हर कोई खबरें बनाता है पुलिस के कार्यों की, उनकी लापरवाहियों या असहयोग की। लेकिन क्या हमने कभी उनके प्रति आभार व्यक्त किया है? उत्तराखंड में चल रही विशाल चारधाम यात्रा ने हर बार की तरह इस बार भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस यात्रा को सफल बनाने में पुलिस के जवानों की सुरक्षा और सेवा सच में सराहनीय है।
उत्तराखंड पुलिस ने मित्रता और सेवा के मंत्र के तहत इस साल भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम योगदान दिया है। चारधाम यात्रा सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। इस दौरान पुलिस के जवान अपने कर्तव्यों को निभाते हुए न केवल यात्री सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, बल्कि उन्हें सुरक्षित और सुगम यात्रा का अनुभव भी प्रदान करते हैं।
यात्रा के दौरान कई बार ऐसा होता है कि यात्रियों द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ बदतमीजी की जाती है। कभी-कभी तो स्थितियाँ इतनी तनावपूर्ण हो जाती हैं कि आम यात्री खुद को परेशानी में महसूस करते हैं। फिर भी, पुलिस के जवान हर दिन एक नई ऊर्जा के साथ अपने कर्तव्यों को निभाते हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि ये लोग इतनी प्रेरणा कैसे पाते हैं। शायद उनकी वर्दी ही उन्हें नई ऊर्जा देती है। मैंने कई जगहों पर उनके काम को देखा है और व्यक्तिगत तौर पर उनसे बातचीत भी की है। उनका समर्पण और साहस सच में प्रेरणादायक है।
हमारी महिला पुलिसकर्मियों ने भी हर जगह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। यह उनकी दृढ़ता और साहस का प्रतीक है। ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। भीड़भाड़ और चिल्ल-पौं के बीच काम करना आसान नहीं है। शारीरिक थकावट के साथ-साथ मानसिक थकान भी होती है, लेकिन मैंने कभी उन्हें आराम करते नहीं देखा। उनकी मेहनत और समर्पण देखकर ऐसा लगता है कि वे इस काम को केवल नौकरी नहीं समझतीं, बल्कि इसे एक सेवा के रूप में लेती हैं।
रात की पेट्रोलिंग से लेकर नदी में जाने वाली जल पुलिस के गोताखोरों तक, हर किसी ने आपदा के समय में अनेक चुनौतियों का साहसिकता से सामना किया है। उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाएं किसी गहरे घाव से कम नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद 24 घंटे लगातार सेवा करना और आपदा के समय विश्वास का भाव जगाना भी कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। जब भी कोई आपदा आती है, पुलिस का जवान पहली लाइन में होता है, बिना किसी हिचकिचाहट के। यह उनकी निस्वार्थ सेवा की भावना को दर्शाता है।
अगर मैं बाजार में निकलता हूं या धूप में घूमता हूं, तो मुझे हर जगह पुलिस के जवान अपनी ड्यूटी पर खड़े मिलते हैं। उनकी उपस्थिति से ऐसा लगता है कि हम सुरक्षित हैं, और यह महसूस कराता है कि कोई हमारी रक्षा कर रहा है। इसी भावना को संकलित करते हुए मैंने सोचा कि हमें कभी तो उनके बारे में कुछ अच्छा लिखना चाहिए। कभी तो खबरों से इतर कुछ ऐसा कहा जाए जो प्रशंसा से ज्यादा संतोष मिले।
इस तरह के सकारात्मक संवाद को बढ़ावा देकर हम न केवल पुलिस के प्रति सम्मान और प्रशंसा व्यक्त करते हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी लाते हैं। हमें चाहिए कि हम उनके कार्यों की सराहना करें और उन्हें प्रेरित करें कि वे हमेशा इसी प्रकार से अपनी सेवाएं देते रहें। उनकी मेहनत, साहस, और निस्वार्थता का सम्मान करना हमारे समाज का कर्तव्य होना चाहिए। हमें उनकी कहानियों को साझा करना चाहिए, ताकि सभी लोग जान सकें कि पुलिस केवल एक व्यवस्था नहीं, बल्कि हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है।
इन सभी भावनाओं को व्यक्त करते हुए मैं चाहता हूँ कि इस लेख के माध्यम से हम सभी उनकी सराहना करें और उनके काम की महत्ता को समझें। उनका समर्पण और सेवा वास्तव में काबिले तारीफ है।
(दीपक बिष्ट की कलम से )
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