नई दिल्ली में सोमवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने एक अनोखी मांग रखी। उन्होंने सुझाव दिया कि वक्फ संपत्तियों की ज़मीन, मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान को छोड़कर, शेष भूमि सेना के शहीदों के परिवारों को सौंपी जानी चाहिए। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने कहा, “जब कोई सैनिक देश की रक्षा करता है, तो वह किसी धर्म या जाति का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि वह एक सच्चा देशभक्त होता है। ऐसे में उनका परिवार हमारी ज़िम्मेदारी बनती है।”
विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्ड्स की उपस्थिति
इस बैठक में उत्तराखंड के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इन सभी वक्फ बोर्ड्स ने अपने सुझाव और दृष्टिकोण साझा किए, ताकि प्रस्तावित संशोधन विधेयक में उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सके। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने विशेष रूप से इस विधेयक में पारदर्शिता और महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर दिया, और बताया कि उनके बोर्ड में पहले से ही दो महिला प्रतिनिधि शामिल हैं।
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विपक्षी सांसदों की आपत्ति
विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अन्य धर्मों में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके जवाब में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने कहा कि वे अन्य धर्मों से तुलना करने के बजाय एक नई परंपरा की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा, बोर्ड ने विवादित संपत्तियों के लिए सख्त निरीक्षण और आवश्यकता पड़ने पर सीबीआई जांच की मांग की, जो विपक्षी सांसदों को आपत्तिजनक लगी।
बीजेपी और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक
बैठक के दौरान बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने वक्फ बोर्ड की मूल रिपोर्ट में बिना मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बड़े बदलाव किए, जिससे रिपोर्ट की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बैठक जारी
सोमवार को हुई बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने की। इस बैठक में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के वक्फ बोर्ड्स को अपने मौखिक प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए बुलाया गया था। इसके साथ ही, ‘कॉल फॉर जस्टिस’ समूह के चंदर वाधवा, वक्फ टेनेंट वेलफेयर एसोसिएशन और बीके दत्त कॉलोनी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरबंस डुंकल ने भी अपने विचार रखे।
अगली बैठक 29 अक्टूबर को
संसदीय समिति की अगली बैठक 29 अक्टूबर, 2024 को निर्धारित की गई है, जिसमें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों से इस विधेयक पर उनके विचार मांगे जाएंगे।
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