
KEDARNATH ATUL IIT MADRAS: केदारनाथ के घोड़ा-खच्चर चालक अतुल ने रचा इतिहास, पहुंचा IIT मद्रास
KEDARNATH ATUL IIT MADRAS: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से अक्सर संघर्ष और मेहनत की कहानियां सामने आती हैं, लेकिन रुद्रप्रयाग जिले के वीरों देवल गांव के अतुल की कहानी हर किसी के लिए मिसाल है। केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर चलाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने वाला अतुल अब देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT मद्रास पहुंच चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अतुल से बात कर न सिर्फ बधाई दी बल्कि हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया।
घोड़ा-खच्चर से IIT मद्रास तक का सफर
अतुल का सफर आसान नहीं था। एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाला अतुल बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी किया। बीएससी के दौरान भी अतुल को कई बार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
गर्मी में केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं के लिए घोड़ा-खच्चर चलाकर अतुल ने अपनी फीस और परिवार का खर्च जुटाया। यही मेहनत रंग लाई और उसने IIT JAM परीक्षा 2025 में ऑल इंडिया स्तर पर 649वीं रैंक हासिल की। अब अतुल IIT मद्रास से गणित में एमएससी की पढ़ाई कर रहा है।
सीएम धामी ने की बात, दिया हर मदद का आश्वासन
अतुल की सफलता की खबर जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंची तो उन्होंने देर रात अतुल से फोन पर बात की। सीएम धामी ने अतुल को बधाई देते हुए कहा कि उसने पूरे उत्तराखंड को गर्व महसूस कराया है। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में भी यदि कोई ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं होता। अतुल की कहानी उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों से घबराकर अपने सपने बीच में ही छोड़ देते हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार अतुल को आगे की पढ़ाई में हर संभव मदद देगी ताकि उसे कभी आर्थिक परेशानियों से दो-चार न होना पड़े। इसके अलावा सीएम ने अतुल के परिवार को भी हर जरूरी सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिया।
क्यों है अतुल की कहानी खास?
अतुल के पिता घोड़ा-खच्चर चलाकर परिवार का पेट पालते थे, अब अतुल ने भी यही काम किया ताकि उसकी पढ़ाई रुके नहीं। पढ़ाई के प्रति उसका समर्पण और आत्मनिर्भरता यह साबित करती है कि मेहनत और दृढ़ निश्चय से कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। आज अतुल के माता-पिता को अपने बेटे पर गर्व है और गांव में भी उसकी चर्चा हो रही है।
अतुल के परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई और एक बहन हैं। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। अतुल घर की आर्थिक जिम्मेदारी निभाते हुए भी अपनी किताबों से दूर नहीं हुआ। उसकी लगन ने ही उसे आज देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक तक पहुंचा दिया।
युवाओं को बड़ा संदेश
अतुल की सफलता यह संदेश देती है कि पहाड़ों में रहने वाले युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ सही मार्गदर्शन और खुद पर विश्वास की। घोड़ा-खच्चर चलाने वाला अतुल आज IIT मद्रास के क्लासरूम में बैठा है, यह देखकर हर किसी को समझ लेना चाहिए कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हैं तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
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