
उत्तराखंड के 10 सबसे कम आंके गए ट्रेक्स (10 Most Underrated Treks in Uttarakhand)
10 Most Underrated Treks in Uttarakhand: जब बात होती है पहाड़ों की, तो उत्तराखंड का नाम सबसे पहले ज़ेहन में आता है। यहां की बर्फ से ढकी चोटियाँ, शांत झीलें और हरियाली से भरे बुग्याल हर ट्रेकर के दिल में बस जाते हैं। लेकिन अक्सर हम उन्हीं कुछ लोकप्रिय ट्रेक्स जैसे रूपकुंड, रूपिन पास या नाग टिब्बा तक सीमित रह जाते हैं। जबकि उत्तराखंड में ऐसे कई ट्रेक हैं जो कम प्रसिद्ध होने के बावजूद, सौंदर्य और रोमांच में किसी से कम नहीं हैं।
आइए जानते हैं उत्तराखंड के 10 सबसे कम आंके गए (Underrated) ट्रेक्स, जो आपको भीड़ से दूर असली हिमालय का एहसास कराएंगे।
10 Most Underrated Treks in Uttarakhand
1. रुइंसारा ताल – 3500 मीटर (Ruinsara Tal – 3500 mts)
स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रृंखला के तल पर बसा रुइंसारा ताल एक शांत और अद्भुत झील है, जो ब्लैक पीक और बंदरपुंच शृंखला के शानदार दृश्यों से घिरी है। यह ट्रेक गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय उद्यान के भीतर आता है और संकरी रेंज को कवर करता है।
यह सप्ताहभर का ट्रेक आपको हिमालय की गोद में ले जाता है और अगर चाहें तो इसे बाली पास ट्रेक के साथ जोड़ सकते हैं, जो यमुनोत्री घाटी तक जाता है। सितंबर-अक्टूबर इस ट्रेक के लिए बेहतरीन समय है।
2. गिदारा बुग्याल – 3900 मीटर (Gidara Bugyal – 3900 mts)
अगर आपने दयारा बुग्याल के नाम सुने हैं, तो जान लीजिए कि गिदारा बुग्याल उससे भी विशाल और शांत है। यह जगह उत्तरकाशी जिले में स्थित है और स्थानीय चरवाहों के लिए यह किसी सपनों की भूमि से कम नहीं।
हरे-भरे मैदानों, बर्फीले पहाड़ों और नीले आसमान का यह संगम ऐसा है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। गिदारा बुग्याल वास्तव में प्रकृति की गोद में छिपा एक अनछुआ खजाना है।
3. केदार ताल – 4800 मीटर (Kedar Tal – 4800 mts)
केदार ताल, जिसे “शिव झील” भी कहा जाता है, थलयसागर और ब्रिगुपंथ पर्वत के तल में बसा हुआ है। इसका पानी पन्ने जैसी हरी झलक लिए हुए है।
यह ट्रेक कठिन माना जाता है, लेकिन अगर आपने पहले कुछ ऊँचाई वाले ट्रेक किए हैं, तो यह आपके लिए अगला कदम हो सकता है। सितंबर से अक्टूबर तक का समय इस ट्रेक के लिए सबसे उपयुक्त है। यह ट्रेक न केवल शारीरिक चुनौती है, बल्कि आत्मिक शांति का भी अनुभव कराता है।
4. नंदा देवी ईस्ट एडवांस बेस कैंप – 4600 मीटर (Nanda Devi East Advance Base Camp – 4600 mts)
मुनस्यारी से शुरू होकर 10 दिनों का यह अभियान आपको नंदा देवी, नंदा कोट और कुचेला धूरा जैसी विशाल चोटियों के करीब ले जाता है।
यह ट्रेक उन लोगों के लिए है जो भीड़ से दूर हिमालय की गहराइयों में उतरना चाहते हैं। यह ट्रेक आपको सिर्फ प्रकृति नहीं दिखाता, बल्कि आत्मा तक को झकझोर देता है।
5. पंचाचूली बेस कैंप – 4250 मीटर (Panchachuli Base Camp – 4250 mts)
कुमाऊं की पवित्र पंचाचूली चोटियाँ, जिनका संबंध पाँच पांडवों से बताया जाता है, अपने आप में एक दिव्यता समेटे हुए हैं।
इस बेस कैंप तक का रास्ता लम्बा और कठिन है, लेकिन जब आप इन पाँच शिखरों को एक साथ देखते हैं, तो सारी थकान मिट जाती है। यह ट्रेक भारत-नेपाल सीमा के नज़दीक स्थित है और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह किसी जन्नत से कम नहीं।
6. चंगाबांग बेस कैंप – 4540 मीटर (Changabang Base Camp – 4540 mts)
