
Dehradun Uttarakhand: जानें देहरादून का इतिहास, अर्थव्यवस्था, शैक्षणिक संस्थानों से जुडी सभी जानकारी
Dehradun Uttarakhand: देहरादून, जिसे “द्रोण नगरी” भी कहा जाता है, भारत के उत्तराखंड राज्य की शीतकालीन राजधानी तथा सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। यह देहरादून ज़िले का मुख्यालय है और यहाँ की नगर निगम प्रशासनिक व्यवस्था को संभालती है। उत्तराखंड विधानसभा की शीतकालीन बैठकें भी यहीं आयोजित होती हैं।
देहरादून गढ़वाल क्षेत्र का भाग है और यहाँ मंडलीय आयुक्त का कार्यालय भी स्थित है। इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का “काउंटर मैग्नेट” शहर भी माना गया है ताकि दिल्ली की बढ़ती आबादी और प्रवास को संतुलित किया जा सके और हिमालय क्षेत्र में एक स्मार्ट सिटी की स्थापना हो सके।
देहरादून की भौगोलिक स्थिति
देहरादून, हिमालय की तलहटी में स्थित दून घाटी में बसा है। इसके पूर्व में गंगा की सहायक सोंग नदी और पश्चिम में यमुना की सहायक अस्सन नदी बहती हैं। यह शहर अपने मनोरम प्राकृतिक दृश्य और आसपास के पर्यटन स्थलों तक प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है।
देहरादून के शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र
देहरादून एक प्रमुख शैक्षणिक व अनुसंधान केंद्र है। यहाँ स्थित प्रमुख संस्थान:
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भारतीय सैन्य अकादमी (IMA)
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वन अनुसंधान संस्थान (FRI)
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी
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दून स्कूल, वेल्हम गर्ल्स और बॉयज़ स्कूल, ब्राइटलैंड्स स्कूल
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राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC)
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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय
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वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान
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भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS)
इसके अलावा यहाँ सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया का मुख्यालय भी है। दैनिक जागरण और KPMG द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, देहरादून भारत के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक है।
देहरादून की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान
देहरादून अपने बासमती चावल, बेकरी उत्पादों और शांत जीवनशैली के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे “द्रोण का धाम” भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र गढ़वाल नरेशों का केंद्र रहा है। इसे जनवरी 1804 में गोरखा राजाओं ने जीता और फिर ब्रिटिश शासन के अधीन चला गया। भारतीय सशस्त्र बलों की यहाँ प्रमुख उपस्थिति है, जैसे कि गढ़ी कैंट और नौसेना स्टेशन।
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देहरादून का पर्यटन और धार्मिक महत्त्व
देहरादून से अनेक हिमालयी पर्यटक स्थल पास हैं, जैसे:
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मसूरी, धनोल्टी, चकराता, औली, नई टिहरी
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उत्तरकाशी, हर्षिल, चोपता-तुंगनाथ, वैली ऑफ फ्लावर्स, केदारकंठा, हर की दून, हेमकुंड साहिब
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प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल: हरिद्वार, ऋषिकेश
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छोटा चारधाम यात्रा (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ) का मुख्य प्रवेश द्वार भी यही शहर है।
देहरादून नाम की उत्पत्ति (शब्दव्युत्पत्ति)
“देहरादून” दो शब्दों से मिलकर बना है – “देहरा” + “दून”।
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“देहरा” का अर्थ है मंदिर, जो संस्कृत के “देवघर” से बना है।
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“दून” शब्द संस्कृत के “द्रोणि” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “पहाड़ की तलहटी में स्थित घाटी”।
17वीं सदी में सातवें सिख गुरु, गुरु हर राय के पुत्र राम राय ने यहाँ एक गुरुद्वारा स्थापित किया था, जिसे देहरा कहा गया। राम राय को मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के दरबार में भेजा गया था। उनकी स्थायी उपस्थिति के चलते इस क्षेत्र को देहरादून कहा जाने लगा। राम राय के अनुयायी “रामराई” कहे जाते हैं।
ब्रिटिश शासन काल में इस शहर को “देहरा” नाम से जाना जाता था, जो आगे चलकर “दून” से जुड़कर “देहरादून” बना।
देहरादून का धार्मिक महत्त्व और पुराणों में उल्लेख
स्कंद पुराण में देहरादून को केदारखंड का हिस्सा बताया गया है, जो भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। महाभारत काल में यह क्षेत्र द्रोणाचार्य की तपोभूमि था, इसीलिए इसे “द्रोण नगरी” भी कहा जाता है।
देहरादून का इतिहास (History of Dehradun)
दून घाटी, देहरादून, 1850 का दशक
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जिसे प्यार से “दून घाटी” कहा जाता है, का इतिहास रामायण और महाभारत से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध के बाद अपने भाई लक्ष्मण के साथ इस स्थान की यात्रा की थी। देहरादून को ‘द्रोणनगरी’ भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत के प्रसिद्ध गुरु द्रोणाचार्य का जन्म यहीं हुआ था और उन्होंने यहीं निवास किया था।
देहरादून के आसपास प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष मिले हैं, जो रामायण और महाभारत काल की कथाओं से जुड़े हुए हैं। माना जाता है कि ये अवशेष लगभग 2000 साल पुराने हैं। इस क्षेत्र की परंपराएं, साहित्य और संस्कृति महाभारत और रामायण की घटनाओं से गहराई से जुड़ी हुई हैं। महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर के शासकों और सुभाहु के वंशजों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। इसी तरह, ऋषिकेश का भी वर्णन मिलता है, जहां भगवान विष्णु ने ऋषियों की प्रार्थना पर राक्षसों का संहार कर उन्हें भूमि प्रदान की। पास ही स्थित चकराता का भी महाभारत काल में ऐतिहासिक महत्व बताया जाता है।
सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र को सुधानगर कहा जाता था, जिसका वर्णन प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन सांग ने किया है। बाद में यही सुधानगर कालसी के नाम से जाना गया। कालसी में सम्राट अशोक के शिलालेख मिले हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्धि और प्राचीन भारत में इसके महत्व को दर्शाते हैं। हरिपुर क्षेत्र में मिले अवशेष भी राजा रासल के काल की समृद्धि को दर्शाते हैं। यह क्षेत्र गढ़वाल राज्य के अधीन कई शताब्दियों तक रहा।
गढ़वाल नरेश फतेह शाह ने सिख गुरु राम राय को देहरादून में तीन गांव दान में दिए थे। देहरादून को उस समय के पुराने नक्शों में “गुरुद्वारा” के नाम से दर्शाया गया है, जैसे कि वेब का 1808 का नक्शा और जेरार्ड का 1818 का नक्शा। जेरार्ड के नक्शे में इस स्थान को “देहरा या गुरुद्वारा” के रूप में दिखाया गया है। उसी पुराने गुरुद्वारे के आस-पास कई छोटे गांव बसे थे, जो आज देहरादून शहर के मोहल्लों के नाम हैं।
गुरु राम राय दरबार साहिब, जिसकी वर्तमान इमारत का निर्माण 1707 में पूर्ण हुआ, देहरादून का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसका निर्माण गुरु हर राय के ज्येष्ठ पुत्र राम राय द्वारा 1676 में किया गया था, जब उन्होंने इस घाटी में अपना “डेरा” डाला। यही “डेरा” और “दून” मिलकर “देहरादून” बन गया।
