
Chhath Puja 2025 Date: अक्टूबर महीने में कब है छठ पूजा? जानें नहाय-खाय और खरना की तिथि
Chhath Puja 2025 Date: क्या आपने कभी सोचा है कि छठ पूजा 2025 आखिर कब है, नहाय-खाय और खरना किस दिन पड़ेंगे? दीपावली के ठीक बाद आने वाला यह पर्व उत्तर भारत में सबसे बड़ा लोक आस्था का महापर्व माना जाता है। कार्तिक महीने में सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करने की परंपरा सदियों पुरानी है। यही कारण है कि बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल तक इस पर्व की धूम रहती है।
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसकी शुरुआत होती है नहाय-खाय से और समापन होता है उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ। इन दिनों हर व्रती पूरी शुद्धता और संयम के साथ व्रत रखता है और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करता है। अगर आप भी इस साल छठ पूजा का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो आइए जानते हैं 2025 में नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की सही तिथियां और महत्व।
छठ पूजा 2025: धार्मिक महत्व और परंपरा (Chhath Puja 2025 Date)
सनातन धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व माना जाता है। दीपावली के बाद आने वाला छठ पर्व लोक आस्था का महापर्व कहलाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा की विशेषता यह है कि इसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व प्रकृति, शुद्धता और आत्मिक साधना का प्रतीक है। व्रती महिलाएं और पुरुष बड़ी निष्ठा और श्रद्धा के साथ उपवास रखते हैं और उगते एवं डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
छठ पूजा 2025 की तिथियां (Chhath Puja 2025 Date And Time)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक छठ पूजा मनाई जाती है। इस साल इसका आयोजन अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह में होगा।
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नहाय-खाय (Nahay Khay 2025): 25 अक्टूबर 2025, शनिवार
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खरना (Kharna 2025): 26 अक्टूबर 2025, रविवार
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संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya 2025): 27 अक्टूबर 2025, सोमवार
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प्रातः अर्घ्य (Morning Arghya 2025): 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार
नहाय-खाय का महत्व (Nahay Khay 2025)
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती प्रातः स्नान करके घर को शुद्ध करते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। व्रतधारी चावल, दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं और व्रत का आरंभ पवित्रता के साथ होता है।
2025 में नहाय-खाय की तिथि 25 अक्टूबर, शनिवार है। इसी दिन से चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत होगी।
खरना का महत्व (Kharna 2025)
नहाय-खाय के अगले दिन खरना मनाया जाता है। यह पर्व छठ पूजा का दूसरा और बेहद अहम दिन होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को स्नान के बाद छठी मैया की पूजा करते हैं।
खरना के प्रसाद में खासतौर पर गुड़-चावल की खीर, रोटी और फल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
2025 में खरना की तिथि 26 अक्टूबर, रविवार है।
संध्या अर्घ्य: डूबते सूर्य की पूजा (Chhath Puja Sandhya Arghya 2025)
छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे प्रमुख होता है। इस दिन व्रती परिवार और समाज के लोग एक साथ जलाशयों, नदियों और तालाबों के किनारे एकत्रित होते हैं। वहां व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मैया से अपने परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।
2025 में संध्या अर्घ्य की तिथि 27 अक्टूबर, सोमवार है।
प्रातः अर्घ्य: उगते सूर्य की पूजा (Chhath Puja Morning Arghya 2025)
छठ पर्व का समापन चौथे दिन होता है, जब व्रती सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह क्षण सबसे पवित्र माना जाता है। इस अवसर पर व्रती अपनी संतान, परिवार और समाज की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं।
2025 में प्रातः अर्घ्य की तिथि 28 अक्टूबर, मंगलवार है। इसी दिन छठ पर्व का समापन होगा।
छठ पूजा का धार्मिक महत्व (Chhath Puja Importance 2025)
छठ पर्व का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी है।
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सूर्य उपासना का पर्व: सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करके स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की जाती है।
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शुद्धता और संयम: छठ पूजा में व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं। यह व्रत अनुशासन, आत्मसंयम और श्रद्धा का प्रतीक है।
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लोक आस्था का पर्व: यह पर्व पूरे परिवार और समाज को एक सूत्र में जोड़ता है। गंगा, तालाब या पोखर किनारे सामूहिक रूप से पूजा करना सामाजिक एकता को दर्शाता है।
छठ पूजा के विधान और नियम (Chhath Puja Vidhi 2025)
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छठ पूजा के दौरान व्रती शुद्धता और सात्विकता का विशेष ध्यान रखते हैं।
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पूजा स्थल और प्रसाद बनाने की जगह पूरी तरह पवित्र रखी जाती है।
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प्रसाद में केवल मिट्टी या पीतल के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है।
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छठी मैया को अर्पित प्रसाद में ठेकुआ, फल, नारियल और गन्ना विशेष रूप से शामिल होते हैं।
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व्रती स्नान, ध्यान और उपवास से अपनी आस्था को प्रकट करते हैं।
छठ पूजा और लोककथाएं (Chhath Puja Stories)
छठ पर्व से जुड़ी कई पौराणिक और लोककथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम और माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव की पूजा की थी। इसके अलावा महाभारत काल में कुंती और द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था।
इसी कारण छठ पूजा को पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व दोनों प्राप्त हैं।
बिहार और उत्तर भारत में छठ पूजा की भव्यता (Chhath Puja Celebration 2025)
बिहार और उत्तर भारत में छठ पूजा का रंग सबसे अलग देखने को मिलता है। घर-घर में लोकगीत गाए जाते हैं और घाटों पर हजारों श्रद्धालु एक साथ पूजा करते हैं।
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घाटों की सजावट दीपों और केले के पत्तों से होती है।
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महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में घाट पर जाती हैं।
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लोकगीतों और छठी मैया के भजनों से वातावरण पवित्र और भक्तिमय हो जाता है।
छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह शुद्धता, श्रद्धा और आत्मिक साधना का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया के आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
2025 में छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर को समाप्त होगी। यदि आप इस वर्ष व्रत करने जा रहे हैं, तो तिथियों और नियमों का ध्यान अवश्य रखें।
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