यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान है जिनके पास जमीन नहीं है लेकिन वे ऑर्गेनिक सब्जियां और फल खाना चाहते हैं। छत पर गार्डनिंग शुरू करने के लिए आपको ग्रो-बैग, गमले, और थोड़ी सी देखभाल की जरूरत होती है।
कैसे शुरू करें?
- मिट्टी की तैयारी:
छत पर गमलों या ग्रो-बैग का उपयोग करें। मिट्टी को पहले कुछ दिनों तक खुले में छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद कीड़े और फफूंद खत्म हो जाएं। फिर उसमें गोबर की खाद मिलाएं।
- गमले का चयन:
पौधे लगाने के लिए मिट्टी के गमले सबसे बेहतर होते हैं। ये 100 से 500 रुपये तक में बाजार में उपलब्ध हैं। आप पुरानी बाल्टियों या डिब्बों का भी उपयोग कर सकते हैं।
- बीज और पौधे:
बीज को 1 इंच गहराई तक बोएं और धूप में रखें। जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाए, तो उसमें खाद डालें। ऑर्गेनिक खाद के लिए गोबर या सरसों की खली का इस्तेमाल करें।
विशेषज्ञ की राय:
गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. तेजपाल बिष्ट का कहना है कि शहरीकरण के कारण किचन गार्डन की जगह कम हो रही है। ऐसे में रूफ गार्डनिंग एक प्रभावी विकल्प है। यह न केवल ताजे फल और सब्जियां उपलब्ध कराता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करता है।
रूफ गार्डनिंग के फायदे:
- ऑर्गेनिक उत्पादों की उपलब्धता।
- कम जगह में खेती की सुविधा।
- पर्यावरण के प्रति जागरूकता।
यदि आप भी अपने घर की छत को ग्रीन बनाना चाहते हैं, तो आज ही रूफ गार्डनिंग शुरू करें और अपने भोजन को ताजा और स्वास्थ्यवर्धक बनाएं।
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