समुद्र से काफी ऊंचाई पर होने और विशालकाय पर्वत शृंखलाओं से घिरा होने के कारण तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ भी कहा जाता है। तिब्बत धरती की उन विशेष जगहों में से एक है, जहां विमान सेवा बहुत ही कम है। दरअसल, ऊंचाई पर होने के कारण इसके ऊपर से विमानों का उड़ पाना लगभग असंभव है। इसी वजह से विमान तिब्बत के ऊपर से नहीं उड़ते हैं। तिब्बत नेपाल के साथ माउंट एवरेस्ट की सीमा साझा करता है. इस स्थान को ऊंचे पठारों के कारण ‘रूफ ऑफ द वर्ल्ड’ भी कहा जाता है। यहां ऊंचे पहाड़ होने के कारण विमानों का उड़ान भरना किसी खतरे से खाली नहीं है।
‘यहां ऊंचे पहाड़ों का होना और ईंजन को होने वाली परेशानी बड़े मुद्दे हैं, लेकिन फिर भी कई परिस्थितियों में विमान 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं। लेकिन ऐसा माउंट एवरेस्ट पर संभव नहीं होगा। यहां ऊंचे पहाड़ किसी भी विमान के आगे ऊंची चुनौतियों जैसे साबित होंगे। इसके अलावा तिब्बत एक कम दाब वाला क्षेत्र भी है। इसका मतलब ये कि यहां हवा की कमी है। अगर विमानों को उड़ान भरनी है, तो उसमें बैठे यात्रियों के लिए ऑक्सीजन की कमी होगी। परेशानी ऑक्सीजन मास्क को लेकर है। यात्रियों को इमरजेंसी के समय केवल 15-20 मिनट तक ही ऑक्सीन उपलब्ध कराई जा सकती है।