
तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधिविधानपूर्वक शीतकाल हेतु बंद
रुद्रप्रयाग, 6 नवंबर 2025। भगवान शिव के पंच केदारों में तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट आज बृहस्पतिवार को विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूर्वाह्न 11:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ जी की चल विग्रह डोली पारंपरिक रीतियों के साथ अपने प्रथम पड़ाव चोपता के लिए रवाना हुई। इस पावन अवसर पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था और 500 से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।
कपाट बंद होने से पहले हुआ विशेष पूजन (Shree Tungnath Temple Rituals Before Closing)
सुबह भगवान तुंगनाथ जी के मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। इसके बाद नित्य पूजा, हवन और भोग यज्ञ के साथ धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए गए। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में साढ़े 10 बजे से कपाट बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
पूजा-अर्चना के बाद भगवान तुंगनाथ जी के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया गया और साढ़े 11:30 बजे कपाटों को शीतकाल हेतु विधिवत बंद कर दिया गया।
ढोल-नगाड़ों के साथ रवाना हुई चल विग्रह डोली (Departure of Tungnath Ji’s Doli with Devotional Procession)
कपाट बंद होने के उपरांत चल विग्रह डोली ने मंदिर परिसर की परिक्रमा की और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए ढोल-नगाड़ों व जयकारों के बीच चोपता के लिए प्रस्थान किया। पूरे क्षेत्र में “बोल बाबा तुंगनाथ की जय” के जयघोष गूंज उठे।
शीतकालीन पूजाओं की होगी शुरुआत मक्कूमठ में (Winter Worship to Begin at Makkumath Temple)
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि इस यात्रा वर्ष में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्री तुंगनाथ जी के दर्शन का लाभ लिया।
उन्होंने कहा कि श्री तुंगनाथ जी की चल विग्रह डोली के श्री मर्कटेश्वर मंदिर, मक्कूमठ पहुंचने के बाद शीतकालीन पूजाएं आरंभ होंगी। मंदिर समिति शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास करेगी, जिससे स्थानीय पर्यटन और धार्मिक आस्था दोनों को बल मिले।
डोली का तीन दिवसीय यात्रा कार्यक्रम तय (Schedule of Tungnath Ji’s Doli Yatra)
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि
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6 नवंबर (गुरुवार): श्री तुंगनाथ मंदिर से डोली चोपता पहुँची।
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7 नवंबर (शुक्रवार): डोली भनकुन में प्रवास करेगी।
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8 नवंबर (शनिवार): डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री मर्कटेश्वर मंदिर, मक्कूमठ पहुंचेगी।
यहीं पर सर्दियों के दौरान भगवान तुंगनाथ जी की पूजा-अर्चना और दर्शन किए जा सकेंगे।
मंदिर समिति और स्थानीय लोगों में उत्साह (Devotees and Officials Express Devotion and Joy)
इस अवसर पर बीकेटीसी उपाध्यक्ष विजय कप्रवाण, उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, प्रह्लाद पुष्पवान, देवी प्रसाद देवली, डा. विनीत पोस्ती सहित अनेक अधिकारी, पुजारी, और स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित रहे।
मठापति रामप्रसाद मैठाणी व केदारनाथ प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान ने भी कपाट बंद होने के अवसर पर पूजा में भाग लिया।
यात्रा वर्ष सफल, श्रद्धालुओं में उमंग (Successful Pilgrimage Year for Tungnath)
बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने कहा कि इस वर्ष श्री तुंगनाथ यात्रा उम्मीद से बेहतर रही। देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्तों ने दर्शन कर भगवान शिव की तृतीय केदार धाम में अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि अब समिति का ध्यान शीतकालीन पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा, ताकि श्रद्धालु सर्दियों में भी भगवान तुंगनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही एक और यात्रा वर्ष की धार्मिक यात्रा संपन्न हो गई। अब भगवान तुंगनाथ जी अपने शीतकालीन निवास मक्कूमठ में विराजमान रहेंगे। अगले वर्ष ग्रीष्मकाल में कपाट पुनः खोले जाने तक भक्तों की आस्था वहीं बनी रहेगी।
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