uttarakhand bhu kanoon 2025, देहरादून: “उत्तराखंड मांगे भू-कानून”— यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि पिछले कई वर्षों से चल रहा एक बड़ा आंदोलन है। पहाड़ी राज्य की संस्कृति, पर्यावरण और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए इस कानून की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। आखिरकार, 2025 में उत्तराखंड को उसका सख्त भू-कानून मिल गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने इस ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगाकर राज्य की जनता को बड़ी राहत दी है।
कैबिनेट में क्या हुआ फैसला?
उत्तराखंड सरकार ने इस नए कानून के तहत बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर किसी भी बाहरी व्यक्ति को कृषि और बागवानी के लिए जमीन खरीदने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई विशेष प्रयोजन के लिए भूमि खरीदना चाहता है, तो उसे सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा, खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सब-रजिस्ट्रार को शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।
क्यों जरूरी था सख्त भू-कानून?
उत्तराखंड की मूल पहचान और संस्कृति को बचाने के लिए यह कदम बेहद अहम था। अगर बाहरी लोगों को राज्य में अंधाधुंध जमीन खरीदने की अनुमति दी जाती, तो सीमांत किसानों और स्थानीय लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता। ऐसे में, सरकार ने समय रहते इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और बाहरी लोगों पर जमीन खरीदने की रोक लगाई।
बेशकीमती जमीन को धन्नासेठों से बचाने का बड़ा कदम
वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा के अनुसार, उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण कृषि और बागवानी भूमि बाहरी पूंजीपतियों के हाथों बिक रही थी। इससे स्थानीय किसानों के पास अपनी ही भूमि से वंचित होने का खतरा बढ़ रहा था। इस कानून के बाद, अब बेशकीमती कृषि भूमि को बड़े निवेशकों और धन्नासेठों से बचाया जा सकेगा।
पर्यावरण को होगा फायदा
पर्यावरणविद् अनिल जोशी के अनुसार, उत्तराखंड की जलवायु, जंगल और जलस्रोत बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन, बाहरी लोग यहां की जमीन खरीदकर बड़े रिसॉर्ट और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स खड़े कर रहे थे, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा था। इस नए भू-कानून के चलते अब जंगलों की कटाई पर भी रोक लगेगी और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
हिमाचल की राह पर उत्तराखंड
अगर देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश में पहले से ही कड़ा भू-कानून लागू है, जिसकी वजह से वहां के किसान और स्थानीय लोग अपनी जमीन से वंचित नहीं हुए हैं। अब उत्तराखंड भी उसी दिशा में बढ़ रहा है। पहाड़ी राज्यों में कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए भूमि संरक्षण आवश्यक है, ताकि स्थानीय लोगों को अधिक आर्थिक लाभ मिल सके।
जनता ने किया फैसले का स्वागत
उत्तराखंड में लंबे समय से सख्त भू-कानून की मांग की जा रही थी। जब यह ऐतिहासिक फैसला आया, तो स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। जनता का कहना है कि यह कानून उनकी पहचान और हक को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू होने से न केवल स्थानीय लोगों को फायदा मिलेगा, बल्कि राज्य की संस्कृति, कृषि और पर्यावरण की भी रक्षा होगी। धामी सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक और दूरदर्शी फैसला माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में राज्य के भविष्य को नई दिशा देने में सहायक होगा।
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