
नैनीताल: उत्तराखंड में दुष्कर्म के बाद किशोरी हुई गर्भवती, परिजनों ने किया बाल विवाह
नैनीताल: हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया है। यहां 16 साल की एक किशोरी के साथ दुष्कर्म हुआ, और जब वो गर्भवती हो गई तो परिजनों ने समाज के डर से उसी युवक से उसकी शादी करा दी। लेकिन अब यह राज खुल चुका है और पुलिस ने आरोपी युवक के साथ-साथ किशोरी के माता-पिता के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया है।
मामला बनभूलपुरा थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, मोहल्ले में रहने वाले करीब 20 साल के युवक का पास ही रहने वाली 16 साल की लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और संबंध बनने के बाद लड़की गर्भवती हो गई। जब घरवालों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने समाज में बदनामी से बचने के लिए वही पुराना तरीका अपनाया — शादी। किशोरी का निकाह उसी युवक से करा दिया गया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। आरोपी युवक की मां ने ही 12 जून को पुलिस को तहरीर देकर इस पूरे मामले का खुलासा कर दिया। महिला ने शिकायत में लिखा कि नाबालिग लड़की का निकाह कराया गया है, जो कानून के खिलाफ है। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और केस की जिम्मेदारी उपनिरीक्षक हेमंत प्रसाद को सौंपी गई।
जांच के दौरान जब दस्तावेजों की जांच हुई तो पुलिस के होश उड़ गए। पता चला कि लड़की की उम्र महज 16 साल 9 महीने है और वह चार महीने की गर्भवती भी है। इसी के बाद एएसआई हेमंत प्रसाद की तहरीर पर पुलिस ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए —
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किशोरी के माता-पिता के खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत,
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और युवक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम क्या कहता है?
भारत में शादी की न्यूनतम उम्र लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष तय है। इसके बावजूद अगर कोई नाबालिग की शादी कराता है तो यह सीधा कानून का उल्लंघन है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 इसी तरह के मामलों को रोकने के लिए लाया गया था।
इस कानून के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर 2 साल की जेल या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। वहीं अगर कोई दोबारा ऐसा अपराध करता है तो सजा 10 साल तक भी बढ़ सकती है।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
पॉक्सो (POCSO) यानी Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012 — यह कानून बच्चों (18 साल से कम उम्र) के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने और अपराधियों को सख्त सजा देने के लिए बनाया गया है। इसमें पीड़ित कोई भी बच्चा — लड़का या लड़की — हो सकता है।
इस एक्ट के तहत यौन शोषण, दुष्कर्म, उत्पीड़न या किसी भी तरह के यौन अपराध में शामिल पाए जाने वाले व्यक्ति को कठोर सजा दी जाती है।
समाज के डर में दब गई एक और आवाज
इस पूरे मामले ने एक बार फिर समाज के उस डर और दिखावे को उजागर किया है, जहां “इज्जत बचाने” के नाम पर बच्चियों का भविष्य दांव पर लगा दिया जाता है। कानून चाहे कितना भी सख्त क्यों न हो, अगर समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी तो ऐसी घटनाएं रुकना मुश्किल है।
अब पुलिस जांच में जुटी है, और उम्मीद है कि नाबालिग पीड़िता को न्याय जरूर मिलेगा।
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