
श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti)
Shri Ram Stuti : अगर आप जीवन में शांति, स्थिरता, मानसिक सुकून और दिव्य ऊर्जा की तलाश में हैं, तो श्री राम स्तुति आपकी आत्मा को भीतर तक छू सकती है। यह सिर्फ एक स्तुति नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम के आदर्शों, उनके चरित्र, उनकी करुणा और उनकी दिव्य मर्यादा का अत्यंत पावन स्वरूप है। इस लेख में हम श्री राम स्तुति के अर्थ, इसकी रचना, महत्व, लाभ और सही पाठ विधि के बारे में विस्तार से समझेंगे – बिल्कुल सहज, मानव-सरीखा और सरल अंदाज में।
श्री राम स्तुति क्या है? (Shri Ram Stuti Kya Hai?)
श्री राम स्तुति भगवान श्रीराम के गुणों, स्वरूप, मर्यादा और दिव्य तेज का वर्णन करने वाला एक अत्यंत सुकूनदायक स्तोत्र है। इसे श्रद्धा, प्रेम और भक्ति के साथ पढ़ने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। राम स्तुति का पाठ न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि मानसिक तनाव, भय और चिंता को भी समाप्त करता है। प्राचीन काल से साधक इसे अपनी दैनिक साधना का हिस्सा बनाते रहे हैं।
राम स्तुति किसने लिखी? (Ram Stuti Kisne Likhi?)
राम स्तुति के रचयिता हैं गोस्वामी तुलसीदास, जो 16वीं शताब्दी के महान संत एवं कवि थे। यह स्तुति उनकी प्रसिद्ध कृति विनय पत्रिका का एक महत्वपूर्ण भाग है। तुलसीदास जी ने संस्कृत और अवधी के मधुर मिश्रण से इसे इतना सरल और भावपूर्ण बनाया कि कोई भी इसे पढ़कर भगवान श्रीराम की करुणा और शांति को अनुभव कर सकता है। तुलसीदास जी ने इस स्तुति में –
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भगवान राम के सौंदर्य,
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उनके गुण,
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उनकी दया,
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उनके वीरता,
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और उनके शांत, दिव्य, मर्यादा-पूर्ण रूप
का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है।
श्री राम स्तुति मूल पाठ (Shri Ram Stuti Original Text)
नीचे श्री राम स्तुति का पूरा पाठ दिया गया है, जैसा कि विनय पत्रिका में मिलता है:
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन
हरण भवभय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं।
पट पीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं॥३॥
शिर मुकुट कुण्डल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं।
मम हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खल दल गंजनं॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन
सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानीहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे॥
राम स्तुति का महत्व (Ram Stuti Ka Mahatva)
श्री राम स्तुति मात्र शब्दों का समूह नहीं है। यह भगवान श्रीराम के चरणों में सम्पूर्ण समर्पण की भावना है। इसे पढ़ने से व्यक्ति का मन धीरे-धीरे शांत होकर भीतर की अशांतियों से मुक्त होने लगता है। यह स्तुति मन, शरीर और आत्मा – तीनों को दिव्यता से भर देती है।
राम स्तुति का महत्व मुख्य रूप से इन बिंदुओं में दिखता है:
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यह मन को शांत करती है
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यह जीवन में स्थिरता लाती है
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यह आध्यात्मिक मार्ग पर आगे ले जाती है
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यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है
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यह विश्वास और आत्मबल बढ़ाती है
राम स्तुति करने के फायदे (Ram Stuti Karne Ke Fayde)
अब हम विस्तार से उन लाभों के बारे में जानेंगे जो राम स्तुति के नियमित पाठ से साधक को प्राप्त होते हैं।
1. घर में सुख-शांति और पॉज़िटिव एनर्जी (Ghar Me Sukh-Shanti Aur Positive Energy)
रोज़ाना राम स्तुति पढ़ने से पूरे घर में दिव्य कंपन (positive vibrations) फैलते हैं। यह वातावरण को शांत और पवित्र बनाता है। घर के सदस्यों के बीच प्रेम, सद्भाव और एकजुटता बढ़ती है। जहाँ राम नाम का जप होता है, वहाँ कलह, तनाव और नकारात्मकता टिक नहीं पाती।
2. भय और चिंता से मुक्ति (Bhay aur Chinta Se Mukti)
