उत्तराखंड न्यूज़: आंगन में खेलते बच्चों पर हमला कर रहा गुलदार, 2 मासूमों की दर्दनाक मौत से मचा कोहराम
उत्तराखंड में वन्यजीवों का आतंक बढ़ता जा रहा है, खासकर गुलदार (तेंदुए) के हमले से लोग डरे हुए हैं। कल शाम को राज्य के दो अलग-अलग जनपदों में गुलदार ने दो मासूम बच्चों पर घातक हमला कर उनकी जान ले ली। इन घटनाओं ने पूरे इलाके में भय और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
बागेश्वर में 3 साल की बच्ची पर हमला
गुरुवार शाम को बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के ओलानी गांव में 3 साल की बच्ची, योगिता उप्रेती अपने आंगन में खेल रही थी। अचानक, घर के बाहर घात लगाए बैठे गुलदार ने मासूम पर घातक हमला कर दिया। बच्ची के परिजनों ने गुलदार से उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वह बच्ची को लेकर जंगल की ओर भाग गया। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम और थाना कांडा की पुलिस मौके पर पहुंची। तलाशी के दौरान बच्ची का शव घर से कुछ दूरी पर बरामद हुआ। इस दर्दनाक हादसे से पूरे गांव में मातम का माहौल है, और परिवार सदमे में है।
ग्रामीणों में भय और आक्रोश
योगिता की मौत के बाद से ओलानी गांव में भय का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग से गुलदार को पकड़ने और इलाके में गश्त बढ़ाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से गांव के आसपास गुलदार के दिखने की घटनाएं बढ़ गई हैं, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। घटना के बाद से गांव में आक्रोश है और लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
ऊधम सिंह नगर में 14 साल के लड़के की मौत
गुलदार का दूसरा हमला ऊधम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता के बिचवा भूड़ इलाके में हुआ, जहां 14 वर्षीय लड़का, गोपी अपने घर के आंगन में खेल रहा था। इसी दौरान एक गुलदार ने अचानक गोपी पर हमला कर दिया। गोपी की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए, और शोर मचाने लगे। लोगों का शोर सुनकर गुलदार घायल लड़के को छोड़कर भाग गया। परिजन और ग्रामीण उसे उप जिला चिकित्सालय सितारगंज इलाज के लिए ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार और ग्रामीणों में दुख का माहौल
गोपी की मौत से उसके परिवार और इलाके में मातम पसर गया है। लोगों का कहना है कि गुलदार के हमले से बच्चों का बाहर खेलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि वे जल्द से जल्द गुलदार को पकड़ें और इलाके में सुरक्षा के इंतजाम करें।
गुलदार के हमलों में वृद्धि, वन विभाग की नाकामी पर सवाल
उत्तराखंड में गुलदार के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले कुछ महीनों में प्रदेश के कई इलाकों में गुलदार के हमले की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी निशाना बनाया गया है। वन विभाग की ओर से त्वरित कार्रवाई न होने के कारण लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
क्या कह रहे हैं वन्यजीव विशेषज्ञ?
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के सिकुड़ने और शहरीकरण के कारण जंगली जानवरों का प्राकृतिक आवास घट रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि गुलदार जैसे खतरनाक जानवर इंसानी बस्तियों में घुसपैठ कर रहे हैं और भोजन की तलाश में बच्चों और पालतू जानवरों पर हमला कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वन विभाग को इन जानवरों को पकड़कर वापस जंगल में छोड़ने के लिए कड़ी योजना बनानी चाहिए।
वन विभाग की सफाई और योजना
वन विभाग का कहना है कि उन्होंने गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए हैं और इलाके में गश्त बढ़ा दी है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि यह कदम काफी देर से उठाया गया है और प्रशासन को पहले ही सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए थे। वन विभाग का दावा है कि वे जल्द ही गुलदार को पकड़कर अन्यत्र भेजने की योजना बना रहे हैं।
स्थानीय लोगों का क्या कहना है?
घटना के बाद से ग्रामीणों में भारी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय पर कदम उठाए होते तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि गुलदार के हमले की घटनाएं अब लगातार हो रही हैं, जिससे उनके जीवन में डर का माहौल बना हुआ है। लोगों ने वन विभाग से अपील की है कि वे जल्द से जल्द गुलदार को पकड़ें और सुरक्षा के उपाय करें।
समाधान के लिए क्या हो सकते हैं कदम?
गुलदार के आतंक को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे:
- गुलदार को पकड़ने के लिए ट्रैपिंग पिंजरे और कैमरे लगाना: वन विभाग को ऐसे क्षेत्रों में पिंजरे और कैमरे लगाने चाहिए जहां गुलदार के हमले की घटनाएं हो रही हैं, ताकि उन्हें तुरंत पकड़कर जंगल में छोड़ा जा सके।
- गश्त बढ़ाना और अलर्ट जारी करना: प्रभावित क्षेत्रों में वन विभाग को नियमित गश्त करनी चाहिए और ग्रामीणों को सतर्क रहना चाहिए।
- लोगों को जागरूक करना: वन विभाग को स्थानीय लोगों को गुलदार से बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना चाहिए, ताकि किसी भी अनहोनी को रोका जा सके।
- वन्यजीव संरक्षण कानूनों का पालन: इसके साथ ही सरकार को वन्यजीवों के संरक्षण के साथ-साथ इंसानों की सुरक्षा के लिए भी ठोस नीति बनानी होगी।
गुलदार के हमले से परेशान हैं ग्रामीण
उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में गुलदार का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि वह इन घटनाओं को गंभीरता से ले और लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। जब तक प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं करेगा, तब तक लोगों का जीवन खतरे में बना रहेगा।
उत्तराखंड के जंगलों से जुड़े इस गंभीर मुद्दे को हल करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को कम किया जा सके और लोगों को सुरक्षित जीवन प्रदान किया जा सके।
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