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प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस कब शुरू होती है — Morning Sickness During Pregnancy In Hindi

प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस: जब बात प्रेगनेंसी की आती है, तो सबसे पहले हमें पीरियड्स के बारे में सोचने की आदत होती है। जैसे ही गर्भधारण होता है, पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। लेकिन, इसके अलावा भी कई अन्य शुरुआती लक्षण होते हैं, जो पीरियड्स मिस होने के बाद एक गर्भवती महिला अनुभव कर सकती है। इन लक्षणों में से एक है मॉर्निंग सिकनेस। इसे उबकाई या मिचली आना भी कहा जाता है। यह प्रेगनेंसी के दौरान एक सामान्य घटना है। कई महिलाओं के लिए, मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंसी का पहला संकेत हो सकता है। आमतौर पर, यह गर्भावस्था के छठे सप्ताह के आसपास शुरू होता है, जो मिस्ड पीरियड्स का दूसरा सप्ताह होता है। 🌼

मॉर्निंग सिकनेस का समय और कारण

मॉर्निंग सिकनेस कब शुरू होती है?

मॉर्निंग सिकनेस आमतौर पर गर्भावस्था के छठे सप्ताह से शुरू होती है। कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ही मितली का अनुभव होने लगता है, जबकि कुछ को इसे गर्भाधान के 2 या 3 सप्ताह बाद महसूस होता है।

इसकी प्रकृति क्या होती है?

मितली का अनुभव करने वाली सभी महिलाएं दिनभर इससे परेशान नहीं रहतीं। तीन में से एक महिला को केवल थोड़ी देर के लिए ही मितली जैसा महसूस होता है। यह भी सच है कि यह समस्या केवल सुबह के समय नहीं आती, बल्कि यह किसी भी समय हो सकती है। गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह में कुछ महिलाएं खास गंधों से मितली का अनुभव कर सकती हैं। 🌸

प्रेगनेंसी में खानपान और मॉर्निंग सिकनेस

प्रेगनेंसी के दौरान खानपान में बदलाव होना सामान्य है। कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति आकर्षण और कुछ से नफरत होना भी प्रेगनेंसी के लक्षणों में शामिल है। यह सभी हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है।

मॉर्निंग सिकनेस के कारण

मॉर्निंग सिकनेस के प्रमुख कारणों में से एक है ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) का उच्च स्तर। यह हार्मोन प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। जैसे-जैसे शरीर में ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन और एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे मॉर्निंग सिकनेस की समस्या बढ़ती जाती है।

क्या मॉर्निंग सिकनेस गंभीर हो सकती है?

प्रेगनेंसी के 12-15 सप्ताह के बीच, मॉर्निंग सिकनेस आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन, कुछ महिलाओं को पूरे गर्भधारण के दौरान गंभीर मॉर्निंग सिकनेस का सामना करना पड़ सकता है। यदि यह समस्या इतनी गंभीर हो जाए कि इससे खाना-पीना भी मुश्किल हो जाए, तो यह हाइपरमेसिस ग्रेविडरम का संकेत हो सकता है।

क्या मॉर्निंग सिकनेस वंशानुगत हो सकती है?

हां, यह संभावना है कि यदि आपकी मां को प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस थी, तो आपको भी इसका सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यह भी सच है कि हर प्रेगनेंसी एक समान नहीं होती।

मॉर्निंग सिकनेस से बचने के उपाय

मॉर्निंग सिकनेस के बावजूद, गर्भावस्था का अनुभव सामान्य है। हालांकि, इसे सहन करना मुश्किल हो सकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको मदद कर सकते हैं:

  1. छोटी-छोटी मात्रा में भोजन करें: हर थोड़े समय में थोड़ा-थोड़ा खाएं।
  2. प्रोटीन और कार्ब्स का सेवन करें: अपने खानपान में प्रोटीन और कार्ब्स को शामिल करें।
  3. भारी भोजन से बचें: चिकना और भारी खाना न खाएं।
  4. अदरक की चाय पिएं: अदरक की चाय या नींबू पानी मदद कर सकते हैं। 🍵
  5. थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं: पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें।
  6. तेज गंध से बचें: जहां तक संभव हो, तेज गंध और ऐसे भोजन से दूर रहें।
  7. हल्के व्यायाम करें: टहलना या प्रसव पूर्व योग करें।

अगर समस्या बनी रहे तो?

यदि ऊपर दिए गए उपायों का पालन करने के बाद भी आपकी मॉर्निंग सिकनेस में कोई सुधार नहीं होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपके डॉक्टर आपको विटामिन B6 सप्लीमेंट या एंटी नॉशिअ ड्रग्स लेने की सलाह दे सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस एक सामान्य अनुभव है, जिसे ज्यादातर महिलाएं अनुभव करती हैं। हालांकि यह एक चुनौती हो सकती है, लेकिन सही खानपान और उपायों के जरिए इसे प्रबंधित किया जा सकता है। याद रखें, हर प्रेगनेंसी अलग होती है, और अगर आपको किसी भी प्रकार की चिंता हो, तो अपने डॉक्टर से सलाह लेना सबसे बेहतर है। 🤰💖

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य उपयोग के लिए है हम इसके साइड इफ़ेक्ट के जिम्मेदार नहीं हैं। किसी भी मेडिकल सलाह के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर से संपर्क करें।

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