
Mangalvaar vrat Katha: जानें मंगलवार व्रत के बारें में
Mangalvaar vrat Katha: हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है। यह दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा के लिए निर्धारित हैं। जैसे सोमवार को भगवान शिव, बुधवार को गणेश जी, गुरुवार को विष्णु जी, शुक्रवार को मां लक्ष्मी, शनिवार को शनिदेव, रविवार को सूर्य देव और मंगलवार को हनुमान जी की पूजा होती है।
मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और विधिवत पूजा करके हनुमान जी से अपने दुखों के निवारण की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि मंगलवार का व्रत करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, रोग और कर्ज से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख-शांति और सफलता आती है।
मंगलवार व्रत का महत्व
मंगलवार को व्रत रखने से मानसिक बल की प्राप्ति होती है। हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है, अर्थात् वे भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह पीड़ित होता है या जिनका विवाह विलंब से हो रहा है, उन्हें मंगलवार का व्रत जरूर करना चाहिए।
जो व्यक्ति अपने जीवन में बार-बार असफल हो रहा हो, किसी कार्य में मन नहीं लगता हो, धन की कमी हो, अथवा पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहा हो, उसके लिए मंगलवार का व्रत अत्यंत लाभकारी होता है।
मंगलवार व्रत की विधि
मंगलवार व्रत की पूजा सूर्योदय के बाद किसी पवित्र स्थान पर बैठकर आरंभ करनी चाहिए। सबसे पहले व्रती को स्नान करके लाल वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर को साफ करके वहां हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सिंदूर, चावल, गुड़, लाल फूल, लड्डू, तुलसी पत्र आदि से भगवान हनुमान की पूजा करें।
व्रत के दिन “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र का जाप करें और हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। शाम के समय हनुमान जी को चोला चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। व्रत का पारण अगले दिन सुबह फलाहार या सात्विक भोजन के साथ करें।
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प्राचीन समय की मंगलमयी कथा
अब आपको मंगलवार व्रत की प्रसिद्ध और लोकमान्य कथा सुनाते हैं, जो भक्तों को हनुमान जी की कृपा का साक्षात अनुभव कराती है।
बहुत समय पहले की बात है, एक नगर था जिसका नाम था कुंडलपुर। वहां एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण नंदा अपनी पत्नी सुनंदा के साथ निवास करता था। यह दंपत्ति धन-संपत्ति से तो समृद्ध था, लेकिन उन्हें संतान नहीं थी। संतान की कमी उनके जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा बन गई थी।
इसलिए ब्राह्मण ने संतान की प्राप्ति के लिए जंगल की ओर प्रस्थान किया और तपस्या करने लगा। इधर उसकी पत्नी सुनंदा ने भी घर पर ही भगवान हनुमान जी की उपासना प्रारंभ कर दी। वह प्रत्येक मंगलवार को व्रत करती, भोग बनाकर बजरंगबली को अर्पित करती और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करती।
श्रद्धा की परीक्षा
एक मंगलवार ऐसा आया कि उस दिन कोई और व्रत भी था, जिसके कारण वह हनुमान जी का व्रत नहीं कर सकी। इस कारण न उसने भोग बनाया, न पूजा की और न ही स्वयं भोजन किया। उसके मन में यह संकल्प था कि वह अगले मंगलवार को ही भोजन करेगी और पहले हनुमान जी को भोग अर्पित करेगी।
इस निश्चय के साथ वह अगले छह दिन तक भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन, मंगलवार को उसकी हालत बहुत खराब हो गई और वह मूर्छित हो गई। तभी उसकी भक्ति और निष्ठा को देखकर हनुमान जी प्रकट हुए। उन्होंने कहा—
“हे ब्राह्मणी! मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं। मैं तुझे एक सुंदर बालक देता हूं जो तेरी सेवा करेगा और जीवन में सुख लाएगा।”
इतना कहकर भगवान हनुमान जी अपने बाल रूप में दर्शन देकर अदृश्य हो गए।
बालक मंगल का आगमन
ब्राह्मणी जब होश में आई तो उसके पास एक सुंदर, तेजस्वी बालक था। वह बालक उसके हृदय का प्रिय बन गया और उसने उसका नाम मंगल रखा।
कुछ समय बाद ब्राह्मण जब तपस्या पूर्ण करके घर लौटा, तो उसने घर में उस बालक को देखकर चकित होकर पूछा –
“यह बालक कौन है?”
सुनंदा ने पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ कहा –
“यह हनुमान जी का वरदान है। मंगलवार व्रत करने से प्रसन्न होकर उन्होंने मुझे यह पुत्र दिया है।”
परंतु ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ। वह मन में सोचने लगा कि उसकी पत्नी उस बालक के जन्म का झूठा बहाना बना रही है। उसने पत्नी को कुलटा कहकर अपमानित भी किया, लेकिन सुनंदा अपनी भक्ति पर अडिग रही।
परीक्षा और चमत्कार
एक दिन ब्राह्मण पानी भरने के लिए कुएं पर जा रहा था। सुनंदा ने कहा –
“मंगल को भी साथ ले जाइए।”
ब्राह्मण बालक को साथ ले गया, लेकिन मन में शंका और क्रोध था। उसने मंगल को नाजायज मानते हुए कुएं में फेंक दिया। जब वह घर लौटा, तो सुनंदा ने मंगल के बारे में पूछा। ब्राह्मण अभी कुछ उत्तर देता, तभी मंगल हँसता हुआ घर में प्रवेश करता है।
यह देखकर ब्राह्मण स्तब्ध रह गया। उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि वह बालक जीवित है। उसी रात हनुमान जी ने ब्राह्मण को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा:
“हे ब्राह्मण! यह बालक मेरा ही बालरूप है। यह तेरी पत्नी की सच्ची भक्ति का फल है। तुम व्यर्थ में अपनी धर्मपत्नी को अपशब्द कहकर पाप के भागी बन रहे हो।”
प्रभु के वचनों को सुनकर ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपनी पत्नी से क्षमा मांगी और दोनों ने मिलकर हनुमान जी की भक्ति और मंगलवार व्रत को पूरी श्रद्धा से करना प्रारंभ कर दिया।
मंगलवार व्रत से प्राप्त होने वाले फल
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि मंगलवार व्रत करने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियम से मंगलवार का व्रत करता है और इस व्रत की कथा सुनता या पढ़ता है, उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
हनुमान जी की कृपा से प्राप्त होने वाले प्रमुख फल:
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जीवन के कष्टों और संकटों से मुक्ति
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कर्ज, रोग, भय और शत्रुओं का नाश
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नौकरी और व्यवसाय में सफलता
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वैवाहिक जीवन में सुख
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संतान प्राप्ति और परिवार में समृद्धि
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मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि
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मंगल ग्रह के दोष से मुक्ति
मंगलवार व्रत की कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और अडिग भक्ति से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, यदि मन में विश्वास है और भक्ति में निष्ठा है, तो भगवान हनुमान हर संकट को टाल सकते हैं।
जो भी भक्त सच्चे मन से मंगलवार का व्रत करता है, इस व्रत कथा को सुनता और इसका अनुसरण करता है, उसके जीवन में मंगल ही मंगल होता है।
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