
तीसरा नेत्र चक्र क्या है? (What is Third Eye Chakra?)
Third Eye Chakra: तीसरा नेत्र चक्र जिसे संस्कृत में “आज्ञा चक्र” कहा जाता है, हमारे शरीर के सात प्रमुख चक्रों में छठा चक्र है। यह हमारे माथे पर, दोनों भौहों के बीच स्थित होता है। इस स्थान को “तीसरा नेत्र” कहा जाता है क्योंकि यह हमें भौतिक जगत से परे देखने की क्षमता देता है।
आज्ञा चक्र हमारे अंतर्ज्ञान, स्मरण शक्ति, रचनात्मकता और ज्ञान का केंद्र माना जाता है। यह चक्र हमें आत्म-चेतना से जोड़ता है और सही निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। इसका रंग नीला-बैंगनी (नीलाभ) होता है और इसका बीज मंत्र “ॐ” या “शं” है। हिंदू धर्म में इस चक्र का संबंध अर्धनारीश्वर से माना जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती का संयुक्त रूप हैं — संतुलन और एकता का प्रतीक।
आज्ञा चक्र का स्थान और तत्व (Location and Element of Third Eye Chakra)
आज्ञा चक्र हमारे माथे के मध्य में, आंखों के ठीक बीच स्थित होता है। यह स्थान “प्रकाश तत्व” से जुड़ा होता है। प्रकाश यहां ज्ञान और जागरूकता का प्रतीक है। जहां पहले के पांच चक्र हमारे शरीर की भौतिक आवश्यकताओं से जुड़े हैं, वहीं यह छठा चक्र हमें आत्मिक और मानसिक ऊंचाई की ओर ले जाता है।
हमारे शरीर में तीन प्रमुख नाड़ियाँ होती हैं — इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। इड़ा चंद्रमा, पिंगला सूर्य और सुषुम्ना अग्नि से संबंधित है। आज्ञा चक्र इन तीनों का संगम बिंदु है, इसलिए यह हमें संतुलन, स्पष्टता और आंतरिक दृष्टि प्रदान करता है। जब यह चक्र खुलता है, तो व्यक्ति अपने भीतर की आवाज़ को सुन पाता है, जिसे हम “अंतर्ज्ञान” कहते हैं।
संतुलित आज्ञा चक्र के लाभ (Benefits of Balanced Third Eye Chakra)
जब तीसरा नेत्र चक्र संतुलित होता है, तब व्यक्ति के विचार और निर्णय एकदम स्पष्ट होते हैं। वह भ्रमित नहीं होता और अपने लक्ष्यों के प्रति एकाग्र रहता है।
संतुलित आज्ञा चक्र के प्रमुख लाभ हैं –
निर्णय क्षमता में सुधार: व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
रचनात्मकता का विकास: मन कल्पनाशील और सृजनात्मक बनता है।
अंतर्ज्ञान की वृद्धि: बिना कहे बातों को समझने और भविष्य का अनुमान लगाने की क्षमता विकसित होती है।
मानसिक स्थिरता: तनाव, चिंता और भ्रम से मुक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक ज्ञान: व्यक्ति जीवन के गहरे अर्थों को समझने लगता है।
जब यह चक्र पूरी तरह खुलता है, तब व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त होता है — यानी वह अपनी आत्मा से जुड़ जाता है।
असंतुलित आज्ञा चक्र के प्रभाव (Effects of Imbalanced Third Eye Chakra)
यदि आज्ञा चक्र अत्यधिक सक्रिय या अवरुद्ध हो जाए, तो मन और शरीर दोनों पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।
अधिक सक्रिय चक्र के लक्षण:
अत्यधिक सोच-विचार या कल्पनाएं
नींद में बाधा या बुरे सपने
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
सिरदर्द या माइग्रेन
अवरुद्ध चक्र के लक्षण:
स्मरण शक्ति कमजोर होना
आत्मविश्वास की कमी
आंखों की रोशनी में कमी
भय, भ्रम या असुरक्षा की भावना
रचनात्मकता और सोचने की शक्ति में गिरावट
लंबे समय तक यह असंतुलन बना रहने पर व्यक्ति मानसिक थकान, अवसाद, अनिद्रा या भ्रम जैसी समस्याओं का सामना करता है।
आज्ञा चक्र को संतुलित करने के उपाय (Ways to Balance Third Eye Chakra)
आज्ञा चक्र को सक्रिय और संतुलित करने के लिए कई उपाय हैं जो शरीर और मन दोनों को शांत करते हैं। ये उपाय धीरे-धीरे आपकी आंतरिक दृष्टि को जागृत करते हैं।
1. मंत्र जाप (Chanting of Mantra)
आज्ञा चक्र का बीज मंत्र “ॐ” या “शं” है। प्रतिदिन प्रातः और रात्रि के समय शांत मन से इन मंत्रों का 108 बार जाप करें।
यह मंत्र शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालकर मन में शांति और संतुलन लाता है।
मंत्र जाप के दौरान यह भावना रखें —
“मैं सत्य के मार्ग पर चलता हूँ और अपने भीतर की शक्ति को पहचानता हूँ।”
2. नेत्र व्यायाम (Eye Exercises)
