
Hidden trekking spots in Uttarakhand: जानें उत्तराखंड के हिडन ट्रेक के बारें में
Hidden trekking spots in Uttarakhand: उत्तराखंड अपनी आध्यात्मिक महत्ता और तीर्थ स्थलों के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इसके बर्फ से ढके पहाड़, हरे-भरे बुग्याल और छुपे हुए ट्रेक्स इसे ट्रेकिंग प्रेमियों का पसंदीदा गंतव्य भी बनाते हैं। कई ट्रेक्स तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि वहाँ भारी भीड़ लगी रहती है, पर कुछ ऐसे भी ट्रेक हैं जो अब तक भीड़भाड़ से दूर, अपनी प्राकृतिक सुंदरता को संजोए हुए हैं।
उत्तराखंड के हिडन ट्रेक (Hidden trekking spots in Uttarakhand)
आइए जानते हैं उत्तराखंड के कुछ छिपे हुए और अनछुए ट्रेक्स के बारे में —
वैली ऑफ फ्लावर्स (Valley of Flowers)
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक, प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति वैज्ञानिकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यह ट्रेक हेमकुंड साहिब के रास्ते से जुड़ता है और जून से सितंबर के बीच हज़ारों प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों से घाटी सज जाती है। यह घाटी 1931 में फ्रैंक स्मिथ द्वारा खोजी गई थी और अब यह UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। यहाँ आपको दुर्लभ ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी, कोबरा लिली जैसी प्रजातियाँ देखने को मिलेंगी। ट्रेकिंग के लिए बेस कैंप घांघरिया गाँव है, जहाँ से आगे का 4-5 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना होता है। फूलों की घाटी में जाते हुए आप लक्ष्मण गंगा नदी, घने जंगल और बर्फ से ढकी चोटियाँ भी देख सकते हैं। यहाँ की ताजी हवा और शांत वातावरण हर थके हुए मन को नया ऊर्जा देते हैं। यह ट्रेक शुरुआती ट्रेकर्स के लिए भी सुरक्षित माना जाता है। अगर आप एडवेंचर के साथ-साथ फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो यह जगह आपके लिए परफेक्ट है।
दयारा बुग्याल ट्रेक (Dayara Bugyal Trek)
दयारा बुग्याल उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से करीब 12,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और भारत के सबसे सुंदर मीडोज में से एक माना जाता है। बुग्याल का मतलब होता है घास का मैदान — और दयारा बुग्याल अपनी हरी-भरी घास की चादरों और चारों तरफ फैली चोटियों के नज़ारों के लिए प्रसिद्ध है। इस ट्रेक की शुरुआत बारसू गाँव या रायथल गाँव से होती है। यहाँ पहुँचने के लिए देहरादून से उत्तरकाशी तक सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है। ट्रेकिंग के दौरान देवदार और ओक के जंगलों से होकर गुजरते हैं और रास्ते में कई छोटे-छोटे झरने भी दिखते हैं। सर्दियों में यहाँ भारी बर्फबारी होती है, जिससे यह जगह स्कीइंग के लिए भी लोकप्रिय बन गई है। ट्रेकिंग के दौरान बंदरपूंछ, द्रोपदी का डांडा, श्रीकंठ जैसी चोटियों के अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं। दयारा बुग्याल उन लोगों के लिए आदर्श है जो भीड़भाड़ से दूर शांत वातावरण में ट्रेकिंग करना चाहते हैं। कैंपिंग के लिए भी यहाँ बेहतरीन जगहें हैं।
नाग टिब्बा ट्रेक (Nag Tibba Trek)
