
गौरीकुण्ड में आपसी विवाद करने वाले 5 नेपाली नागरिकों पर पुलिस की सख्त कार्रवाई, शांति भंग अधिनियम के तहत हुई चालानी कार्यवाही
रुद्रप्रयाग ज़िले के गौरीकुण्ड क्षेत्र में बीते दिवस हुई एक घटना ने स्थानीय लोगों के बीच हलचल पैदा कर दी। यहां होटल अनूप के समीप 15 सितंबर 2025 को नेपाल से आए पांच व्यक्तियों के बीच आपसी कहासुनी और विवाद इतना बढ़ गया कि बात मारपीट तक पहुँच गई। यह दृश्य आसपास मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल कर दिया। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस तुरंत हरकत में आई और चौकी गौरीकुण्ड पुलिस टीम ने मौके पर पहुँचकर विवाद में शामिल पांचों व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपितों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के तहत शांति भंग करने का मुकदमा दर्ज कर चालानी कार्यवाही की। साथ ही, सभी को भविष्य में ऐसे कृत्यों से दूर रहने की कड़ी चेतावनी देकर छोड़ा गया।गौरीकुण्ड, जो कि केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव है, यहां बड़ी संख्या में स्थानीय और बाहरी श्रद्धालु-पर्यटक हमेशा मौजूद रहते हैं। इसी दौरान होटल अनूप के पास नेपाल से आए पांच व्यक्तियों के बीच किसी बात को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई। बहस इतनी बढ़ी कि स्थिति झगड़े में बदल गई। आसपास मौजूद लोगों ने इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो फैलते ही पुलिस-प्रशासन की जवाबदेही और अधिक बढ़ गई।
पुलिस ने विवाद में शामिल सभी पांचों नेपाली नागरिकों की पहचान की। इनमें
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राजेंद्र बोरा, पुत्र जय बहादुर, निवासी बारीकोट गांव पालिका थाना लिम्स, जिला जाजरकोट, नेपाल।
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रमेश शाही, पुत्र दत्त बहादुर शाही, निवासी बारीकोट गांव पालिका थाना लिम्स, जिला जाजरकोट, नेपाल।
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भीमराज सिंह, पुत्र नयन बहादुर सिंह, निवासी बारीकोट गांव पालिका थाना लिम्स, जिला जाजरकोट, नेपाल।
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लोकेन्द्र बहादुर शाही, पुत्र जय बहादुर शाही, निवासी हेमा गांव पालिका-05, जिला जुमला, नेपाल।
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राज देवी शाही, पत्नी लोकेन्द्र शाही, निवासी हेमा गांव पालिका-05, जिला जुमला, नेपाल।
ये सभी केदारनाथ यात्रा सीजन में रोज़गार और छोटे-मोटे काम की तलाश में गौरीकुण्ड क्षेत्र में रह रहे थे।
चौकी गौरीकुण्ड पुलिस ने शांति भंग अधिनियम के तहत चालानी कार्यवाही करने के बाद सभी को सख्त चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह का कृत्य बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस ने साफ कहा कि यदि दोबारा ऐसी घटना पाई जाती है तो सीधे तौर पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें जेल भेजना भी शामिल होगा।
इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने राहत की सांस ली कि पुलिस ने मामले को तुरंत संज्ञान में लेकर कार्रवाई की। यात्रियों और तीर्थयात्रियों के लिए यह स्थान धार्मिक आस्था का केंद्र है, ऐसे में शांति और सुरक्षा बनाए रखना पुलिस की पहली प्राथमिकता है। लोगों ने पुलिस की तत्परता की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि आगे भी इसी प्रकार सख्त कदम उठाए जाते रहेंगे।
गौरीकुण्ड जैसी धार्मिक और भीड़भाड़ वाली जगह पर आपसी विवाद और झगड़े से शांति भंग होना गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने न केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने में मदद की बल्कि भविष्य के लिए एक स्पष्ट संदेश भी दिया कि ऐसे असामाजिक कृत्य कतई सहन नहीं किए जाएंगे। नेपाल से आए इन व्यक्तियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि इस तरह की घटना फिर दोहराई गई तो कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
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