देहरादून: दून विश्वविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्रों ने इगास बग्वाल पर जापानी भाषा में एक अनूठा प्रोजेक्ट तैयार कर इस पारंपरिक पर्व को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया है।
तारीख: 2 दिसंबर 2024
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देहरादून: दून विश्वविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्रों ने इगास बग्वाल पर जापानी भाषा में एक अनूठा प्रोजेक्ट तैयार कर इस पारंपरिक पर्व को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया है।
स्थान: देहरादून, Uttarakhand News
रिपोर्टर: संवाददाता प्रदीप शाह
देहरादून: दून विश्वविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्रों ने इगास बग्वाल पर जापानी भाषा में एक अनूठा प्रोजेक्ट तैयार कर इस पारंपरिक पर्व को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया है।
इस प्रोजेक्ट को छात्रा साक्षी केवल, लीजा अनेजा, चैतन्य आले, और वंशिका रावत ने तैयार किया। इन्होंने इगास के पारंपरिक पहलुओं को जापानी भाषा में प्रस्तुत किया है। प्रोजेक्ट के तहत एक वीडियो तैयार किया गया है जिसमें पहाड़ी संस्कृति के खास पकवान, जैसे दाल पकौड़े और भैला, का जापानी भाषा में वर्णन किया गया है। इसके साथ ही, वीडियो में इगास के ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक मान्यताओं को भी प्रभावी ढंग से उजागर किया गया है।
जापानी भाषा के छात्र सचिन रमोला ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से इगास के प्रति युवाओं में जागरूकता और उत्साह बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सांसद अनिल बलूनी की पहल के कारण इगास को लेकर जागरूकता बढ़ी है, और अब यह पर्व शोध का एक महत्वपूर्ण विषय बनता जा रहा है।
छात्रों ने इस प्रोजेक्ट को पारंपरिक परिधानों के साथ प्रस्तुत किया, जो कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इससे यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक मंच पर भी सराहनीय बन गई है।
दून विश्वविद्यालय के छात्रों के इस प्रयास को शिक्षाविदों और संस्कृति प्रेमियों की ओर से खूब सराहना मिल रही है। यह परियोजना उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
छात्रों का यह प्रयास साबित करता है कि हमारी सांस्कृतिक परंपराएं न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं। दून विश्वविद्यालय का यह प्रोजेक्ट इगास को वैश्विक मंच पर ले जाने के साथ ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि को भी उजागर करता है।
यह पहल युवाओं के बीच इगास को लेकर शोध और रचनात्मकता की नई संभावनाएं खोल सकती है। इस तरह के प्रयास हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और विश्व में उसका प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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