मुगल सम्राट औरंगजेब राम राय की चमत्कारिक शक्तियों से प्रभावित होकर गढ़वाल नरेश फतेह शाह को आदेश दिए कि उन्हें हर संभव सहायता दी जाए। प्रारंभ में धमावाला में एक गुरुद्वारा बना, फिर गुरु राम राय दरबार साहिब का निर्माण हुआ। इस इमारत की दीवारों पर कांगड़ा-गुलैर शैली और मुगल कला की झलक मिलती है—चित्रों में देवी-देवता, ऋषि-मुनि, फूल-पत्ते, पशु-पक्षी और बड़े आंखों वाले चेहरे हैं। दरबार के सामने 230×80 फीट का एक विशाल तालाब भी है, जिसे हाल ही में पुनर्जीवित किया गया है।
गढ़वाल राज्य का राजचिह्न यह दर्शाता है कि देहरादून लंबे समय तक गढ़वाल रियासत का हिस्सा था। 1816 में एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद जब अंग्रेजों ने भारत में अपना अधिकार बढ़ाया, तब देहरादून ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना।
इससे पहले, देहरादून पर कई आक्रमण हुए:
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महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण करते हुए देहरादून पर चढ़ाई की।
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तैमूर ने 1368 में आक्रमण किया।
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रोहिल्ला सरदार नजीब-उद-दौला ने 1757 में।
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गुलाम कादिर ने 1785 में।
1804 में खर्बूरा युद्ध में गढ़वाल नरेश प्रद्युम्न शाह और गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राजा प्रद्युम्न शाह मारे गए और देहरादून गोरखा शासन में चला गया। 1806 में काजी अमर सिंह थापा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री भीमसेन थापा के नेतृत्व में देहरादून समेत अल्मोड़ा, पठानकोट, कुमाऊं, गढ़वाल, सिरमौर, शिमला और कांगड़ा पर अधिकार किया।
पूर्व में सिक्किम से दार्जिलिंग तक और पश्चिम में गढ़वाल से पंजाब तक का क्षेत्र नेपाल अधीन हो गया था, लेकिन 1814–1816 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने युद्ध छेड़ दिया। सुगौली संधि के अंतर्गत नेपाल को एक तिहाई क्षेत्र कंपनी को देना पड़ा और 1816 में देहरादून अंग्रेजों के अधीन आ गया। 1827–1828 में अंग्रेजों ने लैंढौर और मसूरी को उपनिवेश बना लिया।
देहरादून में स्थित ‘कैप्टन जॉन वॉर स्मारक’, आज भी सेना द्वारा संरक्षित है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, देहरादून से अत्यधिक प्रेम करते थे और कई बार यहां आए। अपनी मृत्यु से पहले के अंतिम दिन उन्होंने यहीं बिताए। स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस, जो गदर आंदोलन और बाद में आजाद हिंद फौज के प्रमुख नेता थे, उन्होंने भी अपने प्रारंभिक वर्षों में देहरादून को ही अपना आधार बनाया।
स्वतंत्रता के बाद, देहरादून और गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्र यूनाइटेड प्रोविंसेज में मिला दिए गए, जिसे बाद में उत्तर प्रदेश कहा गया। फिर 2000 में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत उत्तराखंड (पूर्व में उत्तरांचल) राज्य की स्थापना हुई और देहरादून को अंतरिम राजधानी बनाया गया।
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देहरादून और अफ़ग़ानिस्तान का ऐतिहासिक रिश्ता
देहरादून और अफ़ग़ानिस्तान का संबंध 19वीं सदी की प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध के बाद जुड़ा, जब अफ़ग़ान शासक दोस्त मोहम्मद ख़ान को अंग्रेज़ों ने निर्वासन में देहरादून भेजा। उन्होंने मसूरी में लगभग 6 साल तक निवास किया। आज मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में स्थित ‘बाला हिसार’ वार्ड का नाम उन्हीं के महल ‘बाला हिसार’ पर रखा गया है।
देहरादून की मशहूर बासमती चावल की किस्म भी इसी अफ़ग़ान कनेक्शन की देन मानी जाती है। कहा जाता है कि दोस्त मोहम्मद ख़ान को पुलाव बहुत पसंद था और निर्वासन के दौरान वे इसकी कमी महसूस करते थे। इसी कारण उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के कुनार प्रांत से बासमती चावल की किस्म को दून घाटी में लाकर बोया। देहरादून के मौसम ने इस किस्म को इतना अनुकूल समर्थन दिया कि यह अफ़ग़ान मूल से भी बेहतर हो गई।
इतिहासकार लोकेश ओहरी के अनुसार, दोस्त मोहम्मद के पोते मोहम्मद याकूब ख़ान ने दून घाटी में बासमती की खेती को प्रोत्साहित किया। उन्होंने पलटन बाज़ार के एक व्यापारी को बासमती के बीज दिए और खेती करने को कहा। इसके बाद यह बासमती पूरे क्षेत्र की विशेषता बन गई।
चालीस वर्ष बाद, द्वितीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध के बाद 1879 में मोहम्मद याक़ूब ख़ान को भी भारत में निर्वासित किया गया। उन्होंने भी अपने दादा की तरह दून घाटी को ही अपनी स्थायी निवासस्थली के रूप में चुना। वे देहरादून में स्थायी रूप से बसने वाले पहले अफ़ग़ान बने। आज का मंगला देवी इंटर कॉलेज उस समय का ‘काबुल पैलेस’ था, जहां याक़ूब ने अपने जीवन के कुछ वर्ष बिताए। उनके परिवार और सेवकों को भी देहरादून लाया गया।
अफ़ग़ान राजपरिवार ने वर्षों तक देहरादून में अपनी उपस्थिति बनाए रखी। अफ़ग़ानिस्तान के अंतिम से पहले राजा मोहम्मद नादिर शाह का जन्म यहीं हुआ था। देहरादून और मसूरी में दो ऐतिहासिक इमारतें – ‘काबुल पैलेस’ और ‘बाला हिसार पैलेस’ आज भी इस संबंध की साक्षी हैं। ये महल, अफ़ग़ान शासकों द्वारा भारत में निर्वासन के दौरान बनाए गए थे और अफ़ग़ान महलों की लघु प्रतिकृतियां माने जाते हैं।
बाला हिसार पैलेस अब मसूरी का वाइनबर्ग ऐलन स्कूल बन चुका है। देहरादून के विरासत प्रेमी घनश्याम ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, “करनपुर स्थित पुलिस थाना पहले याक़ूब का शाही गार्ड रूम था और सर्वे चौक पर स्थित विद्युत कार्यालय, राजसी सेवकों के क्वार्टर हुआ करते थे।”
आज याक़ूब ख़ान के वंशज और उनके पोते सरदार अज़ीम ख़ान का परिवार पूरी तरह देहरादून की मुख्यधारा में समाहित हो चुका है। अफ़ग़ानिस्तान के अंतिम राजा ज़हीर शाह जब अपने जीवन के अंतिम वर्षों में इलाज हेतु दिल्ली आए, तो उन्होंने देहरादून स्थित अपने रिश्तेदारों से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन उस समय परिजन बाहर होने के कारण यह भेंट नहीं हो सकी।
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने भी एक भाषण में उल्लेख किया कि उनकी नानी देहरादून में पली-बढ़ी थीं। उन्होंने कहा, “मैं टैगोर की बात करता हूं क्योंकि मैं अपनी दादी से टैगोर के साहित्य में बड़ा हुआ, जो देहरादून में रहती थीं…।”
आज भी यह संबंध जीवित है। देहरादून को अफ़ग़ान क्रिकेट टीम का दूसरा घरेलू मैदान बनाने की योजना है, और अफ़ग़ान क्रिकेट प्रेमी इस शहर से जुड़े सदियों पुराने रिश्ते को गर्व से याद करते हैं।
देहरादून की भौगोलिक स्थिति
देहरादून शहर मुख्यतः दून घाटी में स्थित है और इसकी ऊँचाई क्लेमेंट टाउन में लगभग 410 मीटर (1,350 फीट) से लेकर मालसी में 700 मीटर (2,300 फीट) तक है, जो शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। औसतन यह समुद्र तल से 450 मीटर (1,480 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। मालसी, जो लघु हिमालय श्रृंखला की शुरुआत है, मसूरी और उससे आगे तक फैली हुई है। देहरादून जिले के जौनसार-बावर पर्वतों की ऊँचाई 3,700 मीटर (12,100 फीट) तक जाती है। मसूरी का पहाड़ी क्षेत्र 1,870–2,017 मीटर (6,135–6,617 फीट) की ऊँचाई तक फैला है। यहाँ की भौगोलिक और मौसम संबंधी स्थितियाँ इस क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। यहाँ अक्सर भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने, अचानक बाढ़, शीत लहर और ओलावृष्टि की घटनाएँ होती रहती हैं।
