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रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, गोपीनाथ मंदिर में होगी शीतकालीन पूजा

रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट आज, 17 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब आगामी शीतकाल के दौरान भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में संपन्न होगी।

ब्रह्म मुहूर्त में कपाट बंद होने की प्रक्रिया

भगवान रुद्रनाथ की प्रातःकालीन अभिषेक पूजा के बाद मंदिर के पुजारी वेदप्रकाश भट्ट ने विधि-विधान से कपाट बंद किए। पूजा के बाद भगवान की उत्सव डोली गंगाजल और फूलों से सुसज्जित कर, भक्तों की उपस्थिति में गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर ले जाई गई। इसी डोली के माध्यम से भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन प्रवास अब गोपीनाथ मंदिर में होगा।

रुद्रनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व

भगवान शिव को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर, चतुर्थ केदार के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर पंच केदार यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अपनी कठिन यात्रा और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहाँ दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कठिन पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, जो भक्ति के साथ साहसिक यात्रा का भी अनुभव देता है।

कपाट बंद होने का धार्मिक महत्व

उत्तराखंड में स्थित चारधाम और पंचकेदार के मंदिरों के कपाट सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि इस दौरान ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी के कारण यात्राएं असंभव हो जाती हैं। भगवान की शीतकालीन पूजा उनके निकटवर्ती या अपेक्षाकृत निचले इलाकों में की जाती है। इसी परंपरा के तहत भगवान रुद्रनाथ की पूजा अब गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में होगी।

गोपीनाथ मंदिर में शीतकालीन पूजा

गोपीनाथ मंदिर में भगवान रुद्रनाथ की पूजा विशेष रूप से शीतकाल के दौरान विधिपूर्वक की जाती है। स्थानीय भक्त और पुजारी पूरी श्रद्धा से भगवान का आह्वान करते हैं और नियमित अनुष्ठान संपन्न होते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को ठंड के मौसम में भी भगवान का आशीर्वाद मिलता रहे।

यात्रा से जुड़े प्रशासनिक और सुरक्षा प्रबंध

कपाट बंद होने के बाद चमोली पुलिस और अन्य प्रशासनिक विभागों द्वारा मंदिर परिसर और यात्रा मार्ग की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। शीतकाल में आने वाली कठिन परिस्थितियों को देखते हुए, यात्रा मार्गों पर सुरक्षा और साफ-सफाई के इंतजाम किए जाते हैं, ताकि अगले वर्ष कपाट खुलने के समय यात्रियों को किसी तरह की समस्या न हो।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट बंद होने के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं और भगवान रुद्रनाथ से प्रदेश के विकास और सुख-शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने यात्रियों से अपील की कि वे धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

भगवान रुद्रनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही अब शीतकालीन पूजा का शुभारंभ गोपीनाथ मंदिर में होगा। भक्तों के लिए यह एक विशेष अवसर होता है, जब वे भगवान के शीतकालीन प्रवास में भी उनकी भक्ति कर सकते हैं। उत्तराखंड की यह प्राचीन धार्मिक परंपरा श्रद्धालुओं के आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य और धर्म के प्रति समर्पण का संदेश देती है।

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