जोशीमठ/पांडुकेश्वर: विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात्रि को शीतकाल हेतु बंद हो गए थे। इसके बाद आज, 18 नवंबर को सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों और बदरी विशाल के उद्घोष के बीच आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी को योग बदरी पांडुकेश्वर से भव्य समारोह के साथ श्री नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ स्थान पर पहुंचाया गया।
इस अवसर पर श्री नृसिंह मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था, जिससे मंदिर परिसर का सौंदर्य और भी बढ़ गया। यह यात्रा वर्ष की श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन था, जो भक्तों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव लेकर आई।
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श्रद्धालुओं द्वारा भव्य स्वागत: देव डोली के साथ, श्रद्धालुओं ने जगह-जगह पर शीतकालीन यात्रा के इस अंतिम चरण का स्वागत किया। उद्धव जी और कुबेर जी शीतकाल में पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे, और इस दौरान वहां पर धार्मिक गतिविधियाँ जारी रहेंगी। सोमवार, 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद, आज आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी रावल, धर्माधिकारी वेदपाठी और अन्य श्रद्धालुजनों के साथ श्री नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ पहुंच गई।
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