श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल: श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से जुड़े बेस अस्पताल श्रीकोट में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। 16 नवंबर 2024, शनिवार को डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने और डायलिसिस यूनिट के बंद होने से मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मामले ने तब तूल पकड़ा जब डॉक्टरों और स्थानीय लोगों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
डॉक्टरों ने हड़ताल के दौरान आरोप लगाया कि अस्पताल में उनकी सुरक्षा खतरे में है। उनका कहना है कि कुछ लोगों ने डॉक्टरों के आवास में आगजनी की और उन्हें धमकाने की कोशिश की। इस घटना के विरोध में डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार कर दिया, हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू रहीं।
डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पताल में आए मरीज और उनके परिजन परेशान हो गए। दूर-दराज से आए मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
डायलिसिस यूनिट लंबे समय से बंद रहने के कारण मरीज पहले से ही नाराज थे। प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल प्रबंधन पर झूठे आरोप लगाने का दावा करते हुए कहा कि उनके किसी सदस्य ने डॉक्टरों के साथ अभद्रता या आगजनी नहीं की। उन्होंने स्वीकार किया कि विरोध स्वरूप पुतला जरूर जलाया गया था, लेकिन इसे गलत रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि महीनों से बंद डायलिसिस यूनिट के कारण मरीजों को देहरादून या ऋषिकेश जाना पड़ रहा है। इससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।
स्थिति बिगड़ते देख उपजिलाधिकारी नूपुर वर्मा ने अस्पताल पहुंचकर अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों और प्रदर्शनकारी स्थानीय लोगों से वार्ता की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि डायलिसिस यूनिट को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा और फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
इस दौरान स्थानीय लोगों ने डॉक्टरों द्वारा ओपीडी बंद करने पर आपत्ति जताई और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अस्पताल में तनावपूर्ण माहौल के बीच सभी पक्षों से संयम बनाए रखने की अपील की गई है।
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