
हिमालय जैसे पहाड़ी क्षेत्र अक्सर “बादल फटने” की घटनाओं का केन्द्र बने रहते हैं। सामान्य धारणा है कि यह खतरनाक घटना दिन में अधिक होती होगी, लेकिन कई वैज्ञानिक शोध और डेटा बताते हैं कि रात के समय बादल फटने की घटनाएं अधिक तीव्र और अभूतपूर्व होती हैं। नीचे हम इस तथ्य को विस्तार से समझते हैं:
1. भू-सतह का तापमान और दिन-रात तापमान अंतर
रात में जमीन तेजी से ठंडी हो जाती है, खासकर सूखे पहाड़ी क्षेत्र में, जहां नमी कम होने के कारण तापमान अंतर (दीयूरन तापमान अंतर) अधिक होता है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, दिन और रात के बीच सतही तापमान का बड़ा अंतर गरम और ठंडी हवा के बीच अस्थिरता बढ़ाता है, जिससे गर्म हवा तेजी से ऊपर उठकर बादल बनाती है और यह बादल अचानक भारी बारिश (cloudburst) के रूप में टूट सकता है ।
2. क्षेत्रीय अवरुद्ध धाराएँ और अनियमित सतह
रात के समय ओरोग्राफिक (भू-आकृतिक) उठान की भूमिका भी बढ़ जाती है। दिन में बादल फैल सकते हैं, लेकिन रात में जब हवा ठंडी होती है, पारा कम होता है और बादल नीचे की ओर भारी होकर संकरी घाटियों और घाटियों में रुके रहते हैं—इससे एक ही स्थान पर अत्यधिक वर्षा संभव हो पाती है ।
3. स्थानीय संवहन (Local Convection) और रात का रोल
दिन में दी गई गर्मी की वजह से सतह की हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है; रात में यह गर्म हवा अचानक ठंडी हवा से टकराकर तेज और केंद्रित संवहन (convection) उत्पन्न करती है, जिससे तेज बादल बनते हैं और अचानक भारी बारिश होती है। यह प्रक्रिया रात में और अधिक तीव्र हो सकती है क्योंकि वातावरण पहले से अस्थिर और नमी से संतृप्त होती है।
4. रिकॉर्ड और विश्लेषण – कब और कहाँ होती हैं घटनाएँ?
- आंकलन बताता है कि मिनी-क्लाउडबर्स्ट (MCB) जैसी घटनाएँ हिमालय की तलहटी और पश्चिमी तटों पर सुबह के समय ज्यादा होती हैं, जबकि दक्षिणी क्षेत्र में रात में भी दर्ज हुई हैं ।
- विशेष अध्ययन में पाया गया है कि रात-दिन सतह तापमान का बड़ा अंतर तूफानी बारिश (thunderstorms) और cloudburst निर्माण में एक महत्वपूर्ण कारक है ।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि दिन के उजाले में भी बादल फट सकते हैं, लेकिन रात के समय तापमान, वायुदाब और नमी का संयुक्त प्रभाव इसे और अधिक बार और तेज़ बना देता है। उदाहरण के तौर पर, हिमाचल या उत्तराखंड जैसी घाटियों में रात में अचानक बादल फट जाना असामान्य नहीं है—वहाँ पर रात की ठंड और दिन की गर्मी का मिश्रण, संकरी घाटियाँ और मूढ़ हवाओं का झुकाव मिलकर ऐसी घटनाओं को उत्पन्न करता है।
बादल फटने की घटनाएँ प्राकृतिक हैं लेकिन इनकी आवृत्ति और तीव्रता रात में अधिक देखने को मिलती है। यह समझना ज़रूरी है कि इसका मुख्य कारण सूर्यास्त के बाद वायुमंडलीय बदलाव, नमी और पहाड़ी भूगोल का मेल है।
आखिर क्यों फटते हैं पहाड़ों में बादल? जानिए
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