नाग टिब्बा ट्रेक मसूरी के पास एक छोटा लेकिन बेहद सुंदर ट्रेक है। इसे ‘Serpent’s Peak’ कहा जाता है क्योंकि इसका शिखर नाग देवता को समर्पित है। यह ट्रेक समुद्र तल से करीब 9,915 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और शुरुआती ट्रेकर्स के लिए बेहतरीन माना जाता है। देहरादून या मसूरी से आप पंतवारी गाँव पहुँच सकते हैं, जहाँ से नाग टिब्बा ट्रेक शुरू होता है। पूरा रास्ता देवदार और बांज के घने जंगलों से होकर गुजरता है। रास्ते में छोटी-छोटी झरने और खुली घास की ढलानें मिलती हैं, जहाँ आप कैंपिंग भी कर सकते हैं। नाग टिब्बा से आपको बंदरपूंछ, स्वर्गारोहिणी और गंगोत्री रेंज का शानदार दृश्य दिखता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना भी एक अद्भुत अनुभव होता है। यह ट्रेक परिवारों, दोस्तों और सोलो ट्रेकर्स — सभी के लिए आदर्श है। कम दूरी और आसान रूट इसे वीकेंड ट्रेक का भी बेस्ट विकल्प बनाते हैं।
केदारताल ट्रेक (KedarTal Trek)
केदारताल ट्रेक उन ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग है जो कठिन रास्तों से गुजर कर बर्फीली चोटियों के बीच एक शांत झील तक पहुंचना चाहते हैं। यह ट्रेक गंगोत्री से शुरू होता है और करीब 17 किलोमीटर लंबा है। समुद्र तल से 4,750 मीटर की ऊँचाई पर स्थित केदारताल झील थलय सागर, भागीरथी और ब्रिगुपंथ जैसी बर्फीली चोटियों से घिरी हुई है। ट्रेक का रास्ता पत्थरीला और कहीं-कहीं काफी संकरा होता है, इसलिए यह अनुभवी ट्रेकर्स के लिए ही उपयुक्त है। केदारताल पहुँचने के दौरान आपको सुंदर ग्लेशियर, अल्पाइन जंगल और खड़ी चढ़ाइयाँ देखने को मिलती हैं। इस झील का पानी इतना साफ होता है कि इसमें आसपास की चोटियों की छवि साफ नजर आती है। कैंपिंग के लिए झील के किनारे उपयुक्त स्थान हैं, लेकिन मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए पूरी तैयारी जरूरी होती है। जून से सितंबर इस ट्रेक के लिए सबसे बढ़िया समय माना जाता है। यह ट्रेक साहसिक यात्रियों को एक अनोखा अनुभव देता है जो जिंदगी भर याद रहता है।
5️⃣ चोपता-चंद्रशिला ट्रेक (Chopta Chandrashila Trek)
चोपता-चंद्रशिला ट्रेक को अक्सर उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत और आसान ट्रेक्स में गिना जाता है। इसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड ऑफ उत्तराखंड’ भी कहा जाता है। यह ट्रेक चोपता से शुरू होकर तुंगनाथ मंदिर तक जाता है, जो विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है। तुंगनाथ से आगे करीब 1.5 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद आप चंद्रशिला पीक तक पहुँचते हैं। चंद्रशिला से त्रिशूल, नंदा देवी, चौखंबा और बंदरपूंछ की चोटियों का 360 डिग्री दृश्य देखने को मिलता है। सर्दियों में यह इलाका पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है और स्नो ट्रेकिंग के लिए परफेक्ट बन जाता है। रास्ते में आपको रोडोडेंड्रोन के फूल, घने जंगल और खूबसूरत घास के मैदान मिलते हैं। यह ट्रेक परिवारों और शुरुआती ट्रेकर्स के लिए भी आदर्श है। ट्रेक का बेस कैंप चोपता तक सड़क से आसानी से पहुँचा जा सकता है, जो रुद्रप्रयाग जिले में पड़ता है। वीकेंड एडवेंचर के लिए यह ट्रेक शानदार विकल्प है।
हर की दून ट्रेक (Har Ki Doon Trek)