दून घाटी में रायवाला, ऋषिकेश, डोईवाला, हर्रावाला, देहरादून, हर्बर्टपुर, विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई, सुभाष नगर और क्लेमेंट टाउन जैसे नगर और कस्बे स्थित हैं। इस जिले में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान है, जो हाथियों का प्रमुख आवास है; मसूरी का बेनोग वन्यजीव अभयारण्य तथा आसन कंज़र्वेशन रिज़र्व (आसन बैराज) भी यहाँ स्थित हैं। दून घाटी में तराई और भाबर के जंगल हैं, साथ ही शिवालिक पर्वतमाला और लघु हिमालय श्रेणी भी है, जिसमें मसूरी और चकराता जैसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन हैं। जिले की सीमाएँ उत्तर में हिमालय, दक्षिण में शिवालिक पर्वतमाला की राजाजी श्रृंखला, पूर्व में गंगा नदी और पश्चिम में यमुना नदी से लगती हैं। पर्वतों की तलहटी में सहस्त्रधारा, लाखामंडल, गौतम कुंड, चंद्रबानी, कालसी और डाकपत्थर जैसे दर्शनीय स्थल स्थित हैं।
यह ज़िला दो प्रमुख भागों में विभाजित है — एक ओर मुख्य देहरादून शहर, जो शिवालिक पहाड़ियों से घिरा है, और दूसरी ओर जौनसार-बावर क्षेत्र, जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। उत्तर और उत्तर-पश्चिम में यह जिला उत्तरकाशी और टिहरी गढ़वाल से, पूर्व और दक्षिण-पूर्व में पौड़ी गढ़वाल और गंगा नदी से, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश के शिमला और सिरमौर जिलों, हरियाणा के यमुनानगर जिले और टोंस व यमुना नदियों से घिरा है। दक्षिण की ओर हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले स्थित हैं। यह जिला 30°01′ उत्तरी अक्षांश और 31°2′ उत्तरी अक्षांश तथा 77°34′ पूर्वी देशांतर और 78°18′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला है।
जिले में कुल 6 तहसीलें हैं — देहरादून, चकराता, विकासनगर, कालसी, ट्यूनी और ऋषिकेश; तथा 6 विकासखंड — विकासनगर, चकराता, कालसी, सहसपुर, डोईवाला और राजपुर हैं। जिले में कुल 17 नगर और 764 गाँव हैं, जिनमें से 746 गाँव आबाद हैं और 18 गाँव निर्जन हैं।
देहरादून की नहरें
देहरादून शहर में कभी एक विशाल और सुनियोजित नहर तंत्र था, जो आसपास के गाँवों की सिंचाई करता था और पूरे क्षेत्र में एक शीतल सूक्ष्म जलवायु (माइक्रोक्लाइमेट) बनाए रखता था। सबसे पुरानी राजपुर नहर 17वीं शताब्दी में बनाई गई थी। लेकिन जब वर्ष 2000 में देहरादून को उत्तराखंड की राजधानी घोषित किया गया, तो शहर की सड़कों को चौड़ा करने के उद्देश्य से अधिकांश विरासती नहरों को पाट दिया गया या ध्वस्त कर दिया गया। राजधानी बनने के 15 वर्षों के भीतर, लगभग पूरे शहर का नहर तंत्र या तो खत्म कर दिया गया या ढक दिया गया।
हालांकि, देहरादून के बाहरी क्षेत्रों जैसे लच्छीवाला और मालदेवता में अभी भी कुछ नहरें खुली अवस्था में देखी जा सकती हैं। पर्यावरणविद् और सामाजिक समूह इन नहरों के पुनरुद्धार की माँग कर रहे हैं, क्योंकि ये शहर की पारिस्थितिकी, सौंदर्य, सूक्ष्म जलवायु और शहरी संरचना के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती हैं।
देहरादून की जलवायु
देहरादून की जलवायु आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय (Cwa) प्रकार की है। यह शहर दून घाटी में स्थित है, जहाँ ऊँचाई में भिन्नता के कारण तापमान में काफी अंतर देखा जाता है। पहाड़ी इलाकों में गर्मी का मौसम सुखद रहता है, जबकि दून क्षेत्र में कुछ दिनों के लिए गर्म हवाएं (जिसे लू कहते हैं) चलती हैं और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 °F) तक पहुँच सकता है। सर्दियों में तापमान जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है और सामान्यतः 6 से 20 डिग्री सेल्सियस (43 से 68 °F) के बीच रहता है। बहुत अधिक ठंड के समय में तापमान शून्य से नीचे भी पहुँच जाता है, हालांकि यह आम नहीं है। देहरादून क्षेत्र में औसतन 2,073.3 मिमी (81.63 इंच) वार्षिक वर्षा होती है। अधिकांश वर्षा जून से सितंबर के बीच होती है, जिसमें जुलाई और अगस्त सबसे अधिक वर्षा वाले महीने होते हैं। मानसून के मौसम में भारी और लगातार वर्षा देखने को मिलती है। यहां की उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी, उचित जल निकासी और पर्याप्त वर्षा कृषि के लिए अनुकूल मानी जाती है।
देहरादून जलवायु आँकड़े (1991–2020, अत्यधिक आँकड़े 1901 से वर्तमान तक)
माह | अधिकतम रिकॉर्ड तापमान | औसत अधिकतम | औसत तापमान | न्यूनतम औसत | न्यूनतम रिकॉर्ड | औसत वर्षा (मिमी) | औसत वर्षा दिन | आर्द्रता (%) शाम 5:30 बजे |
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जनवरी | 28.6°C | 19.7°C | 12.7°C | 6.6°C | -1.1°C | 43.5 मिमी | 2.8 दिन | 66% |
फरवरी | 31.2°C | 22.5°C | 15.6°C | 9.2°C | -1.1°C | 57.9 मिमी | 3.8 दिन | 56% |
मार्च | 37.2°C | 27.4°C | 20.1°C | 13.1°C | 2.2°C | 45.8 मिमी | 3.2 दिन | 45% |
अप्रैल | 40.8°C | 32.5°C | 25.2°C | 17.4°C | 7.2°C | 32.9 मिमी | 2.7 दिन | 35% |
मई | 43.1°C | 35.3°C | 28.4°C | 21.2°C | 11.4°C | 51.4 मिमी | 3.8 दिन | 37% |
जून | 43.9°C | 34.1°C | 28.6°C | 23.2°C | 13.1°C | 231.1 मिमी | 10.3 दिन | 55% |
जुलाई | 40.6°C | 30.6°C | 26.9°C | 23.6°C | 12.8°C | 621.6 मिमी | 20.5 दिन | 79% |
अगस्त | 37.2°C | 30.1°C | 26.5°C | 23.1°C | 12.4°C | 714.9 मिमी | 21.6 दिन | 83% |
सितंबर | 36.6°C | 30.1°C | 25.5°C | 21.3°C | 12.8°C | 305.9 मिमी | 12.0 दिन | 77% |
अक्टूबर | 36.1°C | 29.0°C | 22.8°C | 16.3°C | 8.4°C | 38.3 मिमी | 2.1 दिन | 66% |
नवंबर | 31.0°C | 25.5°C | 18.4°C | 11.4°C | 2.8°C | 5.2 मिमी | 0.4 दिन | 68% |
दिसंबर | 28.7°C | 21.7°C | 14.4°C | 7.6°C | 0.0°C | 13.0 मिमी | 1.1 दिन | 69% |
सालाना | 43.9°C | 28.2°C | 22.1°C | 16.1°C | -1.1°C | 2,161.5 मिमी | 84.1 दिन | 62% |
स्रोत: भारतीय मौसम विभाग, टोक्यो जलवायु केंद्र
देहरादून को भारत के “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर” कार्यक्रम में श्रेणी 2 (3 से 10 लाख जनसंख्या वाले शहरों) के तहत 37वें स्थान पर रखा गया है।
देहरादून की जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनुसार, देहरादून शहर की कुल जनसंख्या 5,78,420 थी। इनमें 3,03,411 पुरुष और 2,75,009 महिलाएं थीं। शहर का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 906 महिलाएं है, जबकि बाल लिंगानुपात 873 है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या 80,180 है, जिनमें 50,600 लड़के और 28,580 लड़कियाँ शामिल हैं। देहरादून शहर और इसके विस्तार क्षेत्र में कुल 32,861 झुग्गियाँ हैं, जिनमें लगभग 1,58,542 लोग रहते हैं। यह कुल जनसंख्या का लगभग 27.58% है।
शहर की प्रमुख भाषा हिन्दी है, जो उत्तराखंड की राजकीय भाषा भी है। इसके अलावा यहाँ की क्षेत्रीय भाषाओं में गढ़वाली, जौनसारी और कुमाऊँनी बोली जाती हैं। अन्य प्रमुख भाषाओं में पंजाबी, नेपाली, बांग्ला और तिब्बती-बर्मी शामिल हैं।
धार्मिक दृष्टिकोण से, देहरादून की जनसंख्या में 82.53% हिन्दू, 11.75% मुस्लिम, 3.5% सिख, 1.06% ईसाई, 0.63% जैन, 0.29% बौद्ध, 0.01% अन्य धर्म और 0.24% लोगों ने कोई धर्म नहीं बताया है।
देहरादून की साक्षरता दर 89.32% है, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है। पुरुष साक्षरता 92.65% और महिला साक्षरता 85.66% है। शहर में कुल 4,63,791 साक्षर लोग हैं, जिनमें 2,51,832 पुरुष और 2,11,959 महिलाएं हैं।
देहरादून का शासन और राजनीति
उत्तराखंड राज्य की राजधानी होने के कारण, देहरादून में राज्य सरकार के प्रमुख कार्यालय स्थित हैं। यहाँ विधान सभा (राज्य विधायिका) और राजभवन (राज्यपाल निवास) भी स्थित हैं।
