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रुद्रप्रयाग जिले में बाल विवाह: प्रशासन ने रोकी तीन नाबालिग लड़कियों की शादी
रुद्रप्रयाग जिले में बाल विवाह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में अगस्त्यमुनि विकासखंड के जलई ग्रामसभा में तीन नाबालिग लड़कियों की शादी कराई जा रही थी, लेकिन प्रशासन की सतर्कता और वन स्टॉप सेंटर के अधिकारियों की त्वरित कार्रवाई से इसे रोक दिया गया। यह घटना उत्तराखंड में बाल विवाह के प्रति बढ़ती चिंता को दर्शाती है और प्रशासन द्वारा सख्त कदम उठाने की जरूरत को उजागर करती है।
वन स्टॉप सेंटर की कार्रवाई से रुका बाल विवाह
वन स्टॉप सेंटर के अधिकारियों को गुप्त सूचना मिली थी कि जलई गांव में तीन 16 वर्षीय लड़कियों की शादी कराई जा रही है। इस सूचना के आधार पर अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर परिवारों को समझाया कि बाल विवाह गैरकानूनी है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अधिकारियों ने परिवारों को स्पष्ट रूप से बताया कि बाल विवाह अधिनियम 2006 के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी कराना अपराध है। इस कानून का उल्लंघन करने पर दो साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
परिजनों को चेतावनी देने के बाद शादी को तुरंत रोका गया और लड़कियों को सुरक्षित रखा गया। प्रशासन द्वारा यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
रुद्रप्रयाग में बढ़ रहे बाल विवाह के मामले
रुद्रप्रयाग जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बाल विवाह के कई मामले सामने आ चुके हैं।
- जखोली और ऊखीमठ क्षेत्र में अब तक सात बाल विवाह रोके गए हैं।
- अगस्त्यमुनि विकासखंड के जलई गांव में तीन और मामले सामने आने के बाद यह संख्या दस हो गई है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तराखंड में बाल विवाह की समस्या गहरी है और कई ऐसे मामले अभी भी प्रशासन और कानून की पकड़ से दूर हैं।
बाल विवाह क्यों हो रहा है?
रुद्रप्रयाग और अन्य पहाड़ी इलाकों में बाल विवाह के पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं।
- गरीबी और आर्थिक तंगी: गरीब परिवार अपनी बेटियों की शादी जल्दी कराने को मजबूर होते हैं, ताकि उनका आर्थिक बोझ कम हो जाए।
- शिक्षा की कमी: ग्रामीण इलाकों में अब भी शिक्षा का अभाव है, जिससे लोगों में जागरूकता की कमी बनी रहती है।
- रूढ़िवादी परंपराएं: कई समुदायों में यह मान्यता है कि लड़कियों की जल्दी शादी कर देना सुरक्षित होता है।
- लैंगिक भेदभाव: कई परिवार मानते हैं कि लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करने से बेहतर है कि उनकी शादी कर दी जाए।
प्रशासन और वन स्टॉप सेंटर की अपील
वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट ने जनता से अपील की है कि वे अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं। उन्होंने कहा कि अगर किसी परिवार द्वारा बाल विवाह करवाया जाता है, तो प्रशासन द्वारा कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम:
- ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
- पंचायत स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जा रही है।
- शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- वन स्टॉप सेंटर और बाल संरक्षण समितियों को सक्रिय किया गया है।
समाज को भी आगे आना होगा
बाल विवाह को रोकने के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि समाज को भी जागरूक होना जरूरी है। अगर किसी को अपने आसपास बाल विवाह की सूचना मिले तो तुरंत पुलिस, वन स्टॉप सेंटर या महिला हेल्पलाइन नंबर 1098 पर शिकायत करें।
बाल विवाह न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेलता है, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इस सामाजिक कुप्रथा को खत्म करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
रुद्रप्रयाग में वन स्टॉप सेंटर और प्रशासन की तत्परता से तीन नाबालिग लड़कियों की शादी रुक गई, लेकिन यह सिर्फ एक उदाहरण है। बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सरकार, प्रशासन, सामाजिक संगठनों और आम जनता को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। अगर हर कोई जागरूक होगा, तभी बेटियों का भविष्य सुरक्षित रहेगा और वे अपने सपनों को साकार कर सकेंगी।
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