
साँसों की माला पे सिमरूं मैं भजन (Sanso Ki Mala Pe Simru Main Bhajan)
Sanso Ki Mala Pe Simru Main Bhajan: भक्ति का अर्थ केवल पूजा-पाठ भर नहीं है। भक्ति वह अवस्था है जहाँ मन हर पल, हर सांस में भगवान को महसूस करता है। “साँसों की माला पे सिमरूं मैं” एक ऐसा ही भजन है जो भक्त को गहरे आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ देता है। यह भजन सुनते ही ऐसा प्रतीत होता है मानो हर सांस भगवान के नाम से सुगंधित हो गई हो और हृदय में बसे सारे विकार दूर होकर मन शांति से भर गया हो। इस भजन की खासियत यही है कि यह सुनते या गाते समय आपको अपने भीतर एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा का अहसास होता है। यह रोजमर्रा की चिंताओं को भुलाकर आपको ईश्वर की ओर ले जाता है-सीधे अपने “पी” यानी प्रियतम प्रभु के चरणों तक।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं भजन के बारे में (Sanso Ki Mala Pe Simru Main – Meaning & Essence)
यह भजन प्रभु के प्रति समर्पण, प्रेम और आंतरिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह हमें बताता है कि:
● भक्ति कोई अलग साधना नहीं, बल्कि सांसों में बसी हुई जीवन-शक्ति है
● ईश्वर को पाने के लिए बाहरी दिखावे की नहीं, बल्कि सच्चे दिल की जरूरत होती है
● प्रेम में भक्त और भगवान का भेद मिट जाता है
● ईश्वर का नाम जपते-जपते मन इतना निर्मल हो जाता है कि भक्त का रूप भी प्रभु के समान लगने लगता है
इस भजन की पंक्तियाँ प्रेम, समर्पण और भक्ति की अनोखी गहराई दिखाती हैं। यही कारण है कि यह भजन सुनने वाले के मन को तुरंत छू लेता है।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं – भजन लिरिक्स (Sanso Ki Mala Pe Simru Main Lyrics)
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम
अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम।
अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम॥
जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर,
जीवन का श्रृंगार है प्रीतम, माँग का सिन्दूर।
प्रीतम की नज़रों से गिरकर, जीना है किस काम,
प्रीतम की नज़रों से गिरकर, जीना है किस काम।
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम॥
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप,
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी, बन गया एक ही रूप।
प्रेम की माला जपते जपते, आप बनी मैं श्याम,
प्रेम की माला जपते जपते, आप बनी मैं श्याम।
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम॥
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो है निर्दोष,
वो तो है निर्दोष।
अपने आप से बातें करके, हो गयी मैं बदनाम,
अपने आप से बातें करके, हो गयी मैं बदनाम।
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम॥
प्रेम पियाला जब से पिया है, जी का है ये हाल,
जी का है ये हाल।
अंगारों पे नींद आ जाए, काँटों पे आराम,
अंगारों पे नींद आ जाए, काँटों पे आराम।
साँसों की, साँसों की,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम॥
अपने मन की मैं जानूँ, और पी के मन की राम,
साँसों की माला पे सिमरूं मैं, पी का नाम।
भजन का अर्थ और गहराई (Meaning & Spiritual Depth)
यह भजन बताता है कि:
● सच्ची भक्ति बाहरी पूजा में नहीं, बल्कि सांसों में बसने वाले नाम-स्मरण में है
● प्रेम में जब मन डूब जाता है, तो भक्त और भगवान के बीच कोई अंतर नहीं रहता
● ईश्वर को पाने के लिए केवल मन की सच्चाई और भावनाओं की पवित्रता जरूरी है
● प्रेम एक ऐसा अनुभव है जो कठिनाइयों को भी मधुर बना देता है
यह भजन भक्त को याद दिलाता है कि ईश्वर कहीं बाहर नहीं-वे हमारी हर सांस में निवास करते हैं।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं भजन के लाभ (Benefits of This Bhajan)
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मन को गहरी शांति देता है
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तनाव और चिंता कम होती है
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ध्यान और आत्मिक जागृति बढ़ती है
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भक्ति-भाव और ईश्वर के प्रति समर्पण बढ़ता है
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मन को भीतर से निर्मल और संतुलित करता है
यह भजन ध्यान, योग, सुबह की साधना और शाम की शांति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
“साँसों की माला पे सिमरूं मैं” केवल एक भजन नहीं-यह आत्मा और ईश्वर का मिलन है। यह भजन हमें यह समझाता है कि यदि सांसों में भी प्रभु का स्मरण जुड़ जाए, तो जीवन में हर कठिनाई सरल हो जाती है, हर दिन दिव्यता से भर जाता है, और मन सच्चे अर्थों में शांत हो जाता है। यदि आप भीतर की शांति, भक्ति और मन की गहराई को समझना चाहते हैं, तो यह भजन आपकी आध्यात्मिक यात्रा का उत्तम साथी है।
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