
kesari chapter 2 review: इतिहास की झलक, लेकिन अधूरी कहानी — अक्षय कुमार और माधवन की परफॉर्मेंस पर भारी स्क्रिप्ट की कमजोरी
kesari chapter 2 review: “केसरी चैप्टर 2” का नाम सुनते ही दिल में एक जोश उठता है। 2019 की सुपरहिट फिल्म केसरी में सिख वीरता की गाथा देखने के बाद दर्शकों को इसके अगले चैप्टर से बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन इस बार फिल्म ने एक और ऐतिहासिक घटना — जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ी गई कानूनी लड़ाई — को केंद्र में रखा है। कहानी है एक बहादुर वकील सर चेत्टूर शंकरण नायर की, जिसने तानाशाही और अन्याय के खिलाफ अदालत में लड़ाई लड़ी।
अफसोस, ये फिल्म ज़्यादा बोलती है, कम दिखाती है। ऐतिहासिकता के नाम पर सतही स्क्रिप्ट, भावनात्मक जुड़ाव की कमी और अक्षय कुमार की मिसकास्टिंग ने फिल्म को महज एक एवरेज एंटरटेनमेंट बना दिया है।
लेखक: साईबल चटर्जी के रिव्यू पर आधारित
रिलीज डेट: 18 अप्रैल, 2025
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)
केसरी चैप्टर 2 की कहानी: एक अधूरी बायोपिक
फिल्म की शुरुआत होती है जलियांवाला बाग हत्याकांड के खौफनाक दृश्यों से। इसके बाद कहानी शिफ्ट होती है सर शंकरण नायर (अक्षय कुमार) की ओर, जो ब्रिटिश सरकार के सदस्य होते हुए भी बाद में उनके खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं।
उन्हें अदालत में जनरल डायर और गवर्नर माइकल ओ’ड्वायर के खिलाफ लड़ना होता है। फिल्म एक कोर्टरूम ड्रामा बन जाती है, जहां देशभक्ति, न्याय और साहस की कहानी सुनाई जाती है।
किरदारों की परफॉर्मेंस: सिर्फ मेहनत से बात नहीं बनती
अक्षय कुमार ने भूमिका को गंभीरता से निभाने की कोशिश की है, लेकिन वे इस किरदार में फिट नहीं बैठते। एक मलयाली वकील, जो कथकली और कलारीपयट्टु का ज्ञाता है, उसकी सांस्कृतिक गहराई फिल्म में कहीं नहीं दिखती। न उनके उच्चारण में मलयाली टच है, न बॉडी लैंग्वेज में।
आर. माधवन ने शराबी और थके हुए वकील नेविल मैकिनले का किरदार निभाया है, जो इंटरवल के बाद आते हैं और अपनी परफॉर्मेंस से जान डाल देते हैं। लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें उड़ान नहीं भरने देती।
अनन्या पांडे एक जुनूनी युवा वकील दिलरीत गिल के रूप में ठीक-ठाक रही हैं। लेकिन उनके किरदार का विकास अधूरा लगता है।
निर्देशन और स्क्रिप्ट: एक मजबूत मुद्दे की कमजोर प्रस्तुति
करण सिंह त्यागी का निर्देशन औसत है। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के बाद की कानूनी लड़ाई को सामने लाने की कोशिश की, लेकिन भावनात्मक गहराई में कमी रह गई।
स्क्रिप्ट में इतिहास के तमाम पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया — जैसे कि नायर का कांग्रेस से जुड़ाव, उनका स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, आदि। फिल्म में दिखाया गया है कि वे ब्रिटिशों के करीब थे और एक घटना के बाद बदल गए, जबकि असल इतिहास इससे कहीं ज़्यादा समृद्ध है।
संदेश और सामाजिक प्रतीक
फिल्म में “Dogs and Indians not allowed” वाला दृश्य भावनात्मक है, पर उसकी गूंज फिल्म भर में नहीं सुनाई देती। कोर्ट में न्याय बनाम जीत की बहस अच्छी लगती है, लेकिन वो भी सिर्फ संवादों तक सीमित रहती है।
फिल्म में मीडिया की आज़ादी, नैरेटिव्स की मैनिपुलेशन और कानून का दुरुपयोग जैसे मुद्दे छुए गए हैं, लेकिन सतह पर ही छोड़ दिए गए।
केसरी चैप्टर 2 का बजट और बॉक्स ऑफिस
फिल्म का अनुमानित बजट करीब ₹100 करोड़ बताया जा रहा है। ओपनिंग डे पर फिल्म ने ₹7.2 करोड़ की कमाई की, जो कि अक्षय कुमार की पिछली फिल्मों से कम है। पहले वीकेंड तक फिल्म ने करीब ₹23 करोड़ का कलेक्शन किया है। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की परफॉर्मेंस औसत मानी जा रही है।
केसरी चैप्टर 2 की रिलीज डेट
18 अप्रैल 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई यह फिल्म जलियांवाला बाग हत्याकांड की बरसी के आसपास लाई गई, जिससे दर्शकों के मन में देशभक्ति की भावना को जोड़ने की कोशिश की गई।
केसरी चैप्टर बनाम केसरी चैप्टर 2
पहलु | केसरी (2019) | केसरी चैप्टर 2 (2025) |
---|---|---|
थीम | सारागढ़ी युद्ध (वीरता) | जलियांवाला बाग कांड के बाद की कानूनी लड़ाई |
मुख्य अभिनेता | अक्षय कुमार | अक्षय कुमार, आर. माधवन |
निर्देशक | अनुराग सिंह | करण सिंह त्यागी |
भावनात्मक जुड़ाव | ज़बरदस्त | अधूरा |
स्क्रिप्ट की मजबूती | ठोस | सतही |
हाइलाइट्स
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जलियांवाला बाग की कहानी को मेनस्ट्रीम में लाना एक साहसी प्रयास।
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आर. माधवन का अभिनय सेकेंड हाफ में फिल्म को थोड़ा संभालता है।
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भावनात्मक और ऐतिहासिक जुड़ाव में कमी।
कमजोरियां
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अक्षय कुमार की मिसकास्टिंग।
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इतिहास के कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी।
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कोर्टरूम ड्रामा के बावजूद थ्रिल का अभाव।
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संवादों में गहराई की कमी।
“केसरी चैप्टर 2” एक ज़रूरी कहानी है, जिसे बेहतर लिखा और दिखाया जा सकता था। यह फिल्म न तो पूरी तरह से कोर्टरूम थ्रिलर बन पाती है, न ही देशभक्ति की भावना को अंदर तक पहुंचा पाती है।
अगर आप इतिहास प्रेमी हैं, तो एक बार देख सकते हैं, पर उम्मीदें ज़्यादा न रखें।
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