
नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 की तैयारी शुरू, कुरुड की मां नंदा देवी की नई डोली तैयार
चमोली। वर्ष 2026 में प्रस्तावित नंदा देवी राजजात यात्रा को लेकर देवभूमि उत्तराखंड में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस भव्य और धार्मिक यात्रा में विशेष स्थान रखने वाली कुरुड की मां नंदा देवी की डोली भी अब तैयार हो चुकी है। परंपरा के अनुसार, इसी डोली में विराजमान होकर मां नंदा देवी कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं।
चमोली जिले के थराली ब्लॉक के कुनी पार्था गांव के कारीगर दलवीर सिंह पिमोली ने इस डोली को बड़े श्रम और श्रद्धा से तैयार किया है। दलवीर सिंह, स्वर्गीय केदार सिंह के पुत्र हैं, जो स्वयं एक प्रसिद्ध डोली निर्माता रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्य उनके लिए केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक पुनीत सेवा और पारिवारिक परंपरा है। उनके पिता स्व. केदार सिंह तीन बार मां नंदा देवी के लिए डोली बना चुके हैं, जिसमें आखिरी बार वर्ष 2002 में डोली भेंट की गई थी।
कारीगर के पुत्र मनोज पिमोली ने जानकारी दी कि उनके पिता लकड़ी पर नक्काशी में विशेष दक्षता रखते हैं और उनका नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। नई डोली के निर्माण में पारंपरिक डिजाइन, लकड़ी की उत्कृष्ट नक्काशी और सांस्कृतिक प्रतीकों का विशेष ध्यान रखा गया है, जिससे यह न केवल धार्मिक महत्व की प्रतीक है, बल्कि कला का एक अद्वितीय नमूना भी बन गई है।
गुरुवार को यह नई डोली कुरुड स्थित मां नंदा देवी मंदिर में चढ़ाई गई। इस अवसर पर गांव के कई लोग उपस्थित रहे, जिनमें आनंद सिंह पिमोली और दलबीर सिंह प्रमुख रहे। मंदिर परिसर में डोली चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं ने मां नंदा देवी के जयकारों के साथ आगामी राजजात यात्रा की सफलता और सभी भक्तों की कुशलता की प्रार्थना की।
ज्ञात हो कि नंदा देवी राजजात यात्रा उत्तराखंड की सबसे लंबी और कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है, जो लगभग 280 किलोमीटर के पैदल मार्ग से गुजरती है और इसमें सैकड़ों गांवों के लोग सम्मिलित होते हैं। यह यात्रा 12 वर्षों में एक बार आयोजित होती है और इसमें मां नंदा देवी की डोली को कैलाश पर्वत की ओर ले जाया जाता है, जिसे उनके मायके से ससुराल विदा करने की प्रतीकात्मक रस्म माना जाता है।
कुरुड की डोली इस यात्रा का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है और इसकी पारंपरिक तैयारी यात्रा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी प्रगाढ़ बना देती है। ग्रामीणों और श्रद्धालुओं के लिए यह गर्व का विषय है कि उनकी आस्था की प्रतीक मां नंदा देवी के लिए उनके ही गांव का कारीगर डोली तैयार करता है, जो आगामी यात्रा में हजारों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बनेगी।
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