पौड़ी, उत्तराखंड – पौड़ी की दिव्या नेगी, जो गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी गीतों में अपने अभिनय के लिए जानी जाती हैं, अब उत्तराखंड की लोक संस्कृति की नई आवाज़ बन चुकी हैं। अपने संघर्ष और समर्पण के चलते, दिव्या ने अपने काम से युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
दिव्या का जन्म मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ, लेकिन उनका गाँव पौड़ी में पुलयासा है। उन्होंने देहरादून के डीबीएस कॉलेज से इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। “मेरे भीतर बचपन से ही एक्टिंग का जुनून था, जिसने मुझे लोक गीतों की दुनिया में खींच लिया,” उन्होंने कहा।
दिव्या का पहला हिट गीत “6 नंबर पुलिया” था, जिसने उन्हें और इसके गायकों को नई पहचान दिलाई। इसके बाद, उन्होंने मेरु लहंगा 2, सोबानू, काजल-काजल, नेपाली रासू, नथुली, और सुर्मायाली तेरी अंखिये जैसे कई गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी गीतों में काम किया है।
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दिव्या ने सोशल मीडिया के महत्व पर भी जोर दिया। “सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली प्लेटफार्म है। मैंने इंस्टाग्राम पर रील्स के जरिए उत्तराखंडी पहनावे, वेशभूषा और कला को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। यह देखकर अच्छा लगता है कि लोग इसे पसंद कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
ठुमका गीत में अभिनय का प्रस्ताव मिलने पर दिव्या ने मना कर दिया। “इस गाने में कुछ ऐसे तत्व थे जो मेरी संस्कृति के अनुरूप नहीं थे। मैं मानती हूँ कि अच्छे गानों को भी तवज्जो मिलनी चाहिए,” उन्होंने स्पष्ट किया।
इसके अलावा, दिव्या को पेंटिंग का भी शौक है। “खाली समय में, जब भी मौका मिलता है, मैं पेंटिंग करती हूँ। यह मुझे मानसिक शांति देती है,” उन्होंने कहा।
दिव्या “देवभूमि लोक सम्मान” से सम्मानित हो चुकी हैं। “यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। हिमाद्री फिल्मस द्वारा आयोजित यह समारोह मेरे जैसे कलाकारों के लिए प्रेरणा है,” उन्होंने कहा।
दिव्या नेगी का यह सफर एक प्रेरणा है, और उनके कार्यों ने उत्तराखंड की संस्कृति को नई पहचान दी है।
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