वन विभाग ने 979 पेड़ों के कटान को मंजूरी दी है, जिससे लंबे समय से रुके हुए निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। इस अनुमति के तहत कुछ शर्तें लागू की गई हैं, जैसे कि दो गुने नए पेड़ों का रोपण और संरक्षित प्रजातियों के पेड़ों को स्थानांतरित करना। यह अनुमति कई दौर के निरीक्षणों के बाद दी गई है, और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। एनआईटी का स्थायी परिसर सुमाड़ी के पास 22.1598 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा। यह क्षेत्र लंबे समय से एनआईटी भवन निर्माण के लिए चयनित है, लेकिन पेड़ों के कटान में आई अड़चनों के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ था।
एनआईटी वर्तमान में श्रीनगर के एक अस्थायी कैंपस में चल रहा है। स्थायी परिसर के निर्माण से छात्रों और संस्थान को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। पेड़ों के कटान की अनुमति इस निर्माण को शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।वन विभाग ने निरीक्षण के बाद अनुमति के लिए कई शर्तें रखी हैं:
- कटने वाले पेड़ों के स्थान पर दो गुने नए पेड़ों का रोपण करना।
- संरक्षित पेड़ों को दूसरी जगह स्थानांतरित करना।
- प्रति पेड़ 400 रुपये क्षतिपूर्ति राशि वन विभाग को जमा करनी होगी।
- निर्माण स्थल पर ऐसे पेड़ों को नहीं काटा जाएगा, जो भवनों के बीच खाली स्थानों पर हैं।
वन विभाग के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने कहा, “निरीक्षण के बाद पेड़ों की गिनती पूरी हो चुकी है। शर्तों के साथ संस्तुति करते हुए पत्र सीएफ गढ़वाल को भेजा गया है। निर्माण कार्य तभी शुरू होगा जब सभी शर्तों का पालन किया जाएगा।”
वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर लगाए गए नए पेड़ तीन साल तक स्वस्थ पाए जाते हैं, तो क्षतिपूर्ति राशि वापस की जा सकती है। एनआईटी के स्थायी परिसर निर्माण को लेकर आई बाधा अब दूर हो गई है। पेड़ों की कटान प्रक्रिया पूरी होने के बाद, क्षेत्र में निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। यह परियोजना क्षेत्र में शिक्षा और विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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