
महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं? (Why Do Women Wear Bangles?)
Bangles: भारत में चूड़ियों का संबंध सिर्फ सौंदर्य से नहीं, बल्कि परंपरा, संस्कृति और विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है। जब भी किसी महिला के हाथों में चूड़ियों की खनक सुनाई देती है, तो मानो घर-आंगन में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। चलिए जानते हैं, आखिर महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं, इसके धार्मिक, पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं।
चूड़ियों का अर्थ और उत्पत्ति (Meaning and Origin of Bangles)
‘चूड़ी’ शब्द संस्कृत के शब्द “बांगरी” या “बांगली” से आया है, जिसका अर्थ है – “वह आभूषण जो हाथों की शोभा बढ़ाता है।” भारत में चूड़ियों का इतिहास बहुत प्राचीन है। मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिली एक महिला की मूर्ति के हाथों में भी चूड़ियां मिली थीं। ये प्रमाण बताते हैं कि भारत में हजारों सालों से महिलाएं चूड़ियां पहनती आ रही हैं।
वैदिक काल में, चूड़ियों को नारी सौभाग्य, ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना गया। देवी-देवताओं की मूर्तियों में भी देवी के हाथों में चूड़ियां नजर आती हैं।
विभिन्न प्रकार की चूड़ियां (Types of Bangles)
भारत में चूड़ियों के कई प्रकार हैं —
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कांच की चूड़ियां (Glass Bangles) – सबसे आम और पारंपरिक।
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सोने और चांदी की चूड़ियां (Gold and Silver Bangles) – समृद्धि और शक्ति का प्रतीक।
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शंख और हाथी दांत की चूड़ियां (Conch and Ivory Bangles) – बंगाल और दक्षिण भारत में लोकप्रिय।
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लकड़ी या धातु की चूड़ियां (Wooden and Metal Bangles) – ग्रामीण और शास्त्रीय रूप में।
हर प्रकार की चूड़ी अपने रंग, ध्वनि और स्पर्श के अनुसार अलग ऊर्जा देती है।
धार्मिक महत्व (Religious Significance)
भारतीय संस्कृति में, बिना चूड़ियों के हाथ को अशुभ माना गया है। खासकर विवाहित महिलाओं के लिए चूड़ियां सौभाग्य का प्रतीक होती हैं।
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सुहाग की निशानी – लाल, हरी और सुनहरी चूड़ियां शादीशुदा महिलाओं के सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं।
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संतान और पति की दीर्घायु – माना जाता है कि कांच की चूड़ियों की खनक से घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जो पति और परिवार के स्वास्थ्य के लिए शुभ होती है।
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त्योहार और व्रतों में चूड़ियों का स्थान – करवा चौथ, तीज और सावन जैसे पर्वों में महिलाएं विशेष रूप से रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Reasons Behind Wearing Bangles)
भारतीय परंपराएं सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि गहराई में वैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ी हैं।
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रक्त संचार (Blood Circulation) – चूड़ियां पहनने से कलाई के आस-पास रक्त संचार में सुधार होता है। घर्षण के कारण शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है।
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ऊर्जा का संचार (Energy Retention) – चूड़ियों का गोल आकार शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को वापस शरीर में प्रवाहित करता है, जिससे ऊर्जा व्यर्थ नहीं जाती।
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तनाव में कमी (Stress Reduction) – चूड़ियों की खनक से उत्पन्न ध्वनि तरंगें मन को शांत करती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं।
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सकारात्मक स्पंदन (Positive Vibrations) – खासकर कांच की चूड़ियों की ध्वनि “सत्त्विक तरंगें” उत्पन्न करती है, जिससे मन और वातावरण दोनों शुद्ध होते हैं।
गर्भवती महिलाओं को चूड़ियां क्यों पहनाई जाती हैं? (Why Pregnant Women Are Made to Wear Bangles)
भारतीय परंपरा में गोदभराई के समय गर्भवती महिलाओं को चूड़ियां पहनाने की रस्म होती है। इसके पीछे भी सुंदर कारण हैं —
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चूड़ियों की आवाज़ गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क विकास में सहायक मानी जाती है।
