
Divisions of Uttarakhand in Hindi: जानें उत्तराखंड के मंडल, तहसील और ब्लॉक
Divisions of Uttarakhand in Hindi: उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण पहाड़ी राज्य है। इसकी प्रशासनिक व्यवस्था दो मुख्य मंडलों (Division) में बंटी हुई है—कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल। दोनों मंडलों में कुल 13 जिले, 95 ब्लॉक, और 110 तहसील हैं। इन दोनों मंडलों के गठन, विकास और प्रशासन के इतिहास में अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं जुड़ी हुई हैं। इस लेख में हम उत्तराखंड के इन दोनों मंडलों के इतिहास, जिले, तहसील, ब्लॉक और राजस्व एवं पुलिस व्यवस्था की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
उत्तराखंड के मंडल (Division of Uttarakhand)
1. कुमाऊं मंडल (Kumaun Division)
कुमाऊं मंडल की स्थापना
कुमाऊं मंडल की स्थापना 1854 में हुई थी। इसका मुख्यालय नैनीताल में है। अंग्रेजों के शासनकाल में कुमाऊं क्षेत्र का प्रशासनिक गठन हुआ था और बाद में इसे एक पूर्ण मंडल के रूप में स्थापित किया गया। 1966 में कुमाऊं मंडल विकास निगम की स्थापना भी हुई, जो इस क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार है।
कुमाऊं मंडल के अंतर्गत जिले
कुमाऊं मंडल में कुल छह जिले आते हैं:
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अल्मोड़ा
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पिथौरागढ़
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चंपावत
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बागेश्वर
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ऊधम सिंह नगर
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नैनीताल
इन जिलों की स्थापना के वर्ष और मुख्यालय इस प्रकार हैं:
जिला | स्थापना वर्ष | मुख्यालय | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) |
---|---|---|---|
अल्मोड़ा | 1891 | अल्मोड़ा | 3139 |
पिथौरागढ़ | 24 फरवरी 1960 | पिथौरागढ़ | 7090 |
चंपावत | 15 सितंबर 1997 | चंपावत | 1766 |
बागेश्वर | 18 सितंबर 1997 | बागेश्वर | 2246 |
ऊधम सिंह नगर | 26 दिसंबर 1995 | रूद्रपुर | 2542 |
नैनीताल | 1891 | नैनीताल | 4251 |
इतिहास की झलक
1815 में अंग्रेजों ने कुमाऊं क्षेत्र पर अधिकार कर इसे कुमाऊं जनपद के रूप में स्थापित किया। प्रारंभ में पूरे क्षेत्र को कुमाऊं जनपद कहा जाता था, लेकिन 1891 में इसे दो जिलों — अल्मोड़ा और नैनीताल — में विभाजित किया गया। स्वतंत्रता के बाद 1949 में टिहरी रियासत को कुमाऊं मंडल के चौथे जिले के रूप में शामिल किया गया। इसके बाद, 1960 में पिथौरागढ़ और चमोली जैसे नए जिले बनाए गए।
2. गढ़वाल मंडल (Garhwal Division)
गढ़वाल मंडल की स्थापना
गढ़वाल मंडल की स्थापना 1969 में हुई थी। इसका मुख्यालय पौड़ी में स्थित है। गढ़वाल मंडल विकास निगम 1976 में स्थापित हुआ। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल गोपाल रेड्डी को गढ़वाल मंडल का जन्मदाता माना जाता है।
गढ़वाल मंडल के जिले
गढ़वाल मंडल में सात जिले आते हैं:
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चमोली
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उत्तरकाशी
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हरिद्वार
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देहरादून
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पौड़ी
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टिहरी
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रुद्रप्रयाग