देहरादून शहर गढ़वाल मंडल में आता है, जिसका नेतृत्व गढ़वाल मंडलायुक्त करते हैं, जो एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी होते हैं। ज़िलाधिकारी (डीएम) और कलेक्टर मंडलायुक्त को रिपोर्ट करते हैं। डीएम की सहायता के लिए मुख्य विकास अधिकारी और पाँच अतिरिक्त ज़िलाधिकारी होते हैं – वित्त/राजस्व, नगर, ग्रामीण प्रशासन, भूमि अधिग्रहण और नागरिक आपूर्ति के लिए।
शहर दो लोकसभा क्षेत्रों – टिहरी गढ़वाल और गढ़वाल – के अंतर्गत आता है। टिहरी गढ़वाल से माला राज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा) और गढ़वाल से तीरथ सिंह रावत (भाजपा) सांसद हैं।
इसके अतिरिक्त, देहरादून शहर 2008 की परिसीमन के अनुसार चार विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित है और वहां से चार विधायक चुने जाते हैं।
देहरादून का नगर प्रशासन (Civic Administration)
देहरादून नगर निगम कार्यालय
देहरादून नगर निगम, जिसे नगर निगम देहरादून भी कहा जाता है, शहर की स्थानीय सरकार है। इसकी स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी। दिसंबर 2003 से पहले इसे देहरादून नगरपालिका परिषद कहा जाता था। इसके बाद उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959) (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अंतर्गत इसे नगर निगम के रूप में पुनर्गठित किया गया।
2018 तक यह नगरपालिका 196.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है और लगभग 8,03,983 की आबादी का प्रशासन करती है। वर्ष 2017 में इसके अंतर्गत 72 आसपास के गांवों को शामिल किया गया, जिससे वार्डों की संख्या 60 से बढ़कर 100 हो गई। वर्ष 2020 तक देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं और प्रत्येक वार्ड से एक पार्षद चुना जाता है। निगम के निर्वाचित प्रमुख महापौर होते हैं, जो एक उपमहापौर और 99 अन्य पार्षदों के साथ कार्य करते हैं। महापौर सीधे जनता द्वारा पांच वर्ष के लिए चुना जाता है। जनवरी 2025 तक यह पदभार बीजेपी के सौरभ थपलियाल के पास है।
नगर निगम का कार्यकारी प्रमुख नगर आयुक्त होता है, जो स्थानीय निकायों की संरचना, विकास और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। 2020 तक विनय शंकर पांडे नगर आयुक्त और सोनिया पंत उप नगर आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। निगम में सार्वजनिक निर्माण, संपत्ति कर, स्वास्थ्य, स्ट्रीट लाइट, परियोजना क्रियान्वयन इकाई, सूचना प्रौद्योगिकी और स्वच्छता विभाग शामिल हैं। ASICS रिपोर्ट 2017 के अनुसार, देहरादून नगर निगम अपनी आय बहुत कम उत्पन्न करता है और राज्य सरकार के अनुदान पर अधिक निर्भर रहता है। निगम संपत्ति कर और पार्किंग शुल्क के माध्यम से राजस्व एकत्र करता है।
शहर के नागरिक ढांचे के अन्य पक्षों का प्रबंधन कुछ स्वायत्त संस्थाओं द्वारा किया जाता है, जैसे मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA), विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA), जल संस्थान और जल निगम। ये संस्थाएं देहरादून शहरी समूह के अंतर्गत आने वाली संरचनाओं की देखरेख करती हैं, जिसकी जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 7,14,223 थी।
देहरादून का पुलिस प्रशासन (Police Administration)
उत्तराखंड पुलिस का मुख्यालय देहरादून में स्थित है। राज्य के पुलिस प्रमुख पुलिस महानिदेशक (DGP) होते हैं, जबकि ज़िले का नेतृत्व गढ़वाल के उप महानिरीक्षक (DIG) करते हैं। शहर का मुख्य पुलिस अधिकारी पुलिस अधीक्षक (SP सिटी) होता है, जो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को रिपोर्ट करता है। SSP ही DIG का पद भी संभालते हैं।
देहरादून केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के लखनऊ ज़ोन के अंतर्गत आता है। इसके अतिरिक्त, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) देहरादून की सीमा उत्तराखंड के 13 जिलों तक फैली हुई है।
देहरादून की नागरिक सेवाएँ (Civic Utilities)
देहरादून की जल आपूर्ति (Water Supply)
देहरादून की पीने योग्य जल आपूर्ति मुख्यतः दो स्रोतों – सतही जल और भूमिगत जल – से पूरी होती है। जल आपूर्ति के प्रमुख स्रोत हैं: कौलू खेत झरना, मौसीफॉल, बिंदाल नदी, बीजापुर नहर, और 100 से अधिक ट्यूबवेल। शहर को भूमिगत जल स्तर में गिरावट और रिचार्ज की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जल आपूर्ति का संचालन और रखरखाव उत्तराखंड जल संस्थान (UJS) द्वारा किया जाता है।
देहरादून का ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सीवरेज (Solid Waste Management & Sewerage)
सीवरेज प्रणाली का संचालन और रखरखाव उत्तराखंड जल संस्थान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत भी आंशिक रूप से नियंत्रित किया गया है। एक 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, शहर का केवल 25% भाग सीवर प्रणाली से जुड़ा है। स्मार्ट सिटी के आंकड़ों के अनुसार, यह कवरेज 30% है और इसकी दक्षता केवल 10% है।
देहरादून शहर प्रतिदिन लगभग 350 मीट्रिक टन (3,50,000 किग्रा) ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करता है। पहले यह कचरा सहस्रधारा रोड के डंपिंग ग्राउंड में डाला जाता था, लेकिन 2017 के बाद इसे शिशमबाड़ा स्थित एक केंद्रीयकृत अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र में भेजा जाने लगा जिसकी क्षमता 600 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। हालांकि, यह संयंत्र केवल 100 में से 69 वार्डों को ही कवर करता है और केवल 3% वार्डों में ही 100% स्रोत पर अपशिष्ट का पृथक्करण किया जाता है। नगर निगम द्वारा अपशिष्ट संग्रहण और परिवहन पर प्रतिमाह लगभग एक करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, फिर भी स्रोत पर पृथक्करण की स्थिति काफी कमजोर है। नाथूवाला वार्ड में स्थानीय निवासियों और “फीडबैक फाउंडेशन” नामक NGO के सहयोग से एक पायलट परियोजना शुरू की गई थी, जिसे अब ज़ीरो वेस्ट ज़ोन घोषित कर दिया गया है।
देहरादून की बिजली और संचार (Electricity and Communication)
देहरादून में विद्युत आपूर्ति का संचालन उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) द्वारा किया जाता है। अग्निशमन सेवाएं उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा द्वारा संचालित होती हैं। दूरसंचार सेवाएं बीएसएनएल के अलावा निजी कंपनियों जैसे वोडाफोन, भारती एयरटेल, रिलायंस, आइडिया सेल्युलर और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा प्रदान की जाती हैं।
देहरादून की सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health)
देहरादून में स्वास्थ्य सुविधाएं निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध हैं, जिनमें प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल शामिल है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विशेष दर्जा प्राप्त होने के बावजूद, शहर में चिकित्सा कर्मियों की कमी और वित्तीय सीमाओं के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था संकट में है। अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर के उपकरण कार्यरत नहीं हैं और प्रसव कक्षों की संख्या भी अपर्याप्त है।
देहरादून के प्रमुख अस्पतालों में शामिल हैं:
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दून अस्पताल
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मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
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श्री महंत इन्द्रेश हॉस्पिटल
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हिमालयन हॉस्पिटल
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उत्तरांचल आयुर्वेदिक हॉस्पिटल
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कंबाइंड मेडिकल इंस्टीट्यूट (CMI)
