
राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं — महिलाओं को पुरुषों के बराबर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, वंदना कटारिया और सुशीला बलूनी का किया जिक्र
देहरादून से बड़ी खबर — उत्तराखंड स्थापना दिवस के रजत जयंती समारोह पर सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने राज्य के 25 साल की विकास यात्रा, महिला सशक्तिकरण और समान नागरिक संहिता जैसे बड़े मुद्दों पर खुलकर बात की। राष्ट्रपति ने कहा — “राज्य के विकास में महिलाओं की भागीदारी बेहद अहम रही है, और अब वक्त आ गया है कि उन्हें विधानसभा में भी पुरुषों के समान प्रतिनिधित्व मिले।”
राष्ट्रपति का फोकस महिलाओं पर
राष्ट्रपति मुर्मू का भाषण लगभग 30 मिनट तक चला, जिसमें उन्होंने सबसे ज्यादा जोर महिलाओं की भूमिका पर दिया। उन्होंने कहा — “उत्तराखंड ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। वंदना कटारिया, बछेंद्री पाल, सुशीला बलूनी, गौरा देवी और राधा भट्ट जैसी असाधारण महिलाओं ने राज्य और देश दोनों का नाम रोशन किया है। इनसे प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियां और ऊंचाइयां छुएंगी।”
उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ी वंदना कटारिया और समाजसेवी सुशीला बलूनी का नाम विशेष रूप से लिया और कहा कि उत्तराखंड की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं।
विधानसभा में महिलाओं की बराबर संख्या की उम्मीद
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उत्तराखंड ने ऋतु खंडूड़ी भूषण को राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनाकर महिला नेतृत्व को सशक्त किया है। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि आने वाले समय में विधानसभा में महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर हो — क्योंकि जब निर्णय लेने वाली टेबल पर महिलाएं होती हैं, तो समाज की दिशा और विकास की सोच दोनों बदलती हैं।”
इस बात पर सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने तालियां बजाकर राष्ट्रपति के शब्दों का स्वागत किया।
“हमारी बेटियां दुनिया में बजा रही हैं डंका”
अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्व कप जीतने पर भी बधाई दी। उन्होंने कहा — “हमारी बेटियों ने क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीतकर न सिर्फ भारत का, बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं का मान बढ़ाया है। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं — चाहे खेल हो, शिक्षा या नेतृत्व।”
उत्तराखंड की 25 साल की उपलब्धियों का जिक्र
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बने इस राज्य ने 25 सालों में पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। उन्होंने कहा कि डिजिटल और भौतिक कनेक्टिविटी के कारण राज्य में मानव विकास सूचकांक में सुधार हुआ है और यह “देवभूमि” अब विकास के नए आयाम गढ़ रही है।
समान नागरिक संहिता पर बोलीं — ऐतिहासिक कदम
राष्ट्रपति ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) पारित होने की सराहना की और कहा कि यह कदम संविधान के नीति-निर्देशों के अनुरूप है। उन्होंने कहा — “उत्तराखंड ने लोकायुक्त, भूमि सुधार और नकल विरोधी जैसे जनहित के कानून बनाकर देश के सामने एक उदाहरण पेश किया है।”
लोकतंत्र के मंदिर में दी प्रेरणा
राष्ट्रपति मुर्मू ने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि जनता और प्रतिनिधि के बीच विश्वास का रिश्ता तभी मजबूत होता है जब नेता सेवा-भाव से काम करें। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए अवसर और वंचित वर्गों के लिए विकास कार्य प्राथमिकता में होने चाहिए।
उन्होंने ई-विधान व्यवस्था (National Electronic Vidhan Application) शुरू होने पर भी संतोष जताया और कहा कि इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि राज्य की कार्यप्रणाली भी आधुनिक बनेगी।
“उत्तराखंड शौर्य और अध्यात्म की धरती है”
राष्ट्रपति ने कहा — “यह भूमि सदियों से शौर्य और अध्यात्म की मिसाल रही है। गढ़वाल और कुमाऊं रेजिमेंट के जवान देश की रक्षा में अग्रणी हैं, जिस पर पूरा भारत गर्व करता है।”
भाषण के अंत में उन्होंने कहा — “उत्तराखंड की 25 साल की यह यात्रा जनता और विधायकों के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई है। मुझे विश्वास है कि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ यह राज्य आने वाले वर्षों में और ऊंचाइयां छुएगा।”
राष्ट्रपति ने राज्य के सभी नागरिकों को “स्वर्णिम भविष्य” की शुभकामनाएं दीं और कहा कि “देवभूमि उत्तराखंड” अपनी समृद्ध संस्कृति और प्रकृति की गोद में निरंतर विकास का नया अध्याय लिखता रहेगा।
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