हर की दून ट्रेक को ‘गॉड्स ओन वैली’ भी कहा जाता है। यह ट्रेक उत्तरकाशी जिले के जौनसार-भाबर क्षेत्र में स्थित है और इसे हिमालय की सबसे सुंदर घाटियों में से एक माना जाता है। समुद्र तल से करीब 3,566 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह घाटी स्वर्गारोहिणी, बंदरपूंछ और कालानाग शिखरों से घिरी हुई है। ट्रेक की शुरुआत सांकरी गाँव से होती है, जो एक लोकप्रिय बेस कैंप है। रास्ते में ओसला और तालुका जैसे पारंपरिक गाँव आते हैं, जहाँ स्थानीय संस्कृति और पहाड़ी जीवनशैली देखने को मिलती है। हर की दून घाटी में घने देवदार और पाइन के जंगल, बहती नदियाँ और हरे-भरे घास के मैदान मिलते हैं। यहाँ अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक ट्रेकिंग करना सबसे अच्छा होता है। यह ट्रेक फोटोग्राफी, कैंपिंग और बर्ड वॉचिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। अगर आप प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ शांति भी चाहते हैं, तो हर की दून आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
कुआरी पास ट्रेक (Kuari Pass Trek)
कुआरी पास ट्रेक, जिसे ‘कर्सन ट्रेक’ भी कहा जाता है, अंग्रेज अधिकारी लॉर्ड कर्सन द्वारा खोजा गया था। यह ट्रेक समुद्र तल से करीब 12,516 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और हिमालय के अद्भुत नज़ारों के लिए प्रसिद्ध है। ट्रेक की शुरुआत जोशीमठ से होती है और रास्ते में ताली टॉप, गुरसो बुग्याल जैसे खूबसूरत स्थल आते हैं। इस ट्रेक से आपको नंदा देवी, द्रोणागिरि, कामेट और त्रिशूल जैसे शिखरों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। सर्दियों में यहाँ बर्फबारी होती है, जिससे यह स्नो ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग बन जाता है। कुआरी पास ट्रेक शुरुआती और अनुभवी ट्रेकर्स — दोनों के लिए उपयुक्त है। ट्रेक का रास्ता हरे-भरे घास के मैदान, बुग्याल, घने जंगल और पहाड़ी गाँवों से होकर गुजरता है। कैंपिंग के लिए यहाँ कई सुंदर जगहें हैं। मार्च से जून और सितंबर से नवंबर इस ट्रेक के लिए सबसे सही समय माने जाते हैं। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और शांति हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है।
ब्रह्मताल ट्रेक (Brahmatal Trek)
ब्रह्मताल ट्रेक सर्दियों के सबसे लोकप्रिय ट्रेक्स में से एक माना जाता है। समुद्र तल से करीब 12,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित ब्रह्मताल झील एक पौराणिक स्थल है। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहाँ तपस्या की थी। ट्रेक की शुरुआत लोहारजंग गाँव से होती है। रास्ते में आपको घने ओक और रोडोडेंड्रोन के जंगल मिलते हैं। सर्दियों में पूरा इलाका बर्फ से ढक जाता है, जिससे यह स्नो ट्रेकिंग के लिए आदर्श बन जाता है। ब्रह्मताल से त्रिशूल, नंदा घुन्टी और माउंट कामेट की चोटियाँ साफ नजर आती हैं। ट्रेकिंग के दौरान बेखाल ताल नामक एक और झील भी आती है। कैंपिंग के लिए झील के किनारे आदर्श स्थल हैं। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त बेहद सुंदर होते हैं। दिसंबर से मार्च इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय होता है। यह ट्रेक शुरुआती ट्रेकर्स के लिए भी उपयुक्त है। अगर आप बर्फ में ट्रेकिंग का मज़ा लेना चाहते हैं, तो ब्रह्मताल एक बेहतरीन विकल्प है।
सातोपंथ ताल ट्रेक (Satopanth Tal Trek)
