
Mauni Amavasya 2025 in Hindi: महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान आज से प्रारंभ, 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु लेंगे पवित्र
Mauni Amavasya 2025 in Hindi: प्रयागराज में आध्यात्मिकता का महासंगम शुरू हो चुका है। महाकुंभ 2025 अपने चरम पर है, और मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर तीसरा शाही स्नान आज प्रारंभ हो गया है। इस दिव्य आयोजन में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे।
कब है मौनी अमावस्या 2025? तिथि एवं समय (Kab Hai Mauni Amavasya 2025)
- मौनी अमावस्या का दिन: बुधवार, 29 जनवरी 2025
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 जनवरी 2025, शाम 7:35 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जनवरी 2025, शाम 6:05 बजे
44 घाटों पर व्यापक व्यवस्था
महाकुंभ के इस महत्वपूर्ण स्नान के लिए प्रशासन ने 12 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 44 घाटों पर विशेष व्यवस्था की है। संगम, ऐरावत घाट और अरैल घाट सहित प्रमुख स्नान स्थलों पर वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है। भीड़ प्रबंधन एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रयागराज और आसपास के जिलों के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक नियुक्त किए गए हैं।
श्रद्धालुओं की अपार भीड़
देशभर से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य राज्यों से आए लाखों श्रद्धालु अस्थायी टेंट सिटी, आश्रमों और होटलों में ठहरे हुए हैं।
मौनी अमावस्या स्नान मंगलवार रात से प्रारंभ हो गया था, लेकिन अखाड़ों के संतों का शाही स्नान आज सुबह विशेष अनुष्ठानों के साथ संपन्न हुआ। साधु-संतों के लिए विशेष घाट बनाए गए हैं, जबकि आम श्रद्धालुओं के लिए अलग घाटों की व्यवस्था की गई है।
क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध
भीड़ को सुव्यवस्थित करने के लिए घाटों का बंटवारा क्षेत्रवार किया गया है:
- पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों के श्रद्धालु – ऐरावत संगम घाट
- गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत के श्रद्धालु – अरैल घाट
- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु – संगम से नागवासुकी तक फैले घाट
प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि सभी श्रद्धालु सुरक्षित रूप से स्नान कर सकें और बिना किसी असुविधा के अपने गंतव्य तक लौट सकें।
यातायात एवं सुरक्षा व्यवस्था
प्रयागराज प्रशासन ने स्थानीय नागरिकों से अपील की है कि वे यातायात जाम से बचने के लिए निजी चारपहिया वाहनों का उपयोग न करें। स्नान पर्व के दौरान सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दी गई है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रमुख घाटों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। अखाड़ों की रथयात्रा और शाही स्नान के दौरान आम जनता के लिए कुछ मार्गों को प्रतिबंधित किया गया है ताकि आयोजन की पवित्रता बनी रहे।
मौनी अमावस्या का महत्व (Mauni Amavasya 2025 Significance)
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यकारी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखने से मन को शांति मिलती है और आत्मचिंतन का अवसर मिलता है।
जैसे-जैसे यह दिव्य दिन आगे बढ़ रहा है, प्रयागराज भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिकता के रंग में रंग चुका है। विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की भव्यता भारतीय परंपरा और आस्था की गहराई को दर्शाती है।
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