
Uttarakhand Scholarship Scam 2025: सीएम धामी ने दिए एसआईटी जांच के आदेश, 92 संस्थाएं संदेह के घेरे में
Uttarakhand Scholarship Scam 2025: उत्तराखंड में एक बार फिर छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है, जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बार मामला अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना से जुड़ा है, जिसमें दर्जनों संस्थाओं पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए छात्रवृत्ति की राशि हड़पने का आरोप है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है।
क्या है मामला? (what is Uttarakhand Scholarship Scam 2025)
दरअसल, केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के तहत स्कूलों और कॉलेजों को छात्रों की पढ़ाई के लिए वित्तीय मदद दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को शिक्षा से जोड़ना और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करना है। लेकिन कुछ संस्थानों ने इस योजना को अपनी कमाई का जरिया बना लिया। शुरुआती जांच में सामने आया कि कई संस्थाओं ने फर्जी दस्तावेज बनाकर छात्रों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई और उनके नाम पर लाखों रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली।
कहां-कहां हुए घोटाले?
केंद्र सरकार के 2021-22 और 2022-23 सत्र के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड की कुल 92 संस्थाएं जांच के दायरे में हैं। इनमें से 17 संस्थाओं में अनियमितताओं की पुष्टि हो चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ संस्थानों ने स्कूल को मदरसे के रूप में दिखाकर फर्जी तरीके से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति प्राप्त की।
उधमसिंह नगर जिले के सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा में भी इसी तरह का घोटाला सामने आया है। जांच में पता चला कि इस स्कूल को मदरसा बताकर यहां 154 मुस्लिम बच्चों के नाम से छात्रवृत्ति ली गई, जबकि असलियत में यह स्कूल अल्पसंख्यक संस्थान के तहत आता ही नहीं है।
कैसे हुआ खुलासा?
छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज आवेदनों की जांच के लिए उधमसिंह नगर जिले के 796 बच्चों के दस्तावेज मंगाए गए थे। इनमें से 456 बच्चों के प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए। इसके अलावा काशीपुर, हरिद्वार, नैनीताल और रुद्रप्रयाग में भी कुछ संस्थाओं के खिलाफ प्रमाण मिले हैं। केंद्र सरकार ने इस घोटाले की जांच सात बिंदुओं पर करने को कहा है। इनमें फर्जी मामलों की पहचान और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है।
मुख्यमंत्री का कड़ा संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा कि छात्रवृत्ति जैसी कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों की भी भूमिका की जांच होगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में चल रही छात्रवृत्ति योजनाओं की गहन समीक्षा करें और जरूरत पड़ने पर नए सिरे से सत्यापन कराएं।
आगे की कार्रवाई
अब एसआईटी इस घोटाले की पूरी परतें खोलेगी। जिन संस्थाओं पर घोटाले के आरोप हैं, उनके संचालकों, प्रबंधकों और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ होगी। इसके अलावा छात्रों के नाम, आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्रों का भी दोबारा मिलान किया जाएगा। खास बात यह है कि 72 अन्य कॉलेजों के छात्रों का भी सेकंड राउंड वेरिफिकेशन होगा ताकि कोई फर्जीवाड़ा छूट न जाए।
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था को झकझोर देने वाला मामला है। छात्रवृत्ति का मकसद जरूरतमंद छात्रों को पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद देना है, लेकिन कुछ लोग इसे अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं। उम्मीद है कि एसआईटी की जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और आगे से ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी। इस घोटाले ने साफ कर दिया है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना कोई भी कल्याणकारी योजना सफल नहीं हो सकती।
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