आंखें इस चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आंखों के माध्यम से हम केवल बाहरी दुनिया ही नहीं, बल्कि आंतरिक संसार भी देख सकते हैं।
कुछ सरल नेत्र व्यायाम –
सीधे बैठें और दाईं-बाईं ओर देखें।
ऊपर-नीचे दृष्टि घुमाएं।
अपनी भौंहों के बीच ध्यान केंद्रित करें।
हथेलियों को रगड़कर आंखों पर रखें।
रोजाना 2-3 मिनट इन अभ्यासों को करने से आंखों की थकान दूर होती है और मस्तिष्क में नई ऊर्जा का संचार होता है।
3. योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama)
योग शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाता है। कुछ विशेष आसन आज्ञा चक्र के लिए बहुत उपयोगी हैं, जैसे –
सर्वांगासन (Shoulder Stand) – यह सिर में रक्त प्रवाह बढ़ाता है।
बालासन (Child’s Pose) – मन को शांत और स्थिर करता है।
भ्रामरी प्राणायाम (Bee Breath) – मस्तिष्क को सुकून देता है।
नाड़ी शोधन (Alternate Nostril Breathing) – ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करता है।
गरुड़ासन (Eagle Pose) – एकाग्रता और संतुलन बढ़ाता है।
इनका नियमित अभ्यास आज्ञा चक्र की ऊर्जा को संतुलित रखता है।
4. ध्यान साधना (Meditation Practice)
ध्यान यानी अपने भीतर झांकना। यह तीसरे नेत्र को सक्रिय करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
आराम से बैठें, आंखें बंद करें और भौंहों के बीच के स्थान पर ध्यान केंद्रित करें। धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। जब मन स्थिर हो जाए, तो अपने भीतर के “उच्च आत्म” से जुड़ने का प्रयास करें।
इस साधना से मन में स्पष्टता आती है और भ्रम समाप्त होता है। ध्यान के अंत में “ॐ” का उच्चारण तीन बार करें।
5. प्रकाश चिकित्सा (Light Therapy)
सूर्य का प्रकाश आज्ञा चक्र के लिए अत्यंत लाभकारी है।
सुबह के समय आंखें बंद करके कुछ मिनट सूर्य की दिशा में बैठें। इस दौरान अपनी आंखों को हल्के गोलाकार गति में घुमाएं।
यह अभ्यास आंखों के तनाव को कम करता है और मन को तरोताजा बनाता है।
6. क्रिस्टल और अरोमा थेरेपी (Crystal and Aroma Therapy)
कुछ विशेष पत्थर और सुगंधित तेल आज्ञा चक्र की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करते हैं।
क्रिस्टल्स: एमिथिस्ट, लैपिस लाजुली, मूनस्टोन, फ्लोराइट
तेल: चंदन, रोजमेरी, फ्रैंकिन्सेन्स, जुनिपर
ध्यान या योग के समय इनका प्रयोग करने से मन की शुद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
7. संतुलित आहार (Balanced Diet)
आहार हमारे ऊर्जा केंद्रों पर सीधा प्रभाव डालता है। आज्ञा चक्र को मजबूत करने के लिए अपने भोजन में नीले और बैंगनी रंग के फल-सब्जियां शामिल करें, जैसे –
अंगूर, ब्लूबेरी, आलूबुखारा
बैंगन, पत्तागोभी
लैवेंडर चाय या खसखस
इन खाद्य पदार्थों से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सुधरता है और मन शांत रहता है।
आध्यात्मिक दृष्टि में आज्ञा चक्र का महत्व (Spiritual Importance of Third Eye Chakra)
आज्ञा चक्र को “ज्ञान का द्वार” भी कहा जाता है। यह केवल सोचने-समझने की शक्ति नहीं देता, बल्कि व्यक्ति को सच्चे अर्थों में जागृत करता है।
जब यह चक्र खुलता है, तो व्यक्ति के भीतर “दिव्य दृष्टि” उत्पन्न होती है। वह केवल बाहरी रूप नहीं, बल्कि चीज़ों का गहरा अर्थ समझने लगता है। उसे यह अहसास होता है कि सच्चा ज्ञान बाहर नहीं, बल्कि भीतर है।
यह चक्र हमें आत्मा से जोड़ता है और बताता है कि जीवन का उद्देश्य केवल देखना नहीं, बल्कि “समझना” है।
निष्कर्ष (Conclusion)
तीसरा नेत्र चक्र हमारे जीवन में आत्मबोध और जागरूकता का केंद्र है। यह चक्र हमें भौतिक सीमाओं से ऊपर उठकर आत्मिक प्रकाश की ओर ले जाता है। यदि आप नियमित रूप से ध्यान, योग, मंत्र जाप और संतुलित आहार अपनाते हैं, तो आपका आज्ञा चक्र धीरे-धीरे खुलने लगेगा। इससे आपकी सोच स्पष्ट होगी, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी और जीवन में आंतरिक शांति प्राप्त होगी। जब यह चक्र पूर्ण रूप से सक्रिय होता है, तब व्यक्ति के भीतर सत्य का प्रकाश प्रकट होता है — जो उसे न केवल दुनिया को देखने, बल्कि “स्वयं को समझने” की शक्ति भी देता है।
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