
Vrat 2026: जानें पूरे साल के प्रमुख व्रत और त्योहार
Vrat 2026: भारतीय संस्कृति में व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि ये आत्मअनुशासन, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक हैं। वर्ष 2026 में भी कई महत्वपूर्ण व्रत आएंगे, जो आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन लाने का अवसर प्रदान करेंगे। इन व्रतों के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत इच्छाओं की पूर्ति की कामना की जाती है, बल्कि परिवार और समाज के कल्याण के लिए भी प्रार्थना की जाती है।
व्रत 2026 में प्रमुख रूप से एकादशी, चतुर्थी, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे व्रतों का विशेष महत्व होगा। इसके अलावा, करवा चौथ, शिवरात्रि, हरतालिका तीज और सावन सोमवार जैसे पर्व दांपत्य जीवन और पारिवारिक सुख के लिए रखे जाते हैं। इन व्रतों के दौरान उपवास, पूजा-पाठ और ध्यान के माध्यम से तन और मन की शुद्धि होती है।
क्या आप जानते हैं कि हर व्रत के पीछे कोई विशेष कथा और उद्देश्य होता है? व्रत 2026 में कौन-कौन से शुभ व्रत आने वाले हैं, उनका धार्मिक और सामाजिक महत्व क्या है, और उन्हें करने से क्या लाभ होते हैं — आइए, इन सभी पहलुओं को विस्तार से जानें।
जनवरी व्रत 2026: January Vrat 2026
- 13 जनवरी 2026– भोगी (दक्षिण भारत)
- 14 जनवरी 2026– माघ बिहू (असम)
- 15 जनवरी 2026– तिल द्वादशी
- 17 जनवरी 2026– रातंती कालिका पूजा
- 23 जनवरी 2026– तक्षक पूजा
- 24 जनवरी 2026– दरिद्रय हरन षष्ठी, शीतला षष्ठी (बंगाल)
- 25 जनवरी 2026– मानवदी सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, रथ सप्तमी
- 30 जनवरी 2026– भीष्म तर्पण
फरवरी व्रत 2026: February Vrat 2026
- 16 फरवरी 2026– शिव खप्पर पूजा
- 21 फरवरी 2026– संत चतुर्थी (उड़ीसा)
- 23 फरवरी 2026– गोरुपिणी षष्ठी (बंगाल)
- 28 फरवरी 2026– गोविंदा द्वादशी
मार्च व्रत 2026: March Vrat 2026
- 4 मार्च 2026– बसंतोत्सव
- 6 मार्च 2026– कल्पदी तीजा
- 8 मार्च 2026– रंग पंचमी
- 9 मार्च 2026– एकनाथ षष्ठी
- 10 मार्च 2026– श्री शीतला पूजन
- 13 मार्च 2026– दशमाता व्रत
- 17 मार्च 2026– रंग तेरस
- 20 मार्च 2026– चंद्र व्रत
- 23 मार्च 2026– हया पंचमी व्रत
- 26 मार्च 2026– अशोकाष्टमी
- 29 मार्च 2026– डोलोत्सव
- 30 मार्च 2026– दमनोत्सव
अप्रैल व्रत 2026: April Vrat 2026
- 22 अप्रैल 2026– चंदन षष्ठी (बिहार)
- 25 अप्रैल 2026– सीता नवमी
- 28 अप्रैल 2026– रुक्मिणी द्वादशी
मई व्रत 2026: May Vrat 2026
- 14 मई 2026– मधुसूदन द्वादशी
- 16 मई 2026– भावुका अमावस्या
जून व्रत 2026: June Vrat 2026
- 15 जून 2026– कारवीर व्रत
- 19 जून 2026– श्रुति पंचमी
- 20 जून 2026– विंध्यवासिनी पूजा, जमित्रा षष्ठी
- 23 जून 2026– महेश नवमी
- 26 जून 2026– चंपक द्वादशी
जुलाई व्रत 2026: July Vrat 2026
- 16 जुलाई 2026– मनोरथ द्वितीया (बंगाल)
- 22 जुलाई 2026– कंदर्प नवमी, शूरद्रि नवमी, शरीफ भवानी (कश्मीर)
- 24 जुलाई 2026– मानवदी दशमी, आशा दशमी, गिरिजा पूजा
- 26 जुलाई 2026– जया पार्वती व्रत
- 29 जुलाई 2026– कोकिला व्रत, शिव शयनोत्सव
- 31 जुलाई 2026– अशून्य शयन व्रत (बंगाल)
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अगस्त व्रत 2026: August Vrat 2026
- 12 अगस्त 2026– हरियाली अमावस्या
- 17 अगस्त 2026– जीवंतिका पूजा
