
उत्तराखंड के इन तीन हस्तियों को मिला पद्मश्री सम्मान
Padma Shri Award 2025: नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में भारत की राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के तीन विशिष्ट व्यक्तित्वों को पद्मश्री सम्मान 2025 से सम्मानित किया। उत्तराखंड की प्रख्यात समाज सेविका राधा भट्ट को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में, जबकि प्रसिद्ध यात्रा लेखक ह्यूग गैंट्ज़र और उनकी दिवंगत पत्नी कोलीन गैंट्ज़र को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री प्रदान किया गया।
राधा भट्ट: उत्तराखंड की सामाजिक चेतना की प्रतीक
16 अक्टूबर 1933 को उत्तराखंड के एक दूरस्थ क्षेत्र में जन्मीं राधा भट्ट ने अपने जीवन को ग्रामीण महिलाओं और बच्चों की सेवा में समर्पित कर दिया। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही उन्होंने देखा कि लड़कियों के लिए शिक्षा का कोई वातावरण नहीं था। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने सरला बेन के आश्रम ‘लक्ष्मी आश्रम’ में प्रवेश लिया और समाज सेवा के पथ पर चल पड़ीं।
उन्होंने 1961 से 1963 तक पिथौरागढ़ के बौगाड़ गांव में गांधीवादी तकनीकों पर आधारित सामाजिक प्रयोग किया। छोटे संगठनों, बाल गतिविधियों, महिला सशक्तिकरण, जंगलों के संरक्षण, और ग्राम स्वराज्य मंडल की स्थापना जैसे कार्यों के ज़रिये उन्होंने ग्रामीण विकास को गति दी।
राधा भट्ट ने शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में डेनमार्क और स्कैंडिनेवियाई देशों का दौरा किया। 1966 में आश्रम की प्रमुख बनीं और अल्मोड़ा क्षेत्र में शराब के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत सहित अमेरिका, इंग्लैंड, पोलैंड, चीन जैसे देशों में व्याख्यान दिए।
1975 में उन्होंने चिपको आंदोलन में भाग लिया और खनन विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया, जिससे खीराकोट क्षेत्र में 300 एकड़ भूमि बचाई गई और 1.60 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए। 2008 में उन्होंने ‘नदी बचाओ आंदोलन’ चलाया। उन्होंने 79 हजार किलोमीटर से अधिक पदयात्रा कर ग्रामीण महिलाओं को संगठित किया।
वे कई गांधीवादी संस्थाओं में नेतृत्व पदों पर रहीं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों की लेखिका हैं। उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार, गोदावरी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार, मुनि संतबल पुरस्कार और स्वामी राम मानवतावादी पुरस्कार जैसे सम्मान प्राप्त हुए।
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ह्यूग गैंट्ज़र और कोलीन गैंट्ज़र: यात्रा साहित्य की अप्रतिम जोड़ी
ह्यूग गैंट्ज़र भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी और यात्रा वृतांत लेखक हैं। 9 जनवरी 1931 को पटना में जन्मे श्री गैंट्ज़र ने शिक्षा के बाद 1953 में भारतीय नौसेना में प्रवेश किया और 1973 में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने और उनकी पत्नी कोलीन गैंट्ज़र ने भारत के सांस्कृतिक, भाषाई और भौगोलिक विविधताओं की खोज का कार्य शुरू किया।
उन्होंने 3,000 से अधिक लेख, कॉलम और फीचर तथा 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं। दूरदर्शन के लिए यात्रा वृत्तचित्रों ‘लूकिंग बियोंड विद ह्यूग एंड कोलीन गैंट्ज़र’ और ‘टेक अ ब्रेक विद ह्यूग एंड कोलीन गैंट्ज़र’ का निर्माण किया।
ह्यूग गैंट्ज़र का मानना था कि भारतीयों की वंशावली दुनिया में सबसे अधिक विविध है, जिससे हमारे त्योहारों, परंपराओं और हस्तशिल्प की अनूठी विरासत जन्मी है। उन्होंने यात्रा लेखन को शोध, संवेदनशीलता और अनुभव से समृद्ध किया, जिससे भारत की छिपी सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत किया जा सका।
उनकी पत्नी कोलीन गैंट्ज़र एक संवेदनशील और जिज्ञासु लेखिका थीं। उन्होंने भारतीय और वैश्विक पाठकों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ह्यूग गैंट्ज़र ने स्वीकार किया कि लेखन के लिए उन्हें कोलीन से प्रेरणा मिली।
उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें डीसी मेहता पुरस्कार, राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार (भारत सरकार, 2012), पैसिफिक एरिया ट्रैवल एसोसिएशन का गोल्ड अवार्ड, द प्राइड ऑफ द कम्युनिटी अवार्ड और भारत सरकार का राष्ट्रीय पर्यटन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड शामिल हैं।
पद्मश्री सम्मान से सम्मानित राधा भट्ट, ह्यूग गैंट्ज़र और कोलीन गैंट्ज़र ने अपने कार्यों और जीवन दृष्टिकोण से न केवल समाज को प्रेरित किया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चेतना को नई दिशा दी। इनकी यात्रा, लेखन और सेवा की कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेंगी।
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