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भारत का एकमात्र क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल देहरादून में होगा आयोजित, जाने-माने लेखक, फिल्मकार होंगे शामिल

क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल

क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल

देहरादून में 29 नवंबर से 1 दिसंबर 2024 तक देश के पहले और एकमात्र क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (CLFI) का दूसरा संस्करण आयोजित किया जाएगा। यह फेस्टिवल अपराध, साहित्य और संस्कृति के संगम का जश्न मनाने का एक अनोखा मंच है।

पहले संस्करण में लेखन, सिनेमा और कानून प्रवर्तन से जुड़ी कई हस्तियों ने हिस्सा लिया था। इसमें फिल्म निर्देशक सुजॉय घोष (कहानी) और संजय गुप्ता (शूटआउट एट लोखंडवाला), अभिनेता अविनाश तिवारी (खाकी: द बिहार चैप्टर और मडगांव एक्सप्रेस) और राजश्री देशपांडे (सेक्रेड गेम्स और ट्रायल बाय फायर), लेखक एस हुसैन जैदी (ब्लैक फ्राइडे और रॉ हिटमैन) और किरण मनराल (द रिलक्टेंट डिटेक्टिव और किटी पार्टी मर्डर) जैसे कई प्रमुख नाम शामिल थे। साथ ही, पुलिस अधिकारी नवनीत सेकेरा (एडीजी, जिनकी कहानी पर भौकाल आधारित है) और पूर्व आईपीएस अधिकारी राजेश पांडे (ऑपरेशन बाजूका के लेखक) ने भी विचार साझा किए। चर्चा के विषयों में तेलगी स्टाम्प पेपर घोटाले से लेकर कुख्यात निठारी सीरियल मर्डर और काल्पनिक जासूसों का निर्माण शामिल था।

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दूसरे संस्करण की आधिकारिक घोषणा दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई, जिसमें विशेष पैनल में शामिल थे ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के लेखक ज़ीशान क़ादरी, ‘कोहरा’ और ‘ट्रायल बाय फायर’ के निर्देशक रणदीप झा, पूर्व ईडी निदेशक और ‘बाटला हाउस’ के लेखक करनाल सिंह, और पूर्व दिल्ली पुलिस आयुक्त व ‘ए कॉप इन क्रिकेट’ के लेखक नीरज कुमार। फेस्टिवल के अध्यक्ष और उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार (साइबर एनकाउंटर के लेखक) और फेस्टिवल डायरेक्टर आलोक लाल, पूर्व डीजीपी और ‘बाराबंकी नार्कोस’ के लेखक, भी इस अवसर पर मौजूद थे।

इस फेस्टिवल का उद्देश्य साहित्य और सिनेमा के माध्यम से अपराध के विभिन्न पहलुओं को समझना है। अशोक कुमार ने फेस्टिवल के दौरान आंतरिक सुरक्षा और साइबर क्राइम जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही, वहीं आलोक लाल ने महिलाओं के खिलाफ अपराध और नशा तस्करी जैसे गंभीर मुद्दों को समाज-संवेदनशील दृष्टिकोण से संबोधित करने का महत्व बताया। क़ादरी, झा, सिंह, और कुमार ने अपराध साहित्य की सामाजिक सच्चाइयों को उजागर करने की शक्ति पर भी चर्चा की।

 


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