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ये ध्वनि मां के मन को भी शांत और प्रसन्न रखती है, जिससे गर्भस्थ शिशु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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यह रस्म मां और बच्चे दोनों के लिए शुभ मानी जाती है।
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रंगों का महत्व (Significance of Bangle Colors)
हर रंग की चूड़ी का अपना अलग अर्थ और प्रभाव होता है —
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लाल – प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक।
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हरा – सौभाग्य और नई शुरुआत का संकेत।
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पीला – आनंद और बुद्धिमत्ता का प्रतीक।
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नीला – विश्वास और स्थिरता का संकेत।
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सफेद – पवित्रता और नई शुरुआत का प्रतीक।
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काला – नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
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सुनहरी (Gold) – समृद्धि और शक्ति प्रदान करती है।
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चांदी (Silver) – ठंडक और स्थिरता का प्रतीक है।
कांच की चूड़ियों का प्रभाव (Power of Glass Bangles)
कांच की चूड़ियों को सबसे पवित्र और ऊर्जावान माना गया है।
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जब ये आपस में टकराती हैं, तो सकारात्मक ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं।
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ये तरंगें महिलाओं के शरीर में क्रीयाशक्ति (Energy of Action) बढ़ाती हैं।
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माना जाता है कि इससे महिला के अंदर की शक्ति तत्व (Shakti Tattva) सक्रिय होता है।
चूड़ियों की संख्या का भी महत्व है (Significance of Number of Bangles)
पुराणों में बताया गया है कि चूड़ियों की संख्या भी शक्ति को प्रभावित करती है —
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3 चूड़ियां – तारक शक्ति (सुरक्षा देने वाली ऊर्जा)।
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6 चूड़ियां – तारक-मारक शक्ति (सुरक्षा और नकारात्मकता को समाप्त करने वाली ऊर्जा)।
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8 चूड़ियां – मारक-तारक शक्ति (आध्यात्मिक सुरक्षा)।
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12 चूड़ियां – पूर्णता और शक्ति का प्रतीक।
आधुनिक दौर में चूड़ियों का महत्व (Modern Relevance of Wearing Bangles)
आज भले ही कई महिलाएं चूड़ियों को सिर्फ फैशन के तौर पर पहनती हों, लेकिन इसके पीछे का अर्थ बहुत गहरा है।
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यह सिर्फ सजावट का गहना नहीं, बल्कि नारीत्व और ऊर्जा का प्रतीक है।
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चूड़ियों से जुड़ा “खनकता संगीत” घर की खुशहाली और स्त्री की पहचान है।
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फैशन की दुनिया में भी अब इको-फ्रेंडली और हस्तनिर्मित चूड़ियों का चलन बढ़ रहा है।
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प्लास्टिक की चूड़ियों से बचें (Avoid Plastic Bangles)
आजकल बाजार में मिलने वाली प्लास्टिक की चूड़ियां न तो पर्यावरण के लिए अच्छी हैं और न ही शरीर के लिए लाभकारी।
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इनमें ऊर्जा संचरण नहीं होता।
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ये न तो सकारात्मक कंपन उत्पन्न करती हैं, न ही ध्वनि ऊर्जा।
इसलिए हमेशा कांच, धातु, शंख या सोने की चूड़ियों को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष (Conclusion)
महिलाओं के हाथों की चूड़ियां केवल सजावट का गहना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंत परंपरा हैं।
इनकी खनक में छिपी है – सौंदर्य, आस्था और विज्ञान का अद्भुत संगम।
चूड़ियां पहनना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि अपने नारीत्व, ऊर्जा और संस्कृति से जुड़ाव की भावना है।
आज भी जब किसी महिला की कलाई में चूड़ियों की खनक सुनाई देती है, तो मानो वो हमारे संस्कारों की गूंज बन जाती है — जो हमें हमारी जड़ों की याद दिलाती है।
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