रुद्रप्रयाग, 20 नवंबर: पंचकेदारों में द्वितीय केदार के रूप में प्रतिष्ठित श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया और परंपरागत अनुष्ठानों के साथ कपाट बंद किए गए।
कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली और देव निशानों ने ढोल-दमाऊं की धुन और श्रद्धालुओं के जयघोष के बीच प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया। इस मौके पर 250 से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कपाट बंद होने से पूर्व विशेष पूजा-अर्चना:
कपाट बंद होने से एक दिन पहले मंदिर में यज्ञ-हवन का आयोजन किया गया। आज सुबह 4:30 बजे प्रातःकालीन पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। इसके उपरांत पुजारी टी. गंगाधर लिंग जी ने प्रभारी अधिकारी श्री यदुवीर पुष्पवान की उपस्थिति में शिवलिंग को समाधि स्वरूप में ले जाने की प्रक्रिया पूरी की। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, फल, और अक्षत से ढक दिया गया।
शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान:
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली आज गौंडार में रात्रि विश्राम करेगी। 21 नवंबर को डोली राकेश्वरी मंदिर, 22 नवंबर को गिरिया में प्रवास करेगी और 23 नवंबर को श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ पहुंच जाएगी।
23 नवंबर को मद्महेश्वर मेला का आयोजन:
भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में शुरू होगी। इसी दिन प्रमुख रूप से मद्महेश्वर मेला भी आयोजित होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
आधिकारिक उपस्थिति और व्यवस्थाएं:
कपाट बंद होने के अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष श्री अजेंद्र अजय और उपाध्यक्ष श्री किशोर पंवार ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। मुख्य कार्याधिकारी श्री विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस बार 18,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
मौके पर प्रभारी अधिकारी श्री यदुवीर पुष्पवान, ओंकारेश्वर मंदिर प्रभारी श्री रमेश नेगी, मंदिर समिति के कर्मी, हक-हकूकधारी, वन विभाग के कर्मचारी और कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।
विशेष सजावट:
मद्महेश्वर मेले के लिए श्री ओंकारेश्वर मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति के अनुसार, मेले की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
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