
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड (Uttarakhand News) | केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य में एक बार फिर जैव विविधता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने यहाँ हिमालयन लॉन्ग-टेल्ड म्योथिस (Himalayan Long-Tailed Myotis) नामक चमगादड़ की एक दुर्लभ और नई प्रजाति की खोज की है। इस खोज के साथ ही भारत में पाई जाने वाली चमगादड़ों की कुल प्रजातियों की संख्या अब 135 हो गई है।
यह नई प्रजाति ‘म्योथिस’ (Myotis) जीनस से संबंधित है, जो सामान्यतः लंबी पूंछ और पतली त्वचा वाले चमगादड़ों के लिए जाना जाता है। यह चमगादड़ खास तौर पर हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है और इसकी पहचान पहले कभी भारतीय सीमा में नहीं हुई थी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रजाति की पहचान डीएनए परीक्षण और शारीरिक विशेषताओं के अध्ययन के माध्यम से की गई है। अध्ययन के अनुसार, यह प्रजाति मायोटिस फ्रेटर कॉम्प्लेक्स से संबंधित है, यह आकृति विज्ञान की दृष्टि से समान प्रजातियों का एक समूह है जो पूर्वी चीन, ताइवान, साइबेरिया, कोरिया, जापान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में पाया जाता है।
केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य प्रशासन ने इस खोज को विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है। वहीं उन्होंने इस खोज के बाद अब स्थानीय निवासियों को चमगादड़ों और अन्य वन्य प्राणियों की निगरानी हेतु प्रशिक्षण देने की बात भी कही है। इससे न केवल वन्यजीवों की जानकारी बढ़ेगी, बल्कि संरक्षण में स्थानीय भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।
आखिर क्यों महत्वपूर्ण हैं चमगादड़?
चमगादड़ पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे कीट नियंत्रण, बीज फैलाव और परागण जैसे कार्यों में सहायक होते हैं। इनकी घटती संख्या पारिस्थितिक असंतुलन को जन्म दे सकती है।
पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में और भी कई अज्ञात प्रजातियाँ मौजूद हो सकती हैं, जिन्हें खोजे जाने की आवश्यकता है। इस दिशा में यह खोज एक प्रेरणादायक कदम है।
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