Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili: उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से भी जाना जाता है, अपने प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के मंदिर वास्तुकला की अद्वितीय शैलियों और स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। हर मंदिर की अपनी विशिष्ट शैली और ऐतिहासिक महत्व है, जो उसकी धार्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। इन मंदिरों की शैलियाँ विभिन्न स्थापत्य कलाओं जैसे नागर, द्रविड, कत्यूरी और हिमाद्री शैली को दर्शाती हैं। आइए उत्तराखंड के कुछ प्रमुख मंदिरों और उनकी वास्तुकला शैली पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
Hatpuri Siddhpeeth Temple – Madhya Himadi Style | हतपुड़ी सिद्धपीठ मंदिर – मध्य हिमांदी शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
हतपुड़ी सिद्धपीठ मंदिर मध्य हिमांदी शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर अपने भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की छत और दीवारें पारंपरिक पत्थरों से निर्मित हैं, जो इसे विशिष्टता प्रदान करती हैं। मध्य हिमांदी शैली में मंदिर के गुम्बद को नक्काशीदार पत्थरों से सजाया जाता है, जो धार्मिकता के साथ-साथ सौंदर्य का भी प्रतीक है।
Gopeshwar Gopinath Temple – Madhya Himadri, Nagara, Gujar Prasad Style | गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर – मध्य हिमाद्री, नागर, गूजर प्रसाद शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर, चमोली जिले में स्थित है और इसकी स्थापत्य शैली में मध्य हिमाद्री, नागर और गूजर प्रसाद शैली का मिश्रण देखा जा सकता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मंदिर के शिखर को नक्काशी और मूर्तिकला से सजाया गया है, जो इसे विशेष बनाता है।
Madmaheshwar Temple (Rudraprayag) – Pandit Style | मदमहेश्वर मंदिर (रुद्रप्रयाग) – पंडित शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
मदमहेश्वर मंदिर, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रमुख शिव मंदिर है। इसे पंडित शैली में निर्मित किया गया है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का बेहतरीन उपयोग किया गया है। इस मंदिर की शैली में पारंपरिक पहाड़ी वास्तुकला की झलक मिलती है, जो स्थानीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाती है।
Palethi Surya Temple (Hindolakhal, Tehri) – Fansda Style | पलेठी सूर्य मंदिर (हिंडोलाखाल, टिहरी) – फांसड़ा शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
पलेठी सूर्य मंदिर फांसड़ा शैली में बना हुआ है। इस शैली की विशेषता है कि इसमें छत को सपाट और विस्तृत रखा जाता है, जो इसे अनोखा बनाता है। मंदिर के दरवाजे और खिड़कियाँ नक्काशीदार लकड़ी से बनाई गई हैं, जो इसे पारंपरिक और आकर्षक बनाती हैं।
Tungnath Temple – Chhatra Yukt Katyuri Style | तुंगनाथ मंदिर – छत्रयुक्त कत्यूरी शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
तुंगनाथ मंदिर, जो पंच केदार में से एक है, छत्रयुक्त कत्यूरी शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह शैली उत्तराखंड की पारंपरिक वास्तुकला में गिनी जाती है, जिसमें छत्र के आकार की छत और नक्काशीदार पत्थर शामिल होते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर बनाता है।
Saneshwar / Kurmana Temple – Shikhara Style | साणेश्वर / कुरमाणा मंदिर – शिखर शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
साणेश्वर और कुरमाणा मंदिर शिखर शैली के अद्वितीय उदाहरण हैं। इस शैली में मंदिर के शिखर को ऊँचाई तक उठाया जाता है और इसे पत्थरों से सजाया जाता है। यह शैली ज्यादातर उत्तरी भारत के मंदिरों में देखी जाती है और इसे उत्तराखंड के पारंपरिक मंदिरों में भी अपनाया गया है।
Punadu Shiva Temple (Tehri) – Nagara Style | पुनाडु शिव मंदिर (टिहरी) – नागर शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
पुनाडु शिव मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जिसमें शिखर को ऊँचाई तक उठाकर उसे नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है। इस शैली की खासियत यह है कि मंदिर के आधार को चौड़ा रखा जाता है और शिखर को तिकोना आकार दिया जाता है, जो मंदिर को भव्यता प्रदान करता है।
Kedarnath Temple – Katyuri / Pandav Style | केदारनाथ मंदिर – कत्यूरी / पाण्डव शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
