उत्तराखंड ने अपनी स्थापना के बाद 25 वर्षों में अनेक चुनौतियों और उपलब्धियों का सामना किया है। देवभूमि के रूप में प्रतिष्ठित यह राज्य विकास की दिशा में कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ा, वहीं कुछ क्षेत्रों में अभी भी सुधार की जरूरत महसूस की जा रही है। इस विशेष रिपोर्ट में हम उत्तराखंड के विकास का अवलोकन करेंगे और उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान देंगे जिन पर और काम की आवश्यकता है।
1. आर्थिक विकास और औद्योगिक प्रगति
उत्तराखंड ने पिछले 25 वर्षों में अपने आर्थिक ढांचे में सुधार के कई प्रयास किए हैं:
- विनिर्माण क्षेत्र: हरिद्वार, रुद्रपुर और सिडकुल औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कई बड़े ब्रांड्स और कंपनियों ने यहां निवेश किया है, जिससे जीएसडीपी में बढ़ोतरी देखी गई।
- पर्यटन उद्योग: पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार है। चारधाम यात्रा, औली में स्कीइंग, नैनीताल-मसूरी जैसे पहाड़ी स्थलों ने राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है। इसके चलते स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
- चुनौतियां: उद्योगों का विकास मुख्य रूप से मैदानी इलाकों तक सीमित है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार की कमी बनी हुई है। यहां निवेश आकर्षित करना और आधारभूत संरचना का विकास आवश्यक है।
2. कृषि एवं ग्रामीण विकास
- कृषि एवं उद्यानिकी: राज्य में फसल विविधीकरण और जैविक खेती को प्रोत्साहन मिला है। सेब, माल्टा, चौलाई, और मंडुआ जैसी फसलों की खेती ने किसानों की आय में सुधार किया है।
- महिला सशक्तिकरण: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार में जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया है। महिला समूह अब उत्पादों के निर्माण और विपणन में जुटे हैं।
- चुनौतियां: कृषि में आधारभूत ढांचे और सिंचाई की सुविधा में सुधार की आवश्यकता है। पलायन रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा देना जरूरी है।
3. बुनियादी ढांचा और यातायात
- सड़क और हवाई संपर्क: चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, और पंतनगर हवाईअड्डे का विस्तार राज्य में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सहायक रहा है।
- ग्रामीण संपर्क: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में सड़कों का विस्तार किया गया, जिससे दूरस्थ गांवों की पहुंच बेहतर हुई है।
- चुनौतियां: पहाड़ी क्षेत्रों में आवागमन की समस्याएं आज भी हैं। बरसात और भूस्खलन के कारण आवागमन में रुकावटें आती हैं। सड़क निर्माण की गुणवत्ता और रखरखाव पर ध्यान देने की जरूरत है।
4. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति
- शिक्षा: राज्य में स्कूलों और महाविद्यालयों की संख्या बढ़ाई गई है। देहरादून और हल्द्वानी जैसे शहरों में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना से छात्रों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा मिल रही है।
- स्वास्थ्य सेवाएं: सरकार ने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप-स्वास्थ्य केंद्र खोले हैं। टेलीमेडिसिन सेवा के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को भी चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिला है।
- चुनौतियां: दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षण और स्वास्थ्य सेवाओं में विशेषज्ञता की कमी है। उच्च शिक्षा और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं अभी भी राज्य के कुछ हिस्सों तक सीमित हैं।
5. पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन
- वन संरक्षण: राज्य ने वन क्षेत्र को बनाए रखने और हरियाली को संरक्षित करने की दिशा में कई पहलें की हैं। वन विभाग द्वारा वनीकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया है।
- जल संरक्षण: ‘हर घर जल’ मिशन और जल संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। नदियों और जल स्रोतों का संरक्षण एक प्रमुख विषय है।
- चुनौतियां: जलवायु परिवर्तन और अतिवृष्टि से भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है।
6. स्वच्छता और सामाजिक कल्याण
- स्वच्छ भारत मिशन: प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान के तहत राज्य में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। कई सार्वजनिक स्थलों और मंदिर परिसरों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है।
- सामाजिक कल्याण: राज्य सरकार ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं की शुरुआत की है। वृद्धावस्था पेंशन और महिला सहायता योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
7. वर्तमान में ध्यान देने योग्य क्षेत्र
- पलायन: पहाड़ी क्षेत्रों से निरंतर पलायन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। रोजगार के अवसरों की कमी और आधारभूत सुविधाओं की कमी ने पलायन को बढ़ावा दिया है।
- शहरीकरण और प्रदूषण: मैदानी क्षेत्रों में शहरीकरण के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ा है। पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ स्मार्ट शहरी विकास की जरूरत है।
- दीर्घकालिक योजना: राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर देना आवश्यक है।
उत्तराखंड का भविष्य
उत्तराखंड अपनी स्थापना के 25 वर्षों में कई क्षेत्रों में अग्रसर रहा है, फिर भी कई चुनौतियों का समाधान अभी भी बाकी है। राज्य सरकार ने अपनी योजनाओं में जनसहभागिता को शामिल करते हुए एक समावेशी विकास मॉडल अपनाने की कोशिश की है। आगामी वर्षों में, यदि उत्तराखंड पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने, पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालिक रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, तो यह राज्य विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ेगा और “उत्तराखंड का दशक” कहलाएगा।
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