- 18 अगस्त 2026– वर्ण श्रीयल षष्ठी
- 20 अगस्त 2026– मंगल गौरी पूजा
- 24 अगस्त 2026– श्रावण द्वादशी, पवित्रार्पण द्वादशी
- 31 अगस्त 2026– बाहुला चतुर्थी
सितंबर व्रत 2026: September Vrat 2026
- 2 सितंबर 2026– पुत्रार्थी व्रत, रक्षा पंचमी (उड़ीसा)
- 5 सितंबर 2026– गोगा नवमी
- 10 सितंबर 2026– कुशोत्पातिनी अमावस्या, अघोरा चतुर्दशी
- 11 सितंबर 2026– पिठोरी अमावस्या
- 14 सितंबर 2026– मानवदी तीजा
- 17 सितंबर 2026– ललिता षष्ठी व्रत, बलदेव षष्ठी, सूर्य षष्ठी (भाद्रपद)
- 18 सितंबर 2026– मुक्ताभरण सप्तमी, संतान सप्तमी
- 20 सितंबर 2026– श्री चंद नवमी
- 21 सितंबर 2026– दशावतार दशमी
- 26 सितंबर 2026– महालय श्राद्ध
अक्टूबर व्रत 2026: October Vrat 2026
- 1 अक्टूबर 2026– चंद्र षष्ठी
- 2 अक्टूबर 2026– कपिला षष्ठी
- 8 अक्टूबर 2026– माघ त्रयोदशी श्राद्ध
- 10 अक्टूबर 2026– फाल्गु योग
- 15 अक्टूबर 2026– उपांग ललिता पंचमी व्रत
- 21 अक्टूबर 2026– शमी एवं अपराजिता पूजा
- 22 अक्टूबर 2026– भरत मिलाप
- 25 अक्टूबर 2026– कोजागर व्रत
- 29 अक्टूबर 2026– दशरथ चतुर्थ
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नवंबर व्रत 2026: November Vrat 2026
- 2 नवंबर 2026– कालिका पूजन (पंजाब)
- 5 नवंबर 2026– गोवत्स द्वादशी व्रत
- 9 नवंबर 2026– काली पूजा, कुबेर पूजा
- 10 नवंबर 2026– बली पूजा
- 11 नवंबर 2026– चित्रगुप्त पूजन
- 14 नवंबर 2026– पांडव पंचमी, सौभाग्य पंचमी
- 16 नवंबर 2026– कल्पदी सप्तमी
- 18 नवंबर 2026– अक्षय नवमी, कृतयुगादि नवमी, कौष्मांडा नवमी, जगद्धात्री पूजा, आंवला नवमी
- 23 नवंबर 2026– वैकुंठ चतुर्दशी
- 24 नवंबर 2026– त्रिपुरोत्सव
- 27 नवंबर 2026– सौभाग्य सुंदरी व्रत
- 30 नवंबर 2026– भैरव पूजन
दिसंबर व्रत 2026: December Vrat 2026
- 4 दिसंबर 2026– वैतरणी व्रत
- 15 दिसंबर 2026– श्री राम कलेवा, स्कंद षष्ठी (गुह्य), मित्र सप्तमी, मूलक रूपिणी षष्ठी, गुरु स्कंद षष्ठी, चंपा षष्ठी व्रत (महाराष्ट्र)
- 18 दिसंबर 2026– महानंदा नवमी
- 21 दिसंबर 2026– व्यंजन द्वादशी
- 23 दिसंबर 2026– पिशाचमोचन श्राद्ध
- व्रत 2026 में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार कौन-कौन से हैं?
व्रत 2026 में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत मनाए जाएंगे। जनवरी में मकर संक्रांति, रथ सप्तमी और भिष्म तर्पण खास महत्व रखते हैं। फरवरी में शिव खप्पर पूजा और गोरूपिणी षष्ठी का आयोजन किया जाएगा। मार्च में होली से जुड़ी रंग पंचमी और बसंतोत्सव जैसे रंग-बिरंगे पर्व होंगे। अप्रैल में सीता नवमी और रुक्मिणी द्वादशी विशेष पर्व हैं, जबकि मई में मधुसूदन द्वादशी और भावुक अमावस्या मनाई जाएगी। जून में महेश नवमी और चंपक द्वादशी का आयोजन होता है। जुलाई में कंदर्प नवमी और शिव शयनोत्सव देखे जाएंगे। अगस्त में हरियाली अमावस्या और पवित्रार्पण द्वादशी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सितंबर में गोगा नवमी और महालय श्राद्ध के कार्यक्रम होंगे। अक्टूबर में दशहरे के साथ शमी पूजा की जाती है। नवंबर में काली पूजा और चित्रगुप्त पूजा मनाई जाएगी, और दिसंबर में पिशाचमोचन श्राद्ध और चंपा षष्ठी जैसे खास पर्व होंगे। भारत के अलग-अलग राज्यों में इन पर्वों को अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है।
- व्रत 2026 में मनाए जाने वाले व्रतों का धार्मिक महत्व क्या है?