सातोपंथ ताल ट्रेक उन ट्रेक्स में गिना जाता है जो धार्मिक और प्राकृतिक महत्व को एक साथ समेटे हुए हैं। यह झील बद्रीनाथ से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्र तल से करीब 4,600 मीटर की ऊँचाई पर बसी है। सातोपंथ ताल को त्रिकोणीय झील कहा जाता है क्योंकि इसका आकार त्रिभुज जैसा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश यहाँ स्नान करते हैं, इसलिए इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस ट्रेक की शुरुआत बद्रीनाथ धाम से होती है और रास्ता चक्रतीर्थ और लक्ष्मी वन जैसे सुंदर स्थलों से होकर गुजरता है। इस ट्रेक में ग्लेशियर, बर्फीले मैदान और पत्थरीले रास्ते मिलते हैं, जिससे यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है। रास्ते में नीलकंठ शिखर का नज़ारा अद्भुत होता है। यहाँ का मौसम कभी भी बदल सकता है, इसलिए पूरी तैयारी जरूरी है। मई से सितंबर इस ट्रेक के लिए सही समय माना जाता है। सातोपंथ ताल ट्रेक उन यात्रियों के लिए आदर्श है जो एडवेंचर के साथ-साथ तीर्थ यात्रा का अनुभव भी चाहते हैं।
बाली पास ट्रेक (Bali Pass Trek)
बाली पास ट्रेक को उत्तराखंड के सबसे रोमांचक और कठिन ट्रेक्स में गिना जाता है। यह ट्रेक यमुनोत्री घाटी को हर्षिल घाटी से जोड़ता है। समुद्र तल से करीब 4,900 मीटर की ऊँचाई वाला यह दर्रा अद्भुत ग्लेशियर, बर्फीली ढलानों और उबड़-खाबड़ चढ़ाइयों से भरा हुआ है। ट्रेक की शुरुआत संदीर गाँव या तखनौर गाँव से की जाती है, जो यमुनोत्री मंदिर के पास पड़ते हैं। रास्ते में आप देवसू थाच, रुपिन गडार, और ऊपरी दारा कैंप जैसे कैंपिंग साइट्स से होकर गुजरते हैं। बाली पास पर पहुँचने के बाद स्वर्गारोहिणी, बंदरपूंछ और कालानाग की चोटियाँ करीब से देखने को मिलती हैं। बाली पास ट्रेकिंग के लिए ऑफिस और गाइडिंग सेंटर देहरादून और संदीर गाँव में मौजूद हैं। यह ट्रेक पूरी तरह से अनुभवी ट्रेकर्स के लिए ही उचित है क्योंकि रास्ता कठिन और मौसम बेहद अप्रत्याशित होता है। जून से सितंबर इसका सर्वोत्तम मौसम है। यह ट्रेकिंग साहसिक प्रेमियों को हिमालय का असली स्वाद देता है।
पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक (Pindari Glacier Trek)
कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय ग्लेशियर ट्रेक्स में से एक है। यह ग्लेशियर नंदा देवी और नंदा कोट पर्वतों के बीच बसा हुआ है और समुद्र तल से करीब 3,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस ट्रेक की शुरुआत खाती गाँव या सौंग गाँव से होती है, जो बागेश्वर जिले में पड़ते हैं। पूरा रास्ता सुंदर पहाड़ी गाँवों, घने जंगलों, झरनों और नदी घाटियों से होकर गुजरता है। रास्ते में ट्रेकर्स को छोटी-छोटी धाराएँ, बर्फीले पुल और हरे-भरे घास के मैदान मिलते हैं। पिंडारी ग्लेशियर तक पहुँचने में करीब 5-6 दिन लगते हैं और यह ट्रेक मध्यम कठिनाई वाला माना जाता है। मई-जून और सितंबर-अक्टूबर इसके सबसे अच्छे महीने होते हैं। इस ट्रेक की खास बात यह है कि यह परिवारों के लिए भी सुरक्षित है, बशर्ते सभी स्वस्थ हों और बुनियादी फिटनेस हो। प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक एक यादगार अनुभव बन जाता है।
ऑडन्स कोल ट्रेक (Auden’s Col Trek)
ऑडन्स कोल ट्रेक एडवेंचर के दीवानों के लिए सबसे कठिन ट्रेक्स में से एक माना जाता है। यह ट्रेक गंगोत्री III बेस कैंप से शुरू होकर जोगिन I और जोगिन II चोटियों के बीच से गुजरता है और अंत में केदारताल क्षेत्र में मिलता है। ऑडन्स कोल दर्रा समुद्र तल से करीब 5,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह ट्रेक ग्लेशियरों, बर्फीले क्रेवास और उबड़-खाबड़ रास्तों से भरा होता है, जिससे इसे भारत के सबसे कठिन ट्रेक्स में शामिल किया गया है। ट्रेकर्स को कई बार बर्फ में रस्सियों और अन्य तकनीकी उपकरणों की मदद से चलना पड़ता है। इस ट्रेक के दौरान आप भागीरथी और जोगिन चोटियों के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। गंगोत्री से शुरुआत कर नाला कैंप, सुखा ताल और बख्तवर जैसे कैंपिंग पॉइंट्स आते हैं। यह ट्रेक पूरी तरह से अनुभवी ट्रेकर्स और तकनीकी टीम के साथ ही किया जा सकता है। जून से सितंबर तक का समय सबसे अनुकूल होता है। ऑडन्स कोल ट्रेक साहसिकता की सीमाओं को परखने का अवसर देता है।
