
sugar info in hindi: शुगर कितनी हो तो मानी जाती है नॉर्मल, और कब समझें डायबिटीज का खतरा?
sugar info in hindi: आज के समय में डायबिटीज या मधुमेह भारत में इतनी आम बीमारी बन चुकी है कि इसे ‘डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ कहा जाने लगा है। बचपन से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। बावजूद इसके, आज भी बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि उनका ब्लड शुगर कितना होना चाहिए, कितना बढ़ा तो खतरे की घंटी है और कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसी जानकारी की कमी के कारण लाखों लोग वक्त रहते सही इलाज और कंट्रोल नहीं कर पाते और बीमारी बढ़ती जाती है। डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे कंट्रोल करके सामान्य जीवन जिया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है सही जानकारी। आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि नॉर्मल ब्लड शुगर कितना होना चाहिए, प्री-डायबिटीज किसे कहते हैं और कब माना जाता है कि आपको डायबिटीज हो चुकी है।
यह महत्वपूर्ण जानकारी Dr. Priyanka Sehrawat, Neurologist, MD Medicine and DM Neurology (AIIMS Delhi) और SabkiSehat Health Campaign की फाउंडर से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है।
खाली पेट ब्लड शुगर (Fasting Blood Sugar) कितना होना चाहिए?
खाली पेट ब्लड शुगर की जांच सुबह सोकर उठने के बाद की जाती है। इस टेस्ट से पहले कम से कम 8 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं चाहिए। इसे सबसे बेसिक टेस्ट माना जाता है, जो डायबिटीज के खतरे का अंदाजा लगाने में मदद करता है।
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नॉर्मल – 100 mg/dl से कम।
अगर आपका फास्टिंग शुगर 100 से कम है तो आपको फिलहाल डायबिटीज का खतरा नहीं है। -
प्री-डायबिटीज – 100 से 125 mg/dl।
इस रेंज में आने का मतलब है कि ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने की शुरुआत हो गई है। इस स्टेज को कंट्रोल करना सबसे जरूरी होता है। -
डायबिटीज – 126 mg/dl या इससे ज्यादा।
अगर खाली पेट ब्लड शुगर 126 या उससे ज्यादा है तो यह डायबिटीज का पक्का संकेत है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और जरूरी टेस्ट कराएं।
खाने के बाद ब्लड शुगर (Postprandial Blood Sugar – PPBS)
दूसरा जरूरी टेस्ट है खाने के बाद का ब्लड शुगर। इसे खाना खाने के ठीक दो घंटे बाद किया जाता है। इस टेस्ट से यह पता चलता है कि शरीर ग्लूकोज को कितनी अच्छी तरह से प्रोसेस कर पा रहा है।
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नॉर्मल – 140 mg/dl से कम।
अगर खाना खाने के बाद ब्लड शुगर 140 से कम है तो यह सामान्य है। -
प्री-डायबिटीज – 140 से 199 mg/dl।
अगर यह इस रेंज में है तो आपको अपनी डायट और लाइफस्टाइल पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। -
डायबिटीज – 200 mg/dl या इससे ज्यादा।
खाना खाने के बाद अगर शुगर 200 या उससे ज्यादा है तो यह डायबिटीज की स्थिति मानी जाती है।
रैंडम ब्लड शुगर (Random Blood Sugar)
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट कभी भी किया जा सकता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि आप खाली पेट हैं या खाना खा चुके हैं। जब भी शुगर चेक कराई जाए, वह रैंडम टेस्ट माना जाता है।
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अगर आपका रैंडम ब्लड शुगर 200 mg/dl या उससे ज्यादा है तो यह डायबिटीज की पुष्टि करता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको HbA1c समेत और भी टेस्ट कराने को कह सकते हैं।
एचबीए1सी (HbA1c) टेस्ट क्यों जरूरी है?
HbA1c टेस्ट पिछले तीन महीनों के आपके औसत ब्लड शुगर को बताता है। इसे ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहा जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज के मैनेजमेंट में सबसे ज्यादा काम आता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि आपका शुगर लंबे समय में कैसा रहा है।
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नॉर्मल – 5.6% से कम।
अगर HbA1c 5.6% से कम है तो शुगर कंट्रोल में है। -
प्री-डायबिटीज – 5.7% से 6.4% के बीच।
यह रेंज प्री-डायबिटीज का संकेत है। आपको अलर्ट हो जाना चाहिए। -
डायबिटीज – 6.5% या उससे ज्यादा।
यह डायबिटीज की पक्की पुष्टि करता है।
डायबिटीज पेशेंट के लिए आदर्श शुगर लेवल कितना होना चाहिए?
अगर किसी को पहले से डायबिटीज है और वह दवा या इंसुलिन ले रहा है तो उसके लिए टारगेट ब्लड शुगर लेवल अलग हो सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है, लेकिन सामान्य तौर पर ये लक्ष्य माने जाते हैं –
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खाली पेट ब्लड शुगर – 130 mg/dl से कम।
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खाने के बाद ब्लड शुगर – 180 mg/dl से कम।
डायबिटीज को कंट्रोल में कैसे रखें?
डायबिटीज का इलाज दवाओं और इंसुलिन के अलावा सही लाइफस्टाइल पर भी निर्भर करता है। यह कुछ आसान आदतों से भी कंट्रोल किया जा सकता है।
1. नियमित एक्सरसाइज:
रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें। वॉकिंग, योगा, साइक्लिंग या हल्का रनिंग भी फायदेमंद है। इससे शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है।
2. हेल्दी डाइट:
फास्ट फूड, अधिक शक्कर और प्रोसेस्ड चीजें छोड़ें। अपनी थाली में हरी सब्जियां, दालें, फल और साबुत अनाज शामिल करें।
3. वजन नियंत्रित रखें:
ओवरवेट लोग डायबिटीज के ज्यादा शिकार होते हैं। वजन कम करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना आसान होता है।
4. नियमित चेकअप:
अगर आपको डायबिटीज है या प्री-डायबिटीज स्टेज में हैं तो हर 3 महीने पर HbA1c टेस्ट जरूर कराएं और डॉक्टर की सलाह लें।
5. तनाव से दूरी:
तनाव भी ब्लड शुगर बढ़ा सकता है। मेडिटेशन, अच्छी नींद और पॉजिटिव सोच इसमें मदद कर सकती है।
डायबिटीज को हल्के में ना लें
बहुत से लोग डायबिटीज को ‘साइलेंट किलर’ कहते हैं, क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई बार लोग ध्यान नहीं देते। ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान महसूस होना, अचानक वजन घट जाना जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
डायबिटीज को नजरअंदाज करने से हार्ट डिजीज, किडनी फेलियर, न्यूरोपैथी और आंखों की रोशनी जाने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जितना जल्दी इसे पहचाना जाएगा, उतना अच्छा रहेगा।
डायबिटीज आज के दौर में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सही जानकारी और थोड़ी सी सावधानी से इसे काबू में रखा जा सकता है। नियमित ब्लड शुगर टेस्ट, संतुलित आहार, सक्रिय जीवनशैली और डॉक्टर की सलाह – यही डायबिटीज से बचाव और नियंत्रण का मंत्र है।
अगर आपको अपने ब्लड शुगर लेवल को लेकर कोई संदेह हो तो आज ही टेस्ट कराएं और जरूरत पड़ी तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। याद रखें, डायबिटीज कंट्रोल में रहेगी तो आप स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकेंगे।
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