
श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर में स्थित काली कमली धर्मशाला में 23 अक्टूबर 2024 को गुरिल्ला संगठन की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से प्रदेश मीडिया प्रभारी अनिल प्रसाद भट्ट, सह मीडिया प्रभारी महावीर सिंह रावत (उत्तरकाशी), प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर सिंह राणा, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद गैरोला, प्रदेश महासचिव महावीर सिंह रावत समेत कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी और गुरिल्ला संगठन के सदस्य मौजूद थे।
बैठक में प्रमुखता से 2 सितंबर 2024 को किए गए सीएम आवास कूचऔर सरकार द्वारा उस समय दिए गए आश्वासनों पर चर्चा की गई। उस वक्त गृह सचिव रिद्धिमा अग्रवाल ने संगठन के पदाधिकारियों से वार्ता की थी और आश्वासन दिया था कि गुरिल्ला संगठन की मांगों पर 48 घंटों के अंदर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन डेढ़ माह से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
18 वर्षों से लंबित हैं गुरिल्लाओं की मांगे
गुरिल्ला संगठन के पदाधिकारियों ने बैठक में बताया कि पिछले 18 सालों से उनकी मांगे लंबित हैं और सरकार अब तक केवल झूठे आश्वासन दे रही है। उनकी तीन प्रमुख मांगें हैं:
- 55 साल तक के गुरिल्लाओं को सरकारी सेवा में शामिल किया जाए।
- आयु पार कर चुके गुरिल्लाओं को सम्मानजनक पेंशन प्रदान की जाए।
- गुरिल्लाओं के आश्रितों को आर्थिक सहायता दी जाए।
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आंदोलन तेज करने की चेतावनी
प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद गैरोला ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि यदि सरकार 15 दिसंबर 2024 तक गुरिल्लाओं की मांगों पर कार्रवाई नहीं करती है, तो संगठन 17 दिसंबर को देहरादून कूच करेगा और 18 दिसंबर को सीएम आवास का अनिश्चितकालीन घेराव किया जाएगा। यह आंदोलन सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है यदि मांगें पूरी नहीं की जातीं।
आगामी योजनाएं और बैठकें
संगठन ने निर्णय लिया कि6 नवंबर 2024 को सभी उत्तराखंड के एसएसबी गुरिल्ला संगठन के पदाधिकारी देहरादून में एकत्र होंगे। इसके बाद 7 नवंबर को जैन धर्मशाला में एक आपातकालीन बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें आंदोलन की अगली रणनीति पर विचार किया जाएगा।
संगठन के प्रमुख सदस्यों ने लिया भाग
आज की बैठक में कई महत्वपूर्ण सदस्यों ने भाग लिया, जिनमें कीर्ति नगर ब्लॉक अध्यक्ष हिम्मत सिंह मेहर, सुरेंद्र सिंह रावत, बृजमोहन गुसाई, विक्रम पवार, अरविंद रावत, मकान सिंह नेगी, विमला देवी, कमला देवी, बसंती देवी, सुनीता देवी, गीत देवी, और पार्वती देवी शामिल थे। सभी ने एकजुट होकर आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया।
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