डोडीताल ट्रेक (Dodital Trek)
डोडीताल ट्रेक उत्तरकाशी जिले में स्थित है और यह प्रकृति के प्रेमियों और परिवारों के लिए भी एक बेहतरीन ट्रेक है। समुद्र तल से करीब 3,024 मीटर की ऊँचाई पर स्थित डोडीताल झील अपनी पवित्रता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यह महर्षि पराशर की तपस्थली रही है और यहाँ से अस्सी गंगा नदी का उद्गम भी होता है। ट्रेक की शुरुआत उत्तरकाशी से 20 किलोमीटर दूर अगोडा गाँव से होती है। रास्ते में ओक, देवदार और रोडोडेंड्रोन के घने जंगल, छोटे झरने और हरे-भरे मैदान मिलते हैं। डोडीताल झील के किनारे आपको ट्राउट मछलियाँ भी देखने को मिल सकती हैं। कैंपिंग के लिए झील के आसपास बहुत सी अच्छी जगहें हैं। इस ट्रेक को आप दरवा टॉप तक भी बढ़ा सकते हैं, जो डोडीताल से करीब 5 किलोमीटर ऊपर है और वहाँ से हिमालय की चोटियों का दृश्य और भी अद्भुत होता है। यह ट्रेक शुरुआती ट्रेकर्स और परिवारों के लिए सुरक्षित और आसान माना जाता है।
कागभुसंडी झील ट्रेक (Kagbhusandi Lake Trek)
कागभुसंडी झील ट्रेक बद्रीनाथ क्षेत्र का एक रहस्यमय और कम भीड़ वाला ट्रेक है। यह समुद्र तल से करीब 5,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और चारों ओर बर्फीली चोटियों से घिरी है। इस झील के बारे में मान्यता है कि गरुड़ जी ने यहाँ तपस्या की थी और यहाँ पर कौवे के रूप में ऋषि-मुनियों ने ज्ञान चर्चा की थी, इसलिए इसे ‘कागभुसंडी’ कहा जाता है। ट्रेक की शुरुआत गोविंदघाट या घांघरिया से की जाती है। रास्ते में आपको हरे-भरे घास के मैदान, सुंदर फूलों की घाटियाँ और ग्लेशियर मिलेंगे। यह ट्रेक कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें खड़ी चढ़ाइयाँ और बर्फीले रास्ते होते हैं। बारिश के मौसम में यहाँ जाना थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए मई से सितंबर सबसे सही समय है। झील के किनारे कैंपिंग करने का अनुभव बेहद शांतिपूर्ण होता है। ट्रेक के दौरान नीलकंठ और हिमालय की अन्य चोटियाँ बेहद नज़दीक से नजर आती हैं। जो लोग भीड़ से दूर, शांति में एडवेंचर चाहते हैं, उनके लिए कागभुसंडी ट्रेक एक छिपा हुआ खजाना है।
पनवाली कांठा बुग्याल ट्रेक (Panwali Kantha Bugyal Trek)
पनवाली कांठा ट्रेक उन ट्रेक्स में से है जो अब तक भीड़ से दूर हैं, पर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो रहे हैं। समुद्र तल से करीब 3,350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पनवाली कांठा बुग्याल बड़े-बड़े घास के मैदानों और फूलों की रंगीन चादरों से सजा रहता है। यह ट्रेक केदारनाथ और गंगोत्री ट्रेक रूट के बीच में पड़ता है। ट्रेक की शुरुआत त्रियुगीनारायण या घुट्टी गाँव से की जा सकती है। रास्ते में रोडोडेंड्रोन के जंगल, छोटे झरने और हिमालय के शानदार दृश्य मिलते हैं। पनवाली कांठा से चौखंबा, बंदरपूंछ और केदार डोम चोटियों का नज़ारा अद्भुत होता है। इस ट्रेक को पूरा करने में आमतौर पर 3 से 4 दिन लगते हैं। कैंपिंग के लिए यहाँ पर्याप्त खुले मैदान हैं। यह ट्रेक आसान से मध्यम श्रेणी का है, इसलिए शुरुआती ट्रेकर्स और फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए बेहतरीन माना जाता है। मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय सबसे सही होता है।