द्रोणागिरी गाँव और बगिनी ग्लेशियर की rugged घाटियों से होते हुए यह ट्रेक आपको चंगाबांग, सफ मीनल, और हर्देओल जैसी ऊँची चोटियों के करीब ले जाता है।
यह ट्रेक उन लोगों के लिए है जो वास्तविक रोमांच की तलाश में हैं। यह जगह अभी भी कम भीड़भाड़ वाली है, इसलिए यहां प्रकृति को उसके असली रूप में देखा जा सकता है।
7. घिया विनायक पास – 5250 मीटर (Ghiya Vinayak Pass – 5250 mts)
यह ट्रेक सिर्फ रोमांच ही नहीं बल्कि पौराणिकता से भी जुड़ा है। यह यात्रा मध्यमहेश्वर मंदिर से शुरू होती है और कांची खाल, पांडोसेरा, और नंदी कुंड से होती हुई घिया विनायक पास तक पहुँचती है।
यह वही इलाका है जहां कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के कुछ दिन बिताए थे। यह ट्रेक हर दिन नया अनुभव देता है—कभी घने जंगलों से, कभी खुली घाटियों से, तो कभी शिव धामों की पवित्रता से।
8. सप्तऋषि कुंड – 4421 मीटर (Saptarishi Kund – 4421 mts)
यमुनोत्री मंदिर से शुरू होने वाला यह ट्रेक करीब 10 किलोमीटर का है और लगभग 5-6 घंटे में पूरा किया जा सकता है।
यह स्थान यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है और इसकी यात्रा धार्मिक, प्राकृतिक और साहसिक—तीनों का संगम है।
कठिन चढ़ाईयों के बावजूद, जब आप इस झील तक पहुँचते हैं, तो लगता है मानो हिमालय स्वयं आपका स्वागत कर रहा हो।
9. सप्तकुंड ट्रेक – 5000 मीटर (Saptkund Trek – 5000 mts)
चमोली ज़िले में स्थित सप्तकुंड सात पवित्र झीलों का समूह है जो नंदा और घुंटी चोटियों की तलहटी में स्थित हैं।
घुनी गाँव से शुरू होकर सिम्बे बुग्याल के खूबसूरत मैदानों से होकर यह ट्रेक आपको ऐसी दुनिया में ले जाता है जहाँ बस शांति और प्राकृतिक सुंदरता का वास है।
मई से सितंबर का समय इस ट्रेक के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह अनुभव न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध करता है।
10. कुश कल्याण – 3789 मीटर (Kush Kalyan – 3789 mts)
मल्ला गाँव से शुरू होकर यह ट्रेक सीला छानी, कुश कल्याण बुग्याल, बवानी, और क्यारकी के शानदार कैंपसाइट्स से होकर गुजरता है।
यह बुग्याल अपने शांत वातावरण, खुले आसमान और विशाल पर्वत दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।
मई-जून या सितंबर-नवंबर के बीच यहां जाना सबसे अच्छा होता है। यहां से आप कालानाग, बंदरपुंच और स्वर्गारोहिणी की श्रृंखलाओं का अद्भुत नज़ारा देख सकते हैं।
क्यों करें ये ट्रेक? (Why Choose These Treks?)
इन ट्रेक्स की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये भीड़भाड़ से दूर हैं। यहाँ आप सिर्फ पहाड़ों की खामोशी सुन सकते हैं और खुद से जुड़ने का अवसर पा सकते हैं।
साथ ही, ये ट्रेक्स स्थानीय गांवों की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली से भी आपका परिचय कराते हैं। यहां के लोग सादगी में बसे हुए हैं और उनकी मेहमाननवाजी आपको छू जाएगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड के ये कम प्रसिद्ध ट्रेक्स उन लोगों के लिए हैं जो असली रोमांच की तलाश में हैं—जहाँ शोर नहीं, बस प्रकृति की धड़कनें सुनाई देती हैं।
अगर आप भीड़भाड़ से परे, हिमालय के सच्चे रंग देखना चाहते हैं, तो अगली बार किसी लोकप्रिय ट्रेक की बजाय इन 10 Underrated Treks में से किसी एक को चुनिए।
याद रखिए — पहाड़ बुलाते नहीं, वो परखते हैं। जो सच्चा प्रेमी होता है, वही उनकी गोद तक पहुँच पाता है।
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