भारतीय संस्कृति में व्रतों का विशेष महत्व है, और व्रत 2026 में भी कई ऐसे व्रत आएंगे जो धार्मिक आस्था से जुड़े हुए हैं। रथ सप्तमी भगवान सूर्य को समर्पित है और इसे स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए रखा जाता है। भवुक अमावस्या पर पूर्वजों की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। शिव खप्पर पूजा भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा है, जिससे जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। गोरूपिणी षष्ठी बंगाल में बच्चों की दीर्घायु और सुख के लिए मनाई जाती है। हरियाली अमावस्या प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की भावना को दर्शाती है। महेश नवमी भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाती है और यह दिन विवाह योग्य कन्याओं के लिए शुभ माना जाता है। अशून्य शयन व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इन व्रतों के पीछे आध्यात्मिकता के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी छिपे हैं, जो भारतीय समाज में धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने में सहायक हैं।
- व्रत 2026 का पंचांग क्या दर्शाता है?
व्रत 2026 का पंचांग भारतीय कैलेंडर के अनुसार विभिन्न त्योहारों, व्रतों और शुभ तिथियों की जानकारी देता है। पंचांग में पंच तत्व — तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का समावेश होता है, जो हिंदू धार्मिक परंपराओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। व्रत 2026 के पंचांग में माघ, फाल्गुन, चैत्र जैसे मासों में विशेष पर्व और अनुष्ठान दर्शाए गए हैं। पंचांग न केवल शुभ तिथियों का उल्लेख करता है, बल्कि पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से गृह प्रवेश, विवाह, व्यापार की शुरुआत, वाहन खरीदने जैसे कार्यों के लिए उचित समय निकाला जाता है। व्रत 2026 का पंचांग आध्यात्मिक साधकों के लिए दिशा-निर्देश की तरह कार्य करता है, जिससे वे अपने धार्मिक कार्यों को सही समय पर संपन्न कर सकें।
- व्रत 2026 में कौन-से विशेष पूजा अनुष्ठान किए जाएंगे?
व्रत 2026 में अनेक विशेष पूजा-अनुष्ठान होंगे, जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना के लिए किए जाएंगे। जनवरी में रतंती कालीका पूजा होती है, जिसमें देवी काली की आराधना कर शक्ति प्राप्ति की कामना की जाती है। फरवरी में शिव खप्पर पूजा शिव जी के भक्तों द्वारा की जाती है। मार्च में श्री शीतला पूजन विशेष रूप से बच्चों की रक्षा और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। अप्रैल में सीता नवमी का आयोजन माता सीता की याद में होता है। मई में मधुसूदन द्वादशी भगवान विष्णु के मधुसूदन रूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। जुलाई में कंदर्प नवमी का संबंध प्रेम और विवाह से है। अक्टूबर में शमी पूजा विशेष होती है, जिसमें विजय दशमी के दिन शमी के पत्तों का आदान-प्रदान कर समृद्धि की कामना की जाती है। इन अनुष्ठानों से भक्तों को आध्यात्मिक बल मिलता है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वर्ष 2026 भारतीय संस्कृति के अनुसार कई महत्वपूर्ण व्रतों से भरा हुआ है। ये सभी तिथियां हिंदू पंचांग और विभिन्न प्रांतीय परंपराओं के आधार पर मनाई जाती हैं। इस कैलेंडर को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालु अपने व्रत-त्योहारों को सही समय पर मना सकते हैं।
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- व्रत 2026 में कौन-कौन से राज्य विशेष उत्सव मनाएंगे?
भारत विविध संस्कृतियों का देश है, जहां हर राज्य के अपने विशेष पर्व और परंपराएं हैं। व्रत 2026 में असम में माघ बिहू 14 जनवरी को मनाया जाएगा, जिसमें नए अन्न की खुशी में भोगाली भोज और पारंपरिक नृत्य होते हैं। बंगाल में शीतला षष्ठी और गोरूपिणी षष्ठी जैसे त्योहार खास हैं, जो संतान सुख और स्वास्थ्य के लिए मनाए जाते हैं। ओडिशा में संत चतुर्थी और रक्षा पंचमी जैसे पर्व मनाए जाएंगे, जिनका धार्मिक महत्व काफी गहरा है। महाराष्ट्र में चंपा षष्ठी और महानंदा नवमी जैसे पर्व भगवान शिव की आराधना के लिए प्रसिद्ध हैं। उत्तर भारत में रथ सप्तमी और भवुक अमावस्या जैसे पर्व पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के लिए माने जाते हैं। हर राज्य अपने रीति-रिवाजों और लोक मान्यताओं के अनुसार पर्व मनाता है, जिससे भारत की सांस्कृतिक विविधता झलकती है।
- व्रत 2026 में कौन-कौन से धार्मिक व्रत स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखे जाएंगे?
