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Uttarakhand News: बेरीनाग में गरीब मां ने बेटे को दिया शिक्षा धन, ITBP अफसर बनकर हुआ रिटायर, पोता बना BSF में अधिकारी

Uttarakhand News: बेरीनाग में गरीब मां ने बेटे को दिया शिक्षा धन, ITBP अफसर बनकर हुआ रिटायर, पोता बना BSF में अधिकारी

Uttarakhand News: बेरीनाग में गरीब मां ने बेटे को दिया शिक्षा धन, ITBP अफसर बनकर हुआ रिटायर, पोता बना BSF में अधिकारी

Uttarakhand News, बेरीनाग: ITBP ASI सुरेंद्र महरा रिटायर होकर लौटे, गांव में हुआ भव्य स्वागत

By Kedartimes.com Team

Published: 25-12-2024

पिथौरागढ़ के उडियारी गांव में बजी खुशियों की शहनाई

बेरीनाग के उडियारी गांव में एक गरीब परिवार की संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी ने हर किसी का दिल छू लिया। 53 वर्षीय आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police) के एएसआई सुरेंद्र सिंह महरा 33 वर्षों की सेवा के बाद स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होकर जब अपने गांव लौटे, तो पूरे गांव ने उनका भव्य स्वागत किया। फूल-मालाओं से सजी इस भव्य वापसी के पीछे छिपी थी गरीबी के अंधेरों को शिक्षा के उजाले से दूर करने की प्रेरणादायक दास्तां।

मां की भावुकता, संघर्ष की कहानी

सुरेंद्र सिंह की मां, नदुली देवी ने भावुक होकर कहा, “कैसे पाल छ, कैसे खाऊ छै, भतेर खणी ना होच्छी। आज मेर च्यल नौकरी करके भै घर आ गयै।” (बेटा, मैंने तुझे कैसे पाला इतनी गरीबी थी, घर में एक समय का खाना भी नहीं होता था)। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया।

सुरेंद्र के पिता गोविंद सिंह (अब स्वर्गीय) संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों में जुटे रहते थे। खेती से होने वाली आय बेहद सीमित थी। लेकिन माता-पिता ने शिक्षा का महत्व समझा और सुरेंद्र सहित बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

सेना की सेवा में 33 साल

1990 में सुरेंद्र सिंह महरा ने आईटीबीपी में भर्ती होकर अपने परिवार का भविष्य बदल दिया। उनकी नियुक्ति आईटीबीपी की 35वीं वाहिनी में हुई थी। 33 वर्षों तक देश सेवा के दौरान उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। सुरेंद्र ने अधिवर्षता आयु से पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर घर लौटने का फैसला किया ताकि वह अपनी मां और परिवार की सेवा कर सकें।

बेटे ने बढ़ाया पिता का नाम

सुरेंद्र सिंह के बड़े बेटे संदीप महरा ने तीन साल पहले बीएसएफ में सहायक कमांडेंट के पद पर नियुक्ति पाकर अपने परिवार का नाम और भी ऊंचा किया। उनका छोटा बेटा मंदीप कृषि विज्ञान में नेट क्वालिफाई कर चुका है। सुरेंद्र की पत्नी दीपा देवी ने परिवार को हर कदम पर संभाला।

गांव में मनाया गया स्वागत समारोह

सुरेंद्र सिंह की सेवानिवृत्ति के अवसर पर गांव में भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। सुरेंद्र ने युवाओं से सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने की अपील की। उनका कहना है कि सेना में सेवा करने से आत्मसम्मान और देशभक्ति की भावना का अद्वितीय अनुभव मिलता है।

गरीबी से प्रेरणा लेकर सफलता तक का सफर

यह कहानी दिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर शिक्षा और मेहनत पर विश्वास किया जाए, तो हर मुश्किल को हराया जा सकता है। सुरेंद्र सिंह और उनके परिवार की संघर्ष और सफलता की यह दास्तां उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

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