श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शुभ मुहूर्त में शाम 6.45 बजे पूरी विधि विधान, वैदिक परम्परा और मंत्रोचारण के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए। इस अवसर बद्रीनाथ मंदिर को भब्य रुप से 20 कुंतल गेंदा, कमल और गुलाब के फूलों से सजाया गया। इस वर्ष 1 लाख 91 हजार से अधिक तीर्थ यात्री बद्री नाथ धाम पहुंचे l बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा का भी समापन हो गया है l श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत पंच पूजायें 16 नवंबर से शुरू हो गयी थी। बीते दिन सांय को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा भगवान बद्रीविशाल को भोग लगाने के पश्चात पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को गर्भ गृह मे आने का न्यौता दिया गया।
आज प्रात:काल भगवान का श्रृंगार, बाल भोग और दोपहर को भगवान को भोग लगाया गया l सांय को रावल जी द्वारा सखी के रूप मे स्त्री भेष धारण कर लक्ष्मी मंदिर से मां लक्ष्मी को भगवान बद्रीविशाल के सानिध्य में गर्भ गृह मे विराजमान किया तथा कुबेर व उद्धव भगवान को गर्भ गृह से बाहर लाया गया। इस के पश्चात भगवान बद्रीविशाल और लक्ष्मी जी को माणा गांव की कुंवारी कन्याओं द्वारा अपने हाथ से बुना हुआ घृतकंबल ओढ़ने के साथ रावल जी द्वारा कपाट बंद करने की प्रक्रिया की गई l
वहीं कल श्री उद्धव जी ,श्री कुबेर जी का पांडुकेश्वर और आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी का नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान कर रात्रि विश्राम योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में होगा। 22 नवंबर आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल जी का पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ आगमन होगा। वहीं इस वर्ष 5 लाख से अधिक तीर्थ यात्री चार धाम यात्रा पर आये l