आज के समय में मानसिक तनाव हर किसी के जीवन का हिस्सा बन गया है। राम स्तुति मन को भीतर से शांत करती है और डर, चिंता, बेचैनी और तनाव को दूर करती है। इससे आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति अधिक संयमित होता है।
3. मनोकामनाओं की पूर्ति (Manokamna Puri Hoti Hai)
भक्त यदि मन से, श्रद्धा से और नियमपूर्वक राम स्तुति का पाठ करता है, तो भगवान उसकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यह विश्वास सदियों से साधकों द्वारा अनुभव किया गया है।
4. हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है (Hanuman Ji Ki Kripa)
हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त हैं। राम स्तुति पढ़ने से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं और साधक की रक्षा करते हैं। जिनके जीवन में बाधाएँ अधिक आती हैं, वे राम स्तुति और हनुमान चालीसा साथ पढ़ें – यह अत्यंत शुभ माना गया है।
5. मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन (Mansik Shanti aur Emotional Balance)
राम स्तुति वह ऊर्जा देती है, जो मन को स्थिर और शांत रखती है। यह गुस्सा, क्रोध और बेचैनी को कम करती है। व्यक्ति अधिक धैर्यवान, शांत और संतुलित बनता है।
6. आध्यात्मिक उन्नति (Adhyatmik Unnati)
राम स्तुति से व्यक्ति में भक्ति-भाव बढ़ता है। यह साधक को सही मार्ग दिखाती है और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करती है। यह आपकी साधना को मजबूत बनाती है।
7. रोगों और दुखों से राहत (Rogon aur Dukhon se Rahat)
नियमित पाठ से मानसिक और भावनात्मक रोगों में राहत मिलती है। जब मन शांत होता है, तो शरीर भी स्वस्थ होने लगता है। चिंता और तनाव दूर होकर जीवन में स्थिरता आती है।
राम स्तुति कब करनी चाहिए? (Ram Stuti Kab Karni Chahiye?)
आप राम स्तुति किसी भी समय कर सकते हैं, क्योंकि भगवान का नाम लेने के लिए कोई बंधन नहीं होता।
लेकिन परंपरा और शास्त्रों के अनुसार कुछ समय अत्यंत शुभ माने गए हैं।
1. प्रतिदिन सुबह और शाम (Pratidin Subah aur Shaam)
सुबह स्नान के बाद शुद्ध मन से स्तुति करें। शाम को दीपक जलाकर पाठ करने से घर में दिव्य कंपन बढ़ते हैं। इससे पूरा दिन और रात शांतिपूर्ण होती है।
2. विशेष धार्मिक अवसरों पर (Vishesh Dharmik Avsar Par)
राम नवमी
दशहरा
नवरात्रि
रामायण मास
श्रवण मास
इन अवसरों पर राम स्तुति का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
3. नए कार्य की शुरुआत में (Naye Kaam Ki Shuruaat Mein)
कोई भी नया काम
व्यापार
यात्रा
महत्वपूर्ण निर्णय
इनसे पहले राम स्तुति पढ़ना सफलता और सौभाग्य को आकर्षित करता है।
4. संकट, तनाव और भय के समय (Sankat, Tanaav aur Bhay Ke Samay)
जब भी मन दुखी हो या जीवन में मुश्किलें हों, राम स्तुति का पाठ मन को तुरंत सहारा देता है। यह भय को शांत करता है और आत्मबल बढ़ाता है।
5. हनुमान जी की पूजा के समय (Hanuman Ji Ki Pooja Ke Samay)
हनुमान जी के सामने हमेशा श्रीराम का ही स्मरण करना चाहिए। इसलिए पूजा में राम स्तुति शामिल करना अत्यंत शुभ माना गया है।
राम स्तुति पढ़ने के नियम और विधि (Ram Stuti Padhne Ki Vidhi)
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शांत स्थान चुनें
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मन को स्थिर करें
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दीपक जलाएँ
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भगवान राम का चित्र या रामदरबार सामने रखें
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स्तुति को धीरे-धीरे, भाव से पढ़ें
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अंत में प्रार्थना करें
नियम से अधिक महत्वपूर्ण भक्ति है – भगवान भाव देखते हैं, प्रदर्शन नहीं।
निष्कर्ष (Conclusion)
श्री राम स्तुति केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि जीवन को अर्थ देने वाला दिव्य मार्गदर्शन है। यह मन को शांत करती है, भय को दूर करती है और जीवन में नई ऊर्जा भरती है। तुलसीदास द्वारा रचित यह स्तुति सदियों से भक्तों की आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत रही है। यदि आप जीवन में शांति, सुख और दिव्यता चाहते हैं, तो प्रतिदिन कुछ मिनट निकालकर श्री राम स्तुति अवश्य पढ़ें। आप स्वयं देखेंगे कि आपके जीवन का वातावरण, मन और विचार कितने सुंदर रूप से बदलने लगे हैं।
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