केदारनाथ मंदिर, जिसे पांडवों ने महाभारत के समय बनाया था, कत्यूरी और पांडव शैली का मिश्रण है। इस मंदिर की दीवारें और छतें भारी पत्थरों से बनी हैं और इसमें नक्काशी की गई है। मंदिर की स्थापना पारंपरिक पत्थरों और स्लेट से की गई है, जो इसे स्थायित्व और धार्मिक महत्ता प्रदान करता है।
Raghunath Temple, Devprayag – Dravidian Style | देवप्रयाग का रघुनाथ मंदिर – द्रविड शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
देवप्रयाग का रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली में निर्मित है, जो दक्षिण भारतीय वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाता है। मंदिर का गर्भगृह और शिखर दोनों द्रविड शैली में बने हैं, जिसमें नक्काशीदार स्तंभ और मंडप भी शामिल हैं।
Badrinath Temple – Mughal Style | बद्रीनाथ मंदिर – मुगल शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण मुगल शैली में किया गया है। यह मंदिर धार्मिकता के साथ-साथ स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी दीवारों और दरवाजों पर की गई नक्काशी इसे भव्यता प्रदान करती है।
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Jageshwar Temple Complex – Kedarnath Style | जागेश्वर मंदिर समूह – केदारनाथ शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
जागेश्वर मंदिर समूह केदारनाथ शैली में बना हुआ है और इसमें 124 मंदिर शामिल हैं, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं। इस मंदिर समूह की शैली में पारंपरिक पत्थर की संरचना और शिखर की अद्वितीयता दिखाई देती है।
Raghunath Temple – Dravidian Style | रघुनाथ मंदिर – द्रविड शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली का प्रतीक है और इसमें पारंपरिक दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला की झलक मिलती है। इस मंदिर की विशेषता है कि इसमें नक्काशीदार पत्थरों का उपयोग किया गया है।
Yamunotri Temple – Katyuri Style | यमुनोत्री मंदिर – कत्यूरी शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
यमुनोत्री मंदिर कत्यूरी शैली में निर्मित है। इसमें पारंपरिक पहाड़ी वास्तुकला के साथ-साथ उत्तराखंड की प्राचीन स्थापत्य कला की विशेषताएँ शामिल हैं।
Mania Devi Temple (Dwarahat) – Nagara Style | मनिया देवी मंदिर (द्वाराहाट) – नागर शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
मनिया देवी मंदिर नागर शैली का अनुपम उदाहरण है। इसमें शिखर को नक्काशीदार पत्थरों से सजाया गया है और मंदिर का आधार चौड़ा है।
Lakhamandal Shiva Temple – Uttarakhand Style | लाखामंडल शिव मंदिर – उत्तराखण्ड शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
लाखामंडल शिव मंदिर उत्तराखण्ड शैली में निर्मित है, जिसमें पारंपरिक पत्थरों का उपयोग किया गया है और इसकी दीवारों पर की गई नक्काशी इसे विशेष बनाती है।
Katarmal Sun Temple – Uttarakhand Style | कटारमल सूर्य मंदिर – उत्तराखण्ड शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखण्ड शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है और यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इसमें पारंपरिक पत्थरों की संरचना और नक्काशीदार दरवाजे और खिड़कियाँ हैं।
Nanda Devi Temple – Kumaoni Craftsmanship | नन्दा देवी मंदिर – कुमाऊँनी शिल्प विधा- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
नन्दा देवी मंदिर कुमाऊँनी शिल्प विधा का प्रतीक है और यह कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है। इसकी वास्तुकला में कुमाऊँ की परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं की झलक मिलती है।
Nainital Raj Bhavan – European Style | नैनीताल राजभवन – यूरोपीय शैली- Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili
नैनीताल का राजभवन यूरोपीय शैली में निर्मित है और इसका निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था। इसमें आधुनिक स्थापत्य कला और पारंपरिक यूरोपीय शिल्प की विशेषताएं देखी जा सकती हैं।
उत्तराखंड के मंदिर (Uttarakhand Ke Mandiro Ki Shaili) न केवल धार्मिक स्थलों के रूप में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण भी हैं। उनकी शैली और निर्माण कला स्थानीय और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से लोगों की धार्मिक आस्था और आध्यात्मिकता को समृद्ध करती आई है।
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