वट सावित्री पूजा सामग्री (Vat Savitri Puja Samagri)

वट सावित्री पूजा सामग्री (Vat Savitri Puja Samagri)
Vat Savitri Puja Samagri: वट सावित्री पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और पारिवारिक खुशहाली के लिए किया जाता है। पूजा में वट वृक्ष, कच्चा सूत, जल, रोली, चावल, फूल, दीपक, धूप, फल, मिठाई और श्रृंगार की वस्तुएं शामिल होती हैं। प्रत्येक सामग्री सावित्री के त्याग और पतिव्रता धर्म का प्रतीक मानी जाती है। विधिपूर्वक और श्रद्धा भाव से तैयार की गई वट सावित्री पूजा सामग्री से व्रत पूर्ण होता है और दांपत्य जीवन में स्थिरता व सुख का आशीर्वाद मिलता है।
वट सावित्री पूजन सामग्री की संपूर्ण सूची (Complete Vat Savitri Puja Samagri List)
वट सावित्री की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है—
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वट वृक्ष (या उसकी शाखा / चित्र)
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सावित्री-सत्यवान और यमराज की प्रतिमा या चित्र
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लाल सूत / कलावा / मौली
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कच्चा सूत
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बांस का पंखा
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जल से भरा लोटा या कलश
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दूध
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श्रृंगार सामग्री – सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, महावर, मेहंदी, काजल, कंघी
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ताजे फल – आम, केला, मौसमी फल
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भीगे हुए चने, गुड़-चना
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मिठाई या सात्विक भोग
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नारियल (छिलके सहित)
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फूल और माला
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धूपबत्ती, दीपक, घी/तेल, रुई की बाती
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कपूर
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अक्षत, रोली, कुमकुम, चंदन, हल्दी
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पान, सुपारी, लौंग, इलायची
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दक्षिणा
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चौकी या आसन
पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत (Complete Puja Samagri List and Easy Vat Savitri Puja Vidhi)
वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति का वह पावन पर्व है, जिसमें पत्नी का प्रेम, त्याग और संकल्प सबसे ऊँचे स्वरूप में दिखाई देता है। यह व्रत केवल पति की लंबी आयु की कामना भर नहीं है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, समर्पण और अटूट बंधन का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे श्रद्धा-भाव से वट वृक्ष की पूजा करती हैं और देवी सावित्री के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर अपने वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। व्रत की सफलता बहुत हद तक सही पूजा विधि और संपूर्ण पूजा सामग्री पर निर्भर करती है। इसी कारण इस लेख में वट सावित्री पूजा सामग्री की पूरी जानकारी सरल और व्यवस्थित रूप में दी जा रही है।
वट सावित्री व्रत: अखंड सौभाग्य और अटूट प्रेम का पावन पर्व (Vat Savitri Vrat – Festival of Eternal Love and Marital Bliss)
वट सावित्री व्रत का संबंध देवी सावित्री और सत्यवान की अमर कथा से है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री ने अपने अद्भुत विवेक, धैर्य और पतिव्रता धर्म के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस प्राप्त किए थे। यही कारण है कि यह व्रत स्त्री की आस्था और आत्मबल का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है।
यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या या पूर्णिमा को रखा जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि शास्त्रों में वट वृक्ष को दीर्घायु, स्थिरता और त्रिदेवों का निवास स्थान माना गया है। वट सावित्री का व्रत प्रकृति, नारी शक्ति और वैवाहिक धर्म—तीनों का सुंदर समन्वय है।
वट सावित्री की पूजा और सामग्रियों का महत्व (Importance of Vat Savitri Puja and Samagri)
वट सावित्री की पूजा में उपयोग की जाने वाली हर सामग्री केवल परंपरा नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक अर्थ से जुड़ी होती है। इन सामग्रियों के माध्यम से स्त्री अपने मन की भावना, संकल्प और प्रार्थना को ईश्वर तक पहुंचाती है।
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वट वृक्ष जीवन की स्थिरता और दीर्घायु का प्रतीक है।
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सावित्री-सत्यवान की पूजा पति-पत्नी के अटूट प्रेम की स्मृति है।
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धागा लपेटने की परिक्रमा पति के जीवन की रक्षा और दीर्घायु की कामना का संकेत है।
पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक की गई पूजा से यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है।
वट सावित्री पूजा में प्रयुक्त सामग्री का महत्व (Spiritual Significance of Vat Savitri Puja Items)
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वट वृक्ष: त्रिदेवों का प्रतीक और अमरता का संकेत।
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लाल धागा / कलावा: सौभाग्य, सुरक्षा और वैवाहिक बंधन का प्रतीक।
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सावित्री-सत्यवान और यमराज की प्रतिमा: धर्म, सत्य और नारी शक्ति का स्मरण।
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श्रृंगार सामग्री: सुहाग और अखंड सौभाग्य की कामना।
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फल और चना: जीवन की पूर्णता, समृद्धि और पुनर्जीवन का प्रतीक।
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जल और दूध: शुद्धता, पवित्रता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव।
इन सभी सामग्रियों का सही भाव से उपयोग पूजा को आध्यात्मिक रूप से पूर्ण बनाता है।
वट सावित्री पूजन सामग्री कहाँ से खरीदें और कैसे चुनें (Where to Buy and How to Choose Vat Savitri Puja Samagri)
कहाँ से खरीदें
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स्थानीय पूजा सामग्री की दुकान
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फल-फूल मंडी
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किराना स्टोर
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ऑनलाइन पूजा किट प्लेटफॉर्म
कैसे चुनें
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फल और फूल ताजे हों
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धागा मजबूत और शुद्ध सूती हो
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श्रृंगार सामग्री नई और पूर्ण हो
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प्रतिमाएं खंडित न हों
सभी सामग्री पूजा से एक दिन पहले तैयार कर लेना शुभ माना जाता है।
पूजा में सामग्री का क्रम और उपयोग (Step-by-Step Vat Savitri Puja Vidhi)
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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वट वृक्ष के पास पूजा का संकल्प लें।
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वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटते हुए परिक्रमा करें।
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वृक्ष की जड़ में जल और दूध अर्पित करें।
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सावित्री-सत्यवान और यमराज की प्रतिमाएं स्थापित करें।
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रोली, चंदन, अक्षत से तिलक करें।
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फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
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सावित्री माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
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फल, चना और मिठाई का भोग लगाएं।
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वट सावित्री व्रत कथा सुनें।
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आरती करें और पति की दीर्घायु की कामना करें।
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घर आकर पति के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
निष्कर्ष (Conclusion)
वट सावित्री व्रत केवल परंपरा नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की आत्मा को मजबूत करने वाला पर्व है। यह व्रत हमें सावित्री के दृढ़ संकल्प, नारी शक्ति और प्रेम की गहराई का स्मरण कराता है। जब वट सावित्री की पूजा संपूर्ण सामग्री, सही विधि और सच्चे भाव से की जाती है, तब यह व्रत न केवल पति की दीर्घायु बल्कि वैवाहिक जीवन में स्थिरता, प्रेम और सुख-शांति भी प्रदान करता है। इस वट सावित्री पर पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ वट वृक्ष और माता सावित्री की आराधना करें, ताकि आपके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि सदा बनी रहे।
About The Author
Vandana Bhandari
Vandana Bhandari is a dedicated writer at Kedar Times, known for her thoughtful storytelling and insightful coverage of Uttarakhand’s vibrant culture, traditions, and current affairs. She has been an integral part of Kedar Times for the past two years, delivering engaging articles that inform and inspire readers.
With over three years of experience in the field of journalism — including 1 years prior to joining Kedar Times — Vandana brings depth, accuracy, and a keen local perspective to every piece she writes. When she isn’t chasing stories, you’ll find her exploring folk traditions, engaging with local communities, and gathering inspiration for her next feature.