अंजलि शाह, उत्तराखंड की पहली महिला रेलवे असिस्टेंट लोको पायलट बनकर अपने बचपन का सपना साकार कर रही हैं। ऋषिकेश की रहने वाली अंजलि फिलहाल अपनी ट्रेनिंग के दौरान मुख्य ट्रेन चालक के साथ ट्रेन चला रही हैं। 23 वर्षीय अंजलि ने अब तक दो ट्रेन यात्राओं की सफलतापूर्वक ट्रिप पूरी कर ली हैं।
उत्तराखंड की पहली महिला असिस्टेंट लोको पायलट बनने पर अंजलि ने अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बचपन में ट्रेन देखकर ही उन्होंने ठान लिया था कि वह ट्रेन चालक बनेंगी। उनके इस सपने को साकार करने का सफर अब शुरू हो गया है। 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग के बाद अंजलि को हरिद्वार-ऋषिकेश रूट पर असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर नियुक्त किया गया है। अगले एक साल तक बतौर असिस्टेंट काम करने के बाद वह मुख्य लोको पायलट बन जाएंगी।
अंजलि शाह के ट्रेनिंग के दूसरे दिन के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ट्रेन चलाने का सफर उनके लिए बेहद खास है।
अंजलि को ट्रेनिंग देने वाले मुख्य चालक बृजपाल ने कहा,
“अंजलि बहुत होनहार है और ट्रेन के संचालन से जुड़ी सभी तकनीकी जानकारियों को बेहद तेजी से सीख रही हैं। उनकी समझदारी और कार्यकुशलता से स्पष्ट है कि वह एक बेहतरीन ट्रेन चालक बनेंगी।”
ट्रेन चालक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि हजारों यात्रियों की सुरक्षा उनके हाथों में होती है। ट्रेन की एक छोटी सी गलती भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। यही कारण है कि लोको पायलट बनने से पहले महीनों की कठिन ट्रेनिंग दी जाती है। अंजलि शाह भी इसी जिम्मेदारी को निभाने की ट्रेनिंग ले रही हैं।
अंजलि शाह ने न केवल उत्तराखंड की पहली महिला असिस्टेंट लोको पायलट बनकर इतिहास रचा है, बल्कि वह महिला सशक्तिकरण की भी प्रतीक बन गई हैं। उनकी यह यात्रा आने वाले समय में कई और महिलाओं को प्रेरित करेगी।
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