व्रत 2026 में कई ऐसे धार्मिक व्रत होंगे, जो स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना से रखे जाते हैं। रथ सप्तमी भगवान सूर्य को समर्पित है और इसे रखने से स्वास्थ्य में सुधार होता है। श्री शीतला पूजन विशेष रूप से संक्रामक रोगों से बचाव के लिए किया जाता है। मधुसूदन द्वादशी को भगवान विष्णु की पूजा कर घर में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। महेश नवमी पर भगवान शिव की आराधना कर मानसिक शांति और पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। अशून्य शयन व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण और जल संरक्षण के उपाय किए जाते हैं, जो पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। इन व्रतों को करने से न केवल आस्था की पूर्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति का संचार होता है।
- व्रत 2026 में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारतीय पंचांग में पर्वों की तिथियों को तय करने में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। व्रत 2026 में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति खास रहेगी, जिससे रथ सप्तमी और चंद्र व्रत का महत्व बढ़ जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, जिससे शुभ कार्यों के लिए नए मुहूर्त बनेंगे। गुरु ग्रह की स्थिति के कारण विवाह और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों के लिए विशेष योग बनेंगे। शनि की साढ़ेसाती कुछ राशियों पर प्रभाव डालेगी, जिससे शनि संबंधी उपाय करने की सलाह दी जाएगी। ग्रहों की चाल से फसल चक्र और मौसम में बदलाव आने की संभावना रहेगी, जो कृषि पर प्रभाव डालेगा। कुल मिलाकर, व्रत 2026 में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति कई धार्मिक अनुष्ठानों और व्यक्तिगत जीवन में विशेष प्रभाव डालेगी।
- व्रत 2026 में कौन से पर्व प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े हैं?
भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पूजा का विशेष महत्व है, और व्रत 2026 में कई ऐसे पर्व हैं, जो पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हैं। हरियाली अमावस्या 12 अगस्त 2026 को मनाई जाएगी, जिसमें वृक्षारोपण और पर्यावरण रक्षा के संकल्प लिए जाते हैं। रथ सप्तमी सूर्य भगवान की पूजा के साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। श्रावण मास के दौरान जल स्रोतों की सफाई और जल संरक्षण के प्रयास किए जाते हैं। नवरात्रि में देवी पूजन के साथ प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया जाता है। इसके अलावा, अशोक अष्टमी पर अशोक वृक्ष की पूजा कर इसे लगाने की परंपरा है, जिससे पर्यावरण में हरियाली बनी रहती है। ये पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति मानव जाति की जिम्मेदारी को भी उजागर करते हैं।
- व्रत 2026 में कौन-कौन से अनोखे और क्षेत्रीय त्योहार हैं?
व्रत 2026 में कुछ ऐसे अनोखे और क्षेत्रीय त्योहार शामिल हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। रतंती कालीका पूजा पश्चिम बंगाल और असम में मनाई जाती है, जिसमें देवी काली की आराधना की जाती है। गोगा नवमी राजस्थान और हरियाणा में मनाई जाती है, जिसमें गोगाजी की पूजा कर सर्पदंश से रक्षा की प्रार्थना की जाती है। कंदर्प नवमी बंगाल में प्रेम और सौंदर्य के प्रतीक कंदर्प देवता को समर्पित होती है। शमी पूजा महाराष्ट्र और कर्नाटक में दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा कर विजय की कामना की जाती है। बहुला चतुर्थी गुजरात में विशेष रूप से मनाई जाती है, जिसमें महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इन त्योहारों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान और मान्यताओं की झलक मिलती है।
- व्रत 2026 में किन-किन शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त मिलेंगे?
व्रत 2026 में विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीद, व्यवसाय की शुरुआत और नामकरण संस्कार जैसे शुभ कार्यों के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे। मकर संक्रांति के बाद से सूर्य के उत्तरायण होने पर शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। अक्षय नवमी 18 नवंबर 2026 को होगी, जिसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग जैसे विशेष योगों में गृह प्रवेश और व्यापार प्रारंभ करना अत्यंत लाभकारी होता है। रथ सप्तमी और महेश नवमी जैसे पर्व आध्यात्मिक साधना और नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ हैं। इसके अलावा, नवरात्रि के नौ दिनों में हर प्रकार के मांगलिक कार्य करने की परंपरा है। व्रत 2026 के दौरान शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखकर किए गए कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
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