बिनसर ट्रेक (Binsar Trek)
अल्मोड़ा जिले में स्थित बिनसर ट्रेक उन लोगों के लिए आदर्श है जो जंगलों और वन्य जीवन के बीच ट्रेकिंग का आनंद लेना चाहते हैं। बिनसर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी के भीतर स्थित यह ट्रेक समुद्र तल से करीब 2,400 मीटर की ऊँचाई पर है और इसमें आपको हिमालय की पंचाचुली, नंदा देवी और त्रिशूल चोटियाँ साफ नजर आती हैं। ट्रेक की शुरुआत बिनसर गाँव या अल्मोड़ा से की जा सकती है। रास्ते में ओक, रोडोडेंड्रोन और देवदार के घने जंगल मिलते हैं, जिनमें हिमालयन मोनाल, घुरल और भालू जैसे वन्य जीवों को देखने का मौका भी मिलता है। बिनसर में जीरो पॉइंट नामक व्यू पॉइंट से आप चारों ओर फैली चोटियों का शानदार दृश्य देख सकते हैं। यहाँ कैंपिंग और बर्ड वॉचिंग भी खूब होती है। यह ट्रेक आसान माना जाता है और परिवार के साथ घूमने के लिए भी सुरक्षित है। अक्टूबर से मार्च तक यहाँ का मौसम बेहद सुहावना रहता है। बिनसर उन लोगों के लिए परफेक्ट जगह है जो जंगल की शांति में कुछ दिन बिताना चाहते हैं।
गौमुख तपोवन ट्रेक (Gaumukh Tapovan Trek)
गौमुख तपोवन ट्रेक एडवेंचर, अध्यात्म और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है। यह ट्रेक गंगोत्री से शुरू होकर गौमुख ग्लेशियर और तपोवन घास के मैदान तक जाता है। गौमुख, भागीरथी नदी (गंगा) का उद्गम स्थल माना जाता है और इसका पवित्र महत्व बहुत अधिक है। समुद्र तल से करीब 4,463 मीटर की ऊँचाई पर तपोवन स्थित है, जहाँ से शिवलिंग पीक, मेरु पीक और भागीरथी पीक का विहंगम दृश्य दिखता है। रास्ते में आपको भोजपत्र के जंगल, चीर-पाइन के पेड़ और हिमालय की बर्फीली धाराएँ मिलेंगी। तपोवन घास के मैदान में कैंपिंग करना एक दिव्य अनुभव होता है। यह ट्रेक कठिन श्रेणी का है क्योंकि रास्ता पत्थरीला और ग्लेशियरों से भरा होता है। यह ट्रेक आमतौर पर मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच किया जाता है। गौमुख तपोवन ट्रेक साहसिक यात्रियों के लिए हिमालय को करीब से जानने का शानदार मौका देता है।
कफनी ग्लेशियर ट्रेक (Kafni Glacier Trek)
कफनी ग्लेशियर ट्रेक भी कुमाऊँ क्षेत्र के सबसे सुंदर ट्रेक्स में से एक माना जाता है। यह ट्रेक पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक से जुड़ा हुआ है और समुद्र तल से करीब 3,860 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कफनी नदी का उद्गम स्थल भी यही ग्लेशियर है। इस ट्रेक की शुरुआत खाती गाँव से होती है, जो बागेश्वर जिले में पड़ता है। रास्ते में हरे-भरे घास के मैदान, देवदार और बुरांश के जंगल, छोटी धाराएँ और खूबसूरत गाँव मिलते हैं। पिंडारी ग्लेशियर से कफनी ग्लेशियर की दूरी करीब 12 किलोमीटर है, जिसे पैदल ही तय किया जाता है। कफनी ग्लेशियर अपेक्षाकृत आसान ट्रेक है और परिवार के साथ भी किया जा सकता है। यह ट्रेक फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा है। मई-जून और सितंबर-अक्टूबर इसके सबसे अच्छे महीने माने जाते हैं। कफनी ग्लेशियर ट्रेक उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो कम भीड़ वाले ट्रेक्स की तलाश में हैं।
यह भी पढ़ें: केदारनाथ यात्रा से महिला समूहों की आय में बढ़ोतरी, स्वरोजगार को मिला प्रोत्साहन
अगर आपको उत्तराखंड से सम्बंधित यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे Facebook | Twitter | Instagram व | Youtubeको भी सब्सक्राइब करें।