
500 साल पुरानी संस्कृत पांडुलिपियों से लेकर प्राचीन सिक्कों तक… बेंजी गांव का संग्रहालय है विरासत का खजाना
रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि ब्लॉक का बेंजी गांव न केवल ‘संस्कृत ग्राम’ के रूप में अपनी नई पहचान बना रहा है, बल्कि यहां स्थित संग्रहालय सदियों पुरानी बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित संजोए हुए है।
इस संग्रहालय में 400 से 500 वर्ष पुरानी हस्तलिखित संस्कृत पांडुलिपियां संरक्षित हैं, जो गांव के गौरवशाली अतीत और यहां के अगस्त्य गुरुकुलम की विद्वत परंपरा की गवाही देती हैं। इसके अलावा यहां उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ी कई दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित हैं—जिनमें प्राचीन सिक्के, लोहे और तांबे के औजार, पारंपरिक बर्तन और ग्रामीण जीवन से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरें शामिल हैं।
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि संग्रहालय की पांडुलिपियां धार्मिक ग्रंथों, व्याकरण, ज्योतिष और आयुर्वेद जैसे विषयों पर आधारित हैं। वहीं, प्राचीन औजार और बर्तन पहाड़ के पुराने जीवन की झलक पेश करते हैं, जबकि सिक्के यहां के ऐतिहासिक व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क की कहानी कहते हैं।
संग्रहालय के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अयोध्या प्रसाद बेंजवाल, अध्यक्ष तुंगेश्वर यज्ञ समिति बेंजी, ने बताया कि इसमें विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों का सावधानीपूर्वक संकलन किया गया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस संग्रहालय का विस्तार किया जाए, ताकि इन अनमोल धरोहरों को और बेहतर तरीके से संरक्षित और प्रदर्शित किया जा सके। उनका कहना है कि संग्रहालय के आकार और संसाधनों में वृद्धि होने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका में सहारा मिलेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हाल ही में वर्चुअल माध्यम से ‘संस्कृत ग्राम’ का उद्घाटन होने के बाद इस संग्रहालय की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह न केवल विद्वानों और शोधार्थियों के लिए अमूल्य धरोहर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक जीवंत माध्यम भी है।
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