इन जिलों का विस्तार और स्थापना निम्नलिखित है:
जिला | स्थापना वर्ष | मुख्यालय | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) |
---|---|---|---|
देहरादून | 1817 | देहरादून | 3088 |
पौड़ी | 1839 | पौड़ी | 5329 |
टिहरी | 1 अगस्त 1949 | नई टिहरी | 3642 |
उत्तरकाशी | 24 फरवरी 1960 | उत्तरकाशी | 8016 |
चमोली | 24 फरवरी 1960 | गोपेश्वर | 8030 |
हरिद्वार | 28 दिसंबर 1988 | हरिद्वार | 2360 |
रुद्रप्रयाग | 18 सितंबर 1997 | रुद्रप्रयाग | 1984 |
इतिहास की झलक
गढ़वाल क्षेत्र में अंग्रेजों ने 1975 में देहरादून जिले को मेरठ मंडल से हटाकर गढ़वाल मंडल में शामिल किया। गढ़वाल क्षेत्र की राजनीतिक प्रशासनिक इकाई के रूप में स्थापना 1969 में हुई, तब से यह क्षेत्र उत्तराखंड के प्रशासनिक मूलाधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उत्तराखंड के ब्लॉक (Blocks of Uttarakhand)
उत्तराखंड में कुल 95 ब्लॉक हैं, जो राज्य के विकास कार्यों का संचालन करते हैं। प्रत्येक जिले में कई ब्लॉक होते हैं। यहां कुछ प्रमुख जिलों के ब्लॉकों की सूची दी जा रही है:
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उत्तराखंड राज्य में कुल 95 ब्लॉक है। जो इस प्रकार से है।
- 1. पौड़ी गढवाल (15)- थैलीसैंड, कल्जीखाल, पौड़ी, पाबौ, कोट, लैंसडाउन, दुगड्डा, बीरोंखाल, रिखड़ीखाल, द्वारीखाल, यमकेश्वर, पोखड़ा, नैनीडांडा, खिरसू, पणाखेत
- 2. अल्मोड़ा(11)- स्याल्दे, चौखुटिया, भिक्यासैंण, ताड़ीखेत, सल्ट, द्वाराहाट, लमगड़ा, धौलादेवी, हवालबाग,ताकुला, भैंसियाछाना
- 3. टिहरी गढ़वाल (10) – टिहरी, प्रतापनगर, चंबा, जौनपुर, नरेन्द्रनगर, कीर्तिनगर, देवप्रयाग, घनसाली, जाखड़ीधार, धौलधार
- 4. नैनीताल(08)-हल्द्वानी, रामनगर, भीमताल, रामगढ़, कोटाबाग, बेतालघाट, धारी, ओखलकांडा
- 5. पिथौरागढ़ (08)- मुनस्यारी, धारचूला, बेरीनाग, डीडीहाट, कनालीछीना, गंगोलीहाट, मूनाकोट, पिथौरागढ़
- 6. चमोली(08)- जोशीमठ, दशौली, घाट, कर्णप्रयाग, नारायणबगड़, थराली, देवाल, गैरसैंण
- 7. ऊधम सिंह नगर (07)- जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रूद्रपुर, सितारगंज, खटीमा
- 8. उत्तरकाशी (06)- मोरी, पुरोला, नौगांव, डुंडा, चिन्यालीसैंड़, भटवाड़ी
- 9. देहरादून(06)- रायपुर, डोईवाला, विकासनगर, चकराता, कालसी, सहसपुर
- 10. हरिद्वार(06)- रूड़की, भगवानपुर, नारसन, बहादराबाद, लक्सर, खानपुर
- 11. चंपावत(04)- चंपावत, लोहाघाट, बाराकोट, पाटी
- 12. रूद्रप्रयाग(03)- उखीमठ, अगस्त्यमुनि, जखोली
- 13. बागेश्वर(03)- बागेश्वर, कपकोट, गरूड़
उत्तराखंड की तहसीलें (Tehsils of Uttarakhand)
राज्य में कुल 110 तहसीलें हैं, जो प्रशासनिक दृष्टि से जिले से भी अधिक नजदीक जनता तक पहुँचती हैं। तहसीलों के माध्यम से राजस्व कार्यों के साथ-साथ कई सरकारी योजनाएं लागू होती हैं। प्रमुख तहसीलों में पिथौरागढ़ में 13, अल्मोड़ा में 12, चमोली में 12, पौड़ी में 12, टिहरी में 12, नैनीताल में 9, देहरादून में 7, ऊधम सिंह नगर में 8 तहसीलें हैं।
उत्तराखंड राज्य में 110 तहसीलें है जो इस प्रकार से है
- 1-पिथौरागढ़(13)- पिथौरागढ़, मुन्स्यारी, धारचुला, डीडीहाट, गंगोलीहाट, बेरीनाग, बंगापानी, गणाई गंगोली, देवस्थल, कनालीछीना, थल, तेजम, पांखू
- 2-अल्मोड़ा(12)- अल्मोड़ा, रानीखेत, भिकियासैंण, सल्ट, चौखुटिया, सोमेश्वर द्वाराहाट, भनौली, जैंती, स्याल्दे, धौलाछीना, लमगड़ा
- 3-चमोली(12)- चमोली, जोशीमठ, कर्णप्रयाग, थराली, पोखरी, गैरसैंण, नन्दानगर (घाट), जिलासु,
- आदिबद्री, नन्दप्रयाग, नारायणबगड़, देवाल
- 4-पौढ़ी(12)- पौढ़ी, श्रीनगर, थलीसैंण, कोटद्वार, धूमाकोट, लैंसडाउन, यमकेश्वर, चौबट्टाखाल,
- सतपुली, चाकीसैंण, जाखड़ीखाल, विरोंखाल
- 5-टिहरी(12)- टिहरी, प्रतापनगर, नरेन्द्रनगर, देवप्रयाग, घनसाली, जाखड़ीधार, धनौल्टी, कंडीसैंण,गजा, नैनबाग, कीर्तिनगर, बालगंगा
- 6-नैनीताल(09)- नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, धारी, कुश्याकुटौली, कालाढुंगी, बेलालघाट, लालकुंआ, खन्स्यूं (ओखलकाण्डा)
- 7-देहरादून (07)- चकराता, देहरादून, विकासनगर, ऋषिकेष, त्यूणी, कालसी, डोईवाला
- 8-ऊधमसिंह नगर (08)- काशीपुर, किच्छा, खटीमा, सितारगंज, बाजपुर, जसपुर, गदरपुर, रूद्रपुर
- 9-उत्तरकाशी(06)- डुण्डा, भटवाड़ी, पुरोला, बड़कोट, मोरी, चिल्यानीसौंण
- 10-बागेश्वर(06)- बागेश्वर, कपकोट, गरूड़, काण्डा, दुगनाकुरी, काफलीगैर
- 11-चम्पावत(05)- चम्पावत, पाटी, पूर्णागिरी, लोहाघाट, बाराकोट
- 12-रूद्रप्रयाग(04)- रूद्रप्रयाग, ऊखीमठ, जखोली, वसुकेदार
- 13-हरिद्वार(04) – हरिद्वार, लश्कर, रूड़की, भगवानपुर
उत्तराखंड में राजस्व और पुलिस व्यवस्था (Revenue and Police System)
1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने पूरे भारत में सिविल पुलिस व्यवस्था लागू की, लेकिन कुमाऊं क्षेत्र में तत्कालीन कमिश्नर रैम्जे ने स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को बनाए रखने की सलाह दी। यह व्यवस्था 1874 से उत्तराखंड में लागू है और आज भी राज्य के 61 प्रतिशत क्षेत्र में यह व्यवस्था सक्रिय है।
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कुमाऊं में: 19 परगने और 125 पट्टियां थीं।
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गढ़वाल में: 11 परगने और 86 पट्टियां थीं।
राज्य में कुल 155 पुलिस थाने हैं। इनमें से सबसे अधिक 55 थाने देहरादून में हैं जबकि सबसे कम 6 थाने रुद्रप्रयाग में हैं।
उत्तराखंड का पहला साइबर थाना देहरादून में 25 मार्च 2015 को स्थापित हुआ था। दूसरा साइबर थाना, जो कुमाऊं का प्रथम साइबर थाना भी है, 1 जनवरी 2021 को रूद्रपुर में स्थापित किया गया।
उत्तराखंड में सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI)
भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ था। उत्तराखंड ने इस अधिनियम को जल्दी अपनाया और 3 अक्टूबर 2005 को ही राज्य सूचना आयोग का गठन कर मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति कर दी।
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पहला सूचना आयुक्त: आर. एस. टोलिया
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वर्तमान सूचना आयुक्त: अर्जुन सिंह
आरटीआई के माध्यम से राज्य की जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर सरकारी कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित कर रही है।
उत्तराखंड के दो प्रमुख मंडल—कुमाऊं और गढ़वाल—राज्य के प्रशासन, विकास, और शासन की रीढ़ हैं। इनके अंतर्गत आने वाले जिलों, ब्लॉकों, और तहसीलों की संख्या बहुत अधिक है, जो राज्य की प्रशासनिक जटिलता और विविधता को दर्शाती है। राजस्व और पुलिस व्यवस्था की अपनी एक विशिष्ट पहचान है, जो क्षेत्रीय परिस्थितियों और इतिहास के अनुरूप विकसित हुई है। इसके अलावा सूचना का अधिकार अधिनियम ने राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूती दी है।
उत्तराखंड का प्रशासनिक ढांचा न केवल क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करता है बल्कि राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि में भी योगदान देता है।
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