
हिमालयन मोनाल (Himalayan Monal)
Himalayan Monal: हिमालयन मोनाल, जिसे इम्पेयजियन मोनाल भी कहा जाता है, हिमालय क्षेत्र के सबसे सुंदर और आकर्षक पक्षियों में गिना जाता है। यह पक्षी अपने चमकीले, धातु जैसे रंगों वाले पंखों के कारण दूर से ही पहचाना जा सकता है। नर मोनाल विशेष रूप से बेहद रंगीन होता है—इसके सिर पर हरे और नीले रंग की चमकदार कलगी, पीठ पर तांबे और सुनहरे रंग के पंख तथा उड़ान के समय दिखाई देने वाला सफेद पिछला भाग इसे अनोखी पहचान देता है। मादा मोनाल अपेक्षाकृत साधारण रंगों वाली होती है, ताकि वह प्राकृतिक वातावरण में आसानी से छिप सके। औसतन मोनाल की लंबाई लगभग 70 सेंटीमीटर होती है और इसका शरीर मजबूत तथा भारी होता है। यह जमीन पर रहने वाला पक्षी है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर तेज़ी से उड़ान भर सकता है। उत्तराखंड में इसे “मोनाल” कहा जाता है और यह राज्य पक्षी भी है, जबकि नेपाल में इसे “डांफे” के नाम से जाना जाता है और यह वहाँ का राष्ट्रीय पक्षी है। सौंदर्य, गरिमा और हिमालयी पहचान—तीनों का संगम मोनाल में दिखाई देता है।
हिमालयन मोनाल का भौगोलिक विस्तार और आवास (Distribution and Habitat)
हिमालयन मोनाल का प्राकृतिक आवास पूरे हिमालयी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका विस्तार अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लेकर भारत, नेपाल, भूटान और दक्षिणी तिब्बत तक देखा जाता है। भारत में यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के ऊँचे पर्वतीय इलाकों में पाया जाता है। मोनाल सामान्यतः 2,400 से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर रहने वाले ओक-देवदार और शंकुधारी जंगलों को पसंद करता है, जहाँ खुले घास के मैदान, चट्टानी ढलान और अल्पाइन घासभूमि मौजूद हों। सर्दियों में यह कुछ नीचे की ओर आ जाता है, जहाँ बर्फ अपेक्षाकृत कम होती है। यह पक्षी बर्फीले इलाकों में भी आसानी से जीवित रह सकता है और भोजन के लिए बर्फ खोदने की क्षमता रखता है। मानव बस्तियों से दूर, शांत और कम छेड़े गए जंगल इसके लिए आदर्श आवास माने जाते हैं। यही कारण है कि मोनाल की उपस्थिति किसी क्षेत्र के स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिक तंत्र का संकेत भी मानी जाती है।
हिमालयन मोनाल का व्यवहार और पारिस्थितिकी (Behaviour and Ecology)
हिमालयन मोनाल का स्वभाव सतर्क लेकिन शांत होता है। यह अधिकतर समय ज़मीन पर भोजन खोजते हुए बिताता है और अपने मजबूत पंजों से मिट्टी या बर्फ खोदकर कंद, जड़ें और कीड़े निकालता है। इसके भोजन में पौधों के कंद, बीज, कोमल पत्तियाँ, कीट और अन्य छोटे अकशेरुकी जीव शामिल होते हैं। सर्दियों में, जब बर्फ चारों ओर फैल जाती है, तब भी मोनाल बर्फ हटाकर भोजन ढूँढ लेता है। यह आमतौर पर अकेले या छोटे समूहों में देखा जाता है। प्रजनन काल में नर मोनाल अपने रंगीन पंखों का प्रदर्शन कर मादा को आकर्षित करता है। पारिस्थितिकी के लिहाज़ से मोनाल जंगलों में कीट नियंत्रण और बीज प्रसार में भूमिका निभाता है। इसकी मौजूदगी पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होती है। हालांकि यह तेज़ उड़ान भर सकता है, लेकिन खतरे की स्थिति में अक्सर छिप जाना या तेज़ी से ढलान की ओर भागना इसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है।
हिमालयन मोनाल का संरक्षण स्थिति और चुनौतियाँ (Conservation)
हिमालयन मोनाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर IUCN द्वारा “Least Concern” श्रेणी में रखा गया है, यानी यह फिलहाल विलुप्ति के कगार पर नहीं है। फिर भी कई क्षेत्रों में इसके सामने गंभीर चुनौतियाँ मौजूद हैं। अवैध शिकार मोनाल के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है, खासकर इसके सिर की चमकीली कलगी के कारण, जिसे पारंपरिक रूप से प्रतिष्ठा और शक्ति का प्रतीक माना जाता रहा है। इसके अलावा सड़क निर्माण, जलविद्युत परियोजनाएँ और बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ इसके प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुँचा रही हैं। पश्चिमी हिमालय में कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि मानव हस्तक्षेप बढ़ने से मोनाल की संख्या प्रभावित होती है। सकारात्मक पहलू यह है कि कई संरक्षित वन क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों में इसकी आबादी स्थिर बनी हुई है। उत्तराखंड में इसे राज्य पक्षी का दर्जा मिलना भी इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। दीर्घकालीन संरक्षण के लिए आवश्यक है कि इसके आवास की रक्षा की जाए और स्थानीय समुदायों को इसके महत्व से जोड़ा जाए।