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लूथरा हॉस्पिटल
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प्रेग्नागर सरकारी अस्पताल (राज्य सरकार द्वारा संचालित)
जानें टिहरी रियासत का इतिहास (1815-1949 ई०)
देहरादून की शिक्षा
देहरादून के विद्यालय
देहरादून में विद्यालयों को सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त और सरकारी विद्यालयों में वर्गीकृत किया गया है। ये विद्यालय या तो CBSE, ICSE या CISCE से सम्बद्ध होते हैं, जबकि सरकारी विद्यालय सीधे उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित होते हैं और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करते हैं। विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी या हिंदी होता है।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद राज्य के माध्यमिक विद्यालय छात्रों के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों तथा परीक्षाओं की जिम्मेदारी संभालता है। यह बोर्ड वर्ष 2001 में स्थापित हुआ था और इसका मुख्यालय रामनगर में स्थित है।
देहरादून को “स्कूलों का शहर” कहा जाता है। देहरादून के प्रमुख निजी शैक्षिक संस्थानों में शामिल हैं:
एशियन स्कूल, कंब्रियन हॉल, कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी, द दून स्कूल, एकोल ग्लोबाले इंटरनेशनल गर्ल्स स्कूल, मार्शल स्कूल, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC), सेलाक्वि इंटरनेशनल स्कूल, सेंट जोसेफ एकेडमी, सेंट थॉमस कॉलेज, वेल्हम बॉयज़ स्कूल, वेल्हम गर्ल्स स्कूल, और भारतीय सेना के पब्लिक स्कूल्स। इन स्कूलों में कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हस्तियां पढ़ाई कर चुकी हैं। इनके अतिरिक्त राज्य बोर्ड से संबद्ध अनेक अन्य विद्यालय भी शहर में मौजूद हैं। देहरादून में केंद्र सरकार के कार्यालय अधिक होने के कारण यहां 12 केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalayas) भी स्थित हैं।
देहरादून की उच्च शिक्षा और अनुसंधान
वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute, FRI), देहरादून
माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद छात्र उच्च माध्यमिक सुविधा वाले स्कूलों में दाखिला लेते हैं, जो निदेशालय, CBSE या ICSE से सम्बद्ध होते हैं। कॉलेज किसी न किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होते हैं जो या तो उत्तराखंड में स्थित होते हैं या भारत के अन्य हिस्सों में।
हाल के वर्षों में देहरादून उच्च शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। देहरादून में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में शामिल हैं:
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दून विश्वविद्यालय
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वन अनुसंधान संस्थान (FRI)
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देहरादून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (DIT)
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भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS)
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भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP)
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हिमगिरी ज़ी विश्वविद्यालय
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नवदान्य
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भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII)
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इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (IRDE)
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वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान
देहरादून में स्थित विश्वविद्यालयों में शामिल हैं:
हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय, ICFAI विश्वविद्यालय, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (UPES), स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय, और उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU)।
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की 8 अधीनस्थ संस्थान और लगभग 132 संबद्ध कॉलेज हैं।
वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के परिसर में स्थित है इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (IGNFA), जो भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों को प्रशिक्षण देती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है, जो वन्यजीव अनुसंधान करता है।
देहरादून की चिकित्सा शिक्षा
देहरादून में कुल चार मेडिकल कॉलेज हैं।
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गवर्नमेंट दून मेडिकल कॉलेज (शहर का एकमात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज)
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श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज (हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय से संबद्ध)
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हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय से संबद्ध)
ये मेडिकल कॉलेज देहरादून और आसपास के पहाड़ी इलाकों की जनसंख्या को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय दृष्टिहीन सशक्तिकरण संस्थान (NIEPVD), दृष्टिहीन लोगों की सहायता में अग्रणी है। यह भारत का पहला ऐसा संस्थान है, जहां ब्रेल लिपि की पहली प्रेस स्थापित की गई थी। यह दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षा और सेवा प्रदान करता है।
देहरादून में स्थित अन्य संस्थानों में शामिल हैं:
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लाटिका रॉय फाउंडेशन – जो विकलांग लोगों को शिक्षा, रोजगार और समाज में समावेश के अवसर प्रदान करता है।
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ASK फाउंडेशन – एक शैक्षिक चैरिटी संस्था।
देहरादून की प्रसिद्ध हस्तियाँ
जो देहरादून में जन्मे, पढ़े या कार्यरत रहे:
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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी
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वैज्ञानिक मंजू बंसल और चंद्रमुखी बसु
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लेखक विलियम मैकके ऐटकन
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कवि कंवल ज़ियाई
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वनस्पति वैज्ञानिक डाइट्रिच ब्रैंडिस
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फुटबॉल खिलाड़ी अनिरुद्ध थापा
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DICCI सदस्य राजेश सारैया
देहरादून की अर्थव्यवस्था
देहरादून की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत इसके पर्यटक स्थल हैं। शहर की अर्थव्यवस्था में आसपास के राष्ट्रीय उद्यान, पहाड़ों की चोटियां और ऐतिहासिक स्थल भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार देहरादून की प्रति व्यक्ति आय लगभग $2,993 है। पिछले 20 वर्षों में यहाँ मजबूत आर्थिक विकास देखा गया है। देहरादून ने वाणिज्यिक और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है, जिसका एक बड़ा कारण यहाँ सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (STPI) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) का होना है।
देहरादून में सबसे बड़ा व्यवसाय कृषि है। यहाँ के मुख्य भोजन में चावल और दाल के साथ रायता, दही और सलाद शामिल हैं। देहरादून अपने लीची और विश्व की बेहतरीन बासमती चावल के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ कई राष्ट्रीय महत्व के प्रशिक्षण संस्थान स्थित हैं जैसे कि इंडियन मिलिट्री अकादमी, इंदिरा गांधी नेशनल फॉरेस्ट अकादमी (IGNFA), भारतीय जीववैज्ञानिक सर्वेक्षण (ZSI)। इसके अलावा, राष्ट्रीय संस्थान जैसे कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री देहरादून, इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (IRDE), डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशन लैबोरेटरी (DEAL) और अन्य रक्षा संस्थान भी यहाँ स्थित हैं। अन्य प्रमुख संस्थान हैं भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर विजुअली हैंडिकैप्ड, सेंट्रल सॉयल एंड वाटर कंजर्वेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर, सर्वे ऑफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI), इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (FRI), आर्मी कैडेट कॉलेज और राष्ट्रीय भारतीय मिलिट्री कॉलेज (RIMC)।
प्रमुख रक्षा उत्पादन संस्थानों में ऑर्डनेंस फैक्ट्री देहरादून, ऑर्डनेंस फैक्टरीज बोर्ड की ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री, डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशन लैबोरेटरी और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट शामिल हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लिए उत्पाद बनाते हैं। इनमें से कई संस्थान रायपुर क्षेत्र में स्थित हैं। ऑर्डनेंस फैक्ट्री का परिसर पहाड़ों के बीच में है।
देहरादून का परिवहन
देहरादून का वायु मार्ग
देहरादून एयरपोर्ट, जिसे जोली ग्रांट एयरपोर्ट भी कहा जाता है (IATA: DED, ICAO: VIDN), 30 मार्च 2008 से व्यावसायिक संचालन कर रहा है। यह शहर के केंद्र से 27 किलोमीटर दूर डोईवाला में स्थित है। निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नई दिल्ली में है। 2021-22 में यहाँ से 13,25,931 से अधिक यात्री यात्रा कर चुके हैं, जिससे यह भारत का 33वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा बन गया है। इस एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का विकसित करने की योजना है, जिससे थानो के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में वृक्षों की कटाई के कारण विरोध भी हो रहा है। देहरादून से चिन्नियालिसौर (उत्तरकाशी जिला) और गौचर के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।
देहरादून का रेलमार्ग
देहरादून रेलवे स्टेशन शहर का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। यह नॉर्दर्न रेलवे (NR) क्षेत्र का हिस्सा है। ब्रिटिश शासन में 1899 में स्थापित यह क्षेत्र की नॉर्दर्न रेलवे लाइन का अंतिम स्टेशन है। भारतीय रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (IRSDC) मौजूदा रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास पर काम कर रही है ताकि इन्हें विश्व स्तरीय यात्रा केंद्र बनाया जा सके।
देहरादून का सड़क मार्ग
देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग 7 और राष्ट्रीय राजमार्ग 307 पर स्थित है, जो इसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से जोड़ता है। देहरादून शहर में मुख्य सड़कें दो प्रकार की हैं – एक उत्तरपूर्व से दक्षिण पश्चिम (राजपुर मुख्य मार्ग) और दूसरी उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व (रायपुर, कौलागढ़ और चकराता) की दिशा में। ये सड़कें कई अन्य छोटी सड़क नेटवर्क से जुड़ी हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 फाज़िल्का को मनाला से जोड़ता है, और इसी राजमार्ग पर शिमला बाईपास रोड भी है, जो देहरादून को पौंता साहिब और नाहन होते हुए शिमला से जोड़ता है। शहर के केंद्रीय भाग में, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के आसपास सड़क घनत्व अधिक है। उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC), जो एक सार्वजनिक क्षेत्र की यात्री सड़क परिवहन कंपनी है, राज्य में आंतरिक और अंतर-शहरी बस सेवाएं संचालित करता है। इसके अलावा निजी बस ऑपरेटर भी लगभग 3000 बसों के साथ गैर-राष्ट्रीयकृत मार्गों और कुछ अंतरराज्यीय मार्गों पर सेवा देते हैं। स्थानीय और अंतर-शहरी यात्रा के लिए अन्य साधन हैं सार्वजनिक बसें, ऑटो रिक्शा और साइकिल रिक्शा।
देहरादून की संस्कृति
ग्रेट स्तूप, देहरादून
राजधानी बनने के बाद शिक्षा, संचार और परिवहन के क्षेत्र में निरंतर विकास हुआ है। राज्य की राजधानी होने के नाते, देहरादून में कई सरकारी संस्थान स्थित हैं।
शहर की बसें नीले रंग की पट्टियों से पहचानी जाती हैं। यहाँ ऑटो रिक्शा भी आम परिवहन का साधन हैं, लेकिन इन्हें प्रदूषण और शोर के लिए भी दोषी माना जाता है। राजपुर रोड की शाम की हलचल एक आकर्षण का केंद्र होती है। शहर का केंद्र घड़ीघर (क्लॉक टावर) से आसानी से पहचाना जा सकता है, जिसमें चार चलती हुई घड़ियाँ हैं। शांति निकेतन में लगी सान डीजेन की मूर्ति शहर की सुंदरता में चार चाँद लगाती है। देहरादून ने कई कलाकारों और लेखकों को जन्म दिया है, जिनमें स्टीफन अल्टर, नयंतारा सहगल, एलन सीली, रसकिन बॉन्ड और देशी गायक बॉबी कैश शामिल हैं।
देहरादून कई स्वतंत्रता सेनानियों का घर रहा है जिनके नाम घड़ीघर पर सोने की लिपि में उकेरे गए हैं। शुरुआती दिनों में इसे “ग्रे सिटी” कहा जाता था क्योंकि सेवानिवृत्त पूर्व सेना अधिकारी और विशिष्ट व्यक्ति इसे रहने के लिए आदर्श स्थान मानते थे।
गुरु राम राय दरबार साहिब
यहाँ साल भर मेले (मेला) लगते रहते हैं। प्रमुख मेलों में माघ मेला (14 जनवरी को आयोजित) और मार्च में झंडा मेला शामिल हैं, जो सिखों के सातवें गुरु, हर राय के सबसे बड़े पुत्र राम राय के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस मेले के दौरान एक विशाल झंडा (बैनर) लगाया जाता है, जो 1733 में राम राय के दून घाटी आगमन की याद दिलाता है। झंडा मेला चैत्र के पांचवें दिन मनाया जाता है, जो होली के पांच दिन बाद पड़ता है। यह मेला गुरु राम राय दरबार साहिब, झंडा बाजार में आयोजित होता है।
देहरादून के पर्यटन स्थल
पर्यटन स्थल देहरादून चिड़ियाघर, कलंगा स्मारक, चंद्रबनी, हिमालयन गैलरी एवं क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र गुच्छुपानी, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, उत्तराकंण्ड समकालीन कला संग्रहालय, तपोवन, लक्ष्मण सिद्ध पीठ, टपकेश्वर मंदिर, संताला देवी मंदिर, माइंडरोलिंग मठ, प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर, साई मंदिर, सेंट्रल ब्रेल प्रेस और वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान शामिल हैं।
पर्यटन स्थलों को चार या पांच क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: प्रकृति, खेल, अभयारण्य, संग्रहालय और संस्थान। पास के हिल स्टेशन अपने प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध हैं, मंदिर श्रद्धा का केंद्र हैं, और अभयारण्य पशु एवं पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण हैं। प्रमुख हिल स्टेशन हैं मसूरी, सहस्त्रधारा, चकराता और डाकपथर। प्रसिद्ध मंदिरों में टपकेश्वर, लाखमंडल और संताला देवी शामिल हैं।
किपलिंग ट्रेल
किपलिंग ट्रेल देहरादून और मसूरी के बीच पुराना पैदल मार्ग है, जिसका नाम अंग्रेज़ उपन्यासकार रुदयार्ड किपलिंग के नाम पर रखा गया है, जिनके माना जाता है कि उन्होंने 1880 के दशक में इस मार्ग पर यात्रा की थी। यह ट्रेल राजपुर गाँव के शाहंशाही आश्रम से शुरू होता है। प्रकृति, इतिहास और ट्रेकिंग प्रेमी अब इस ट्रेल को चलना पसंद करते हैं, जिससे यह फिर से लोकप्रिय हो रहा है।
खलंगा युद्ध स्मारक
नलापानी का युद्ध अंग्रेज़-नेपाल युद्ध (1814-1816) का पहला युद्ध था, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के गोरखा राजपरिवार के बीच लड़ा गया था। यह लड़ाई नलापानी किले के आस-पास हुई थी, जिसे ब्रिटिशों ने 31 अक्टूबर से 30 नवंबर 1814 तक घेर लिया था।
माँ बाला सुंदरी मंदिर
भारत में माँ बाला सुंदरी देवी के कई मंदिर हैं, और यह भी उन्हीं में से एक है। मुख्य मंदिर हिमाचल प्रदेश के त्रिलोकपुर में स्थित है। यह मंदिर सुढ़ोवाला से लगभग तीन किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में जंगल के अंदर है। सुढ़ोवाला के गौर ब्राह्मण इस मंदिर के पुजारी हैं। यह मंदिर हिंदू देवी माँ बाला सुंदरी, जिन्हें माँ वैष्णो देवी के बाल रूप और माता महालक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, को समर्पित है। यहाँ सुढ़ोवाला से घोड़े, इलेक्ट्रिक वाहन और 2-4 लोगों द्वारा संचालित पालकी से पहुंचा जा सकता है। उत्तर भारत के कई श्रद्धालु माँ बाला सुंदरी के आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर का संचालन माँ बाला सुंदरी ट्रस्ट, सुढ़ोवाला द्वारा किया जाता है।
देहरादून अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम
राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम देहरादून के रायपुर क्षेत्र में स्थित एक बहुउद्देश्यीय स्टेडियम है। यह राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम है।
रॉबर्स केव (चोरों की गुफा)
रॉबर्स केव, जिसे स्थानीय तौर पर गुच्छुपानी कहा जाता है, हिमालय में एक नदी गुफा है, जो देहरादून शहर से लगभग आठ किलोमीटर दूर है। कहा जाता है कि यह सुल्ताना डाकू और उसके डाकू गिरोह का ठिकाना था। गुफा लगभग 600 मीटर लंबी है और दो भागों में बंटी हुई है। यहाँ 10 मीटर की ऊँचाई से जल प्रवाह होता है। गुफा के बीचों-बीच एक किले की दीवार थी जो अब टूटी हुई है। यह प्राकृतिक गुफा है जिसमें नदी बहती है। उत्तराखंड सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में संरक्षित करती है। स्थानीय बस सेवा अनरवाला गांव तक उपलब्ध है, जहाँ से गुफा तक लगभग 1 किलोमीटर का पैदल रास्ता है।
लच्छीवाला पिकनिक स्थल
यह स्थल विशेषकर गर्मियों में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। यहाँ के जंगल, मानव निर्मित जलाशय और पक्षी देखने के लिए मशहूर है। इसे अब नेचर पार्क के नाम से जाना जाता है।
टपकेश्वर मंदिर
यह भगवान पशुपति शिव का मंदिर है, जो असन नदी के किनारे जंगल के पास स्थित है। मुख्य शिवलिंग एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है। महाभारत के अनुसार गुरु द्रोण इस गुफा में कुछ समय रहे थे, इसलिए इसे द्रोण गुफा कहा जाता है। गुफा की छत से पानी टपकता रहता है जो शिवलिंग पर गिरता है और एक अद्भुत दृश्य बनाता है।
देहरादून चिड़ियाघर
पूर्व में इसे मालसी डियर पार्क कहा जाता था। देहरादून चिड़ियाघर का मुख्य उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण, शिक्षा केंद्र विकसित करना और वन्यजीवों के लिए बचाव केंद्र संचालित करना है। यह शिवालिक श्रृंखला की तलहटी पर मसूरी रोड पर स्थित है, जो देहरादून से लगभग 10 किलोमीटर और मसूरी से 23 किलोमीटर दूर है।
वन अनुसंधान संस्थान (FRI)
वन अनुसंधान संस्थान भारत में वन अनुसंधान का प्रमुख संस्थान है। इसे 1878 में ब्रिटिश इंजीनियर लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रेडरिक बेले द्वारा भारत का पहला वनीकरण विद्यालय स्थापित करने के लिए बनाया गया था। यह संस्थान भारत के सबसे पुराने और बड़े वनीकरण प्रशिक्षण संस्थानों में से एक है। यह अपने शोध कार्य और ब्रिटिश शासनकाल की भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह संस्थान वन अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध है और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से मान्यता प्राप्त है।
उत्तराकंण्ड समकालीन कला संग्रहालय
यह कला संग्रहालय 2017 में स्थापित हुआ और यह उत्तराखंड का पहला कला संग्रहालय है। यह 2013 के केदारनाथ आपदा और उत्तर भारत में आई बाढ़ की याद में समर्पित है। यहाँ आपदा और उत्तराखंड की लोक संस्कृति को चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य कला माध्यमों से प्रदर्शित किया गया है।
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र देहरादून के सुद्होवाला में उत्तराखंड विज्ञान एवं तकनीकी परिषद के परिसर में स्थित है। इसे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद और उत्तराखंड विज्ञान परिषद द्वारा विकसित किया गया है। यह स्कूलों के शैक्षणिक दौरे के लिए एक प्रमुख स्थल है, जिसमें विज्ञान संग्रहालय, प्लैनेटेरियम, 3डी थियेटर, विज्ञान गैलरी और वैज्ञानिक प्रदर्शनियाँ हैं।
लंबी डहार खान
मसूरी श्रृंखला में एक परित्यक्त चूना पत्थर की खान है, जिसे भूतिया माना जाता है।
देहरादून की विरासत
विरासत एक सांस्कृतिक उत्सव है जो देश की सांस्कृतिक विरासत के सभी पहलुओं का उत्सव मनाता है। यह उत्सव पहली बार 1995 में देहरादून में आयोजित किया गया था। इसे अफ़्रो-एशिया का सबसे बड़ा लोक जीवन और विरासत उत्सव माना जाता है। इसे REACH (ग्रामीण उद्यमिता कला एवं सांस्कृतिक विरासत) द्वारा आयोजित किया जाता है। यह सप्ताह भर चलता है और भारतीय लोक और शास्त्रीय कला, साहित्य, शिल्प, रंगमंच, सिनेमा और योग के कार्यक्रमों और कार्यशालाओं को शामिल करता है।
विरासत 2008 में पूरे देश के स्तर पर फैल गया।
देहरादून का मीडिया
उत्तराखंड में अधिकांश मीडिया संस्थान देहरादून में स्थित हैं। देहरादून के प्रमुख हिंदी अखबारों में दैनिक ट्रिब्यून, शाह टाइम्स, उत्तराखंड आज, दैनिक जागरण, गोरखा संदेश, हिन्दुस्तान राष्ट्रीय सहारा, दिव्य हिमगिरी और अमर उजाला शामिल हैं। देहरादून से प्रकाशित होने वाले दो प्रमुख अंग्रेज़ी अखबार हैं – देहरादून स्ट्रीट और द गढ़वाल पोस्ट। इसके अलावा, हिमाचल टाइम्स, डेक्कन हेराल्ड, द टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स जैसे अंग्रेज़ी अखबार भी देहरादून में प्रकाशित और बिकते हैं।
अखिल भारतीय रेडियो (ऑल इंडिया रेडियो), जो राष्ट्रीय सरकारी रेडियो प्रसारक है, देहरादून में AM रेडियो स्टेशन संचालित करता है। इसके अलावा AIR नॉर्थ नामक FM स्टेशन भी प्रसारित होता है। देहरादून में कुल पांच FM स्टेशन हैं जिनमें AIR देहरादून, रेडियो देहरादून (सामुदायिक रेडियो स्टेशन), रेड FM 93.5, रेडियो जिंदगी, हेलो डून (NIVH) और हिमगिरी की आवाज़ शामिल हैं। शहर में दूरदर्शन केंद्र भी है, जो राज्य स्वामित्व वाली निशुल्क टेरेस्ट्रियल चैनल DD उत्तराखंड प्रदान करता है। हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य क्षेत्रीय चैनल केबल, डायरेक्ट ब्रॉडकास्ट सैटेलाइट सेवा या इंटरनेट आधारित टेलीविजन के माध्यम से उपलब्ध हैं। देहरादून में डाइरेक्ट-टू-होम (DTH) सेवा प्रदाता जैसे वीडिकॉन d2h, DD डायरेक्ट+, डिश टीवी, रिलायंस डिजिटल टीवी, एयरटेल डिजिटल टीवी और टाटा स्काई मौजूद हैं।
देहरादून के खेल
उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियाँ और नदियाँ कई पर्यटकों और साहसिक खेल प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। यहाँ पैराग्लाइडिंग, स्काई डाइविंग, राफ्टिंग और बंजी जंपिंग जैसे साहसिक खेल लोकप्रिय हैं। देहरादून में भारत का पहला इंडोर आइस रिंक बना है, जो आइस हॉकी, फिगर स्केटिंग, शॉर्ट ट्रैक और रिंक बैंडी के लिए मानकों के अनुरूप है।
पूरे भारत की तरह, देहरादून में क्रिकेट युवाओं में बेहद लोकप्रिय खेल है। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड, जो राज्य में क्रिकेट का नियमन करता है, भी इसी शहर में स्थित है। राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, जिसका क्षमता 20,000 दर्शकों की है, उत्तराखंड का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम है। यह उत्तराखंड क्रिकेट टीम का घरेलू मैदान है और अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का दूसरा घरेलू मैदान भी है। देहरादून के रायपुर इलाके में एक मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी स्थित है।
खेल पर्यटन में, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, रायपुर में स्थित डून आइस रिंक भारत का पहला पूर्ण आकार का आइस अरेना है। यहाँ आइस स्केटिंग प्रतियोगिताएँ और आइस हॉकी टूर्नामेंट जैसे IIHF चैलेंज कप ऑफ एशिया आयोजित हो चुके हैं।
2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद, खेल सुविधाओं की कमी से राज्य को नुकसान हुआ क्योंकि उत्तर प्रदेश के पास पहले से ही खेलों के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर था। रणजी ट्रॉफी के कुछ ही मैच यहाँ खेले गए थे, जिसके कारण कई खिलाड़ी अन्य राज्यों की ओर चले गए। नवंबर 2012 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने नए स्टेडियम की नींव रखी, ताकि देहरादून को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मानचित्र पर लाया जा सके। 16 दिसंबर 2016 को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला के साथ मिलकर स्टेडियम का उद्घाटन किया। यह स्टेडियम 25,000 दर्शकों की बैठने की क्षमता रखता है और यहां फ्लडलाइट की सुविधा भी है, जिससे दिन-रात के मैच आयोजित किए जा सकें। यह 23 एकड़ में फैला हुआ है और अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के लिए भारत में दूसरा घरेलू मैदान है।
देहरादून के प्रमुख क्रिकेट मैदान:
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दून स्कूल ग्राउंड
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RIMC क्रिकेट ग्राउंड
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अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी ग्राउंड
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MPSC क्रिकेट ग्राउंड
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रेंजर्स कॉलेज क्रिकेट ग्राउंड
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सर्वे ऑफ इंडिया क्रिकेट ग्राउंड
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दून क्रिकेट अकादमी ग्राउंड
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तनुष क्रिकेट अकादमी ग्राउंड
देहरादून की वास्तुकला
जब देहरादून को उत्तराखंड की राजधानी बनाया गया, तब विशेष रूप से आवासीय संपत्तियों में निर्माण कार्यों का तेजी से विकास हुआ। आधुनिक भवनों ने धीरे-धीरे पुराने वास्तुशिल्प शैलियों को प्रतिस्थापित किया, जिनमें भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से जुड़ी शैलियाँ भी शामिल थीं। कुछ महत्वपूर्ण पुराने भवन आज भी मौजूद हैं, जिनमें क्लॉक टावर, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, CNI कॉलेज, मॉरिसन मेमोरियल चर्च, इनामुल्ला बिल्डिंग, जामा मस्जिद, ओशो मेडिटेशन सेंटर, इंडियन मिलिट्री एकेडमी और दरबार साहिब शामिल हैं।
लोकप्रिय संस्कृति में
द बीटल्स के जॉर्ज हैरिसन ने 1968 के आरंभ में ऋषिकेश में अपने प्रवास के दौरान “देहरा डून” नामक गीत लिखा था। यह गीत तब तक रिलीज़ नहीं हुआ था जब तक कि 2021 में हैरिसन के एल्बम All Things Must Pass के सुपर डीलक्स संस्करण में इसे शामिल नहीं किया गया।
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देहरादून के प्रसिद्ध व्यक्ति
देहरादून से जुड़े कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची:
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अभिनव बिंद्रा – ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर
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अंशुल जुबली – MMA फाइटर, रोड टू UFC सीजन 1 विजेता
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देहरा पार्कर (1882–1963) – पूर्व सांसद, उत्तरी आयरलैंड
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जुबिन नौटियाल – भारतीय गायक
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राघव जूयाल – डांसर, टीवी होस्ट
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अमरदीप झा – फिल्म अभिनेत्री
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अनिरुद्ध दवे – टीवी अभिनेता
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अनिरुद्ध अग्रवाल – अभिनेता
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अली अब्बास जाफर – फिल्म निर्देशक
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सायरा बानू – 1960 के दशक की पूर्व फिल्म अभिनेत्री
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बॉबी कैश – कंट्री म्यूजिक कलाकार
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अर्चना पुरण सिंह – टीवी और फिल्म अभिनेत्री
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विकास गुप्ता – निर्माता, टीवी प्रस्तुतकर्ता, पूर्व बिग बॉस प्रतियोगी
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वीर दास – फिल्म अभिनेता और स्टैंड-अप कॉमेडियन
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अनिरुद्ध थापा – फुटबॉल खिलाड़ी
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आशा नेगी – टीवी अभिनेत्री
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सुरेंद्र पाल जोशी
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दीपा सहि – अभिनेत्री
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दीपक Dobriyal – टीवी अभिनेता
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हेमंत पांडे – फिल्म अभिनेता
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हिमानी शिवपुरी – अभिनेत्री
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के. एन. सिंह – अभिनेता
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माधुरीमा तुली – अभिनेत्री
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मोनिशा काल्टेनबोर्न – व्यवसायी
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निर्मल पांडे – अभिनेता
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नितिन सहारावत – अभिनेता, पर्यावरणविद
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प्रेरणा अरोड़ा – बॉलीवुड निर्माता और निर्देशक
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राहुल सुधीर – टीवी अभिनेता
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रसकिन बॉन्ड – लेखक
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संजय कौल – राजनीतिक कार्यकर्ता
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शिवांगी जोशी – टीवी अभिनेत्री
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श्रद्धा शर्मा – गायक
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सोनम बिष्ट – टीवी अभिनेत्री
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सुधांशु पांडे – मॉडल
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टॉम आल्टर – पूर्व टीवी और फिल्म अभिनेता
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उदिता गोस्वामी – पूर्व अभिनेत्री
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लोकेश ओहरी – मानवविज्ञानी और धरोहर कार्यकर्ता
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वंदना शिवा – खाद्य संप्रभुता समर्थक, भारतीय विदुषी, इकोफेमिनिस्ट
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विक्रम सिंह चौहान – टीवी अभिनेता
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