
बटुक भैरव चालीसा (Batuk Bhairav Chalisa in Hindi)
Batuk Bhairav Chalisa in Hindi: बटुक भैरव भगवान शिव के उग्र तथा सौम्य रूपों में से एक विशेष कृपालु और रक्षक स्वरूप माने जाते हैं। “बटुक” का अर्थ है—बालक रूप, और भैरव का यह रूप भक्तों को मातृत्व जैसी सुरक्षा प्रदान करता है तथा जीवन की हर विपदा से बचाता है। उनकी उपासना से भय, शोक, रोग, दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। बटुक भैरव का स्मरण करते ही व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा, साहस और मानसिक स्थिरता बढ़ती है।
इनकी चालीसा का पाठ आत्मविश्वास बढ़ाने और घर-परिवार की रक्षा के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है कि बटुक भैरव बालक के रूप में संसार की रक्षा करते हैं और अपने भक्तों को तुरंत फल देने वाले देवता हैं। जो भी श्रद्धा से इनका नाम लेता है, उसके जीवन में अड़चनें स्वतः दूर होने लगती हैं, इसलिए बटुक भैरव चालीसा का पाठ आज भी अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली माना जाता है।
बटुक भैरव चालीसा (Batuk Bhairav Chalisa)
दोहा
जय बटुक भैरव प्रभु, जय जय काला भैरव।
जग जीवन के स्वामी, करहु कृपा पर देव॥
चालीसा
जय बटुक भैरव दयाला।
सदा करो तुम दीन निहाला॥
तुम बिन जग में कौन सहाई।
जो अति दीन अनाथ कहाई॥
दुःख संकट सब हरनहार।
करहु कृपा रखिहु मनु धार॥
स्मरण मात्र से कटे दुख भारी।
करहु कृपा, दीन दुःख हारी॥
भूत प्रेत बाधा विनाशक।
दानव दलन, कष्ट निष्कासक॥
रोग शोक संताप विनाशे।
बटुक भैरव इनको नाशे॥
जिन घर होय पाठ तुम्हारा।
तहँ रहे दूर दरिद्रता सारा॥
सुख संपत्ति बरसे घर माहीं।
क्लेश नाश हो, विपदा नाहीं॥
ध्यान धरत जो छवि मनमोहक।
परत कृपा तब, दूरि भव-शोक॥
अति बलवान भैरव तुम धाता।
सृष्टि-पोषण-हरण विधाता॥
रूप अनूप काल के काला।
भक्त रक्षा हित धर्यु निहाला॥
शरणागत जन राखहु भ्राता।
सदा सहाय भव-भय हरता॥
अष्ट भैरव में श्रेष्ठ तुम्हारी।
दूर करो तुम पीर तुम्हारी॥
जो जन चालीसा गुण गावे।
सो सुख संपत्ति नित दिन पावे॥
दरिद्र दोष न बाधा आवै।
भूत-प्रेत निकट नहिं ठहरावै॥
रोग शोक मिट जाए तत्क्षण।
परी कृपा जब होय प्रसन्न॥
भक्तन के तुम हो रखवारा।
दूर करो संकट संसारा॥
सुखदायक दुःखनाशक स्वामी।
तुम बिन कौन देवे विश्रामी॥
कृपा दृग से ताको निहारो।
जो जन तुमको माने धारो॥
बटुक भैरव कृपा करहु नाथा।
सदा रहो गिरिजा के साथा॥
दोहा
जो कोई चालीसा पढ़े, सुने या मन लाय।
भैरव जी की कृपा उसे, नित नई प्राप्ति आवाय॥
बटुक भैरव चालीसा के लाभ (Benefits Of Batuk Bhairav Chalisa)
बटुक भैरव चालीसा का नियमित पाठ भक्तों को अनेक आध्यात्मिक और जीवन-उपयोगी लाभ प्रदान करता है। इसे पढ़ने से मन में साहस, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। जीवन में चल रहे भय, बाधाएँ, मानसिक तनाव और अनिश्चितता स्वतः दूर होने लगती हैं। यह चालीसा भूत-प्रेत बाधा, नज़र दोष, नकारात्मक ऊर्जा तथा किसी भी प्रकार की अदृश्य बाधा का तुरंत निवारण करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
इसके पाठ से घर में सुख, शांति और संपन्नता बढ़ती है तथा दरिद्रता के योग कम होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए भी इसे अत्यंत उपयोगी माना गया है, क्योंकि यह मानसिक शक्ति बढ़ाकर रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करती है।
जो भी व्यक्ति किसी कठिन परिस्थिति से गुजर रहा हो, उसे बटुक भैरव चालीसा अवश्य पढ़नी चाहिए। यह चालीसा हर संकट को दूर करने वाली शक्ति है, जो भक्त को तुरंत संरक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करती है।
बटुक भैरव चालीसा का महत्व (Importance Of Batuk Bhairav Chalisa)
बटुक भैरव चालीसा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक रूप से भी अत्यंत गहरा है। इसे पढ़ने से भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन की सभी दिशाओं में सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। भैरव को ‘काल का स्वामी’ कहा गया है, और उनका बटुक रूप करुणा, रक्षा और शीघ्र फल प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन तंत्र-शास्त्र में भी बटुक भैरव के पाठ को अत्यंत शुभ और शक्तिशाली बताया गया है। यह चालीसा मनुष्य के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है, जो नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
इसके अतिरिक्त, यह चालीसा व्यक्ति के कर्म, मन और विचारों को शुद्ध करती है। इससे आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को स्पष्टता और दृढ़ता के साथ प्राप्त कर पाता है। बटुक भैरव की कृपा से घर-परिवार में शांति और स्थिरता बनी रहती है। यही कारण है कि इसका महत्व हर काल में समान रूप से प्रभावी है।
बटुक भैरव चालीसा कैसे करें (How to Recite Of Batuk Bhairav Chalisa)
चालीसा का पाठ करने के लिए सुबह या शाम का समय सर्वोत्तम माना जाता है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, घर में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें और दीपक जलाकर बटुक भैरव की प्रतिमा या चित्र के सामने मन को शांत करें।
पाठ करते समय शुद्ध उच्चारण अनिवार्य नहीं है—भावना, श्रद्धा और एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण है। चालीसा पढ़ते समय मन में एक प्रकाश और सुरक्षा की भावना का ध्यान करें।
मंगलवार, गुरुवार और रविवार भैरव उपासना के लिए विशेष शुभ माने जाते हैं, पर कोई भी दिन पाठ के लिए उपयुक्त है। यदि संभव हो तो पाठ के बाद ‘ॐ बटुक भैरवाय नमः’ मंत्र का जप करें।
घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए सप्ताह में एक बार अवश्य पाठ करें। नियमित पाठ से मन शांत रहता है और जीवन में आने वाली चुनौतियाँ धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। यह विधि पाठक को अधिक फलदायी अनुभव देती है।
बटुक भैरव चालीसा केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो जीवन को सुरक्षा, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। इस चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति को भय और बाधाओं से मुक्त कर सहज मार्ग प्रदान करता है। चुनौतियों और विपरीत परिस्थितियों के बीच यह चालीसा मानसिक बल, धैर्य और साहस का संचार करती है। भैरव की कृपा से जीवन के कठिन चरण भी सरल हो जाते हैं, और घर में शांति तथा संपन्नता बनी रहती है। इसलिए इस चालीसा को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना हर साधक के लिए अत्यंत लाभकारी है।जब भी मन विचलित हो या परिस्थितियाँ अनुकूल न लगें, बटुक भैरव का स्मरण अवश्य करें। उनकी कृपा से जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आते हैं। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि बटुक भैरव आपके जीवन में सुरक्षा, प्रकाश और असीम